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देवता और राक्षस में भेद क्या है, आज जग के सामने प्रस्तुत है

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|| देवता और राक्षस में भेद क्या है, जग के सामने प्रस्तुत है ||
प्रधानमंत्री जी के महानतम कार्य से भी नेताओं को शिक्षा लेनी चाहिए, वाराणसी में रहकर भी आसाम के एक बच्चीको दिल्ली के हॉस्पिटल में प्राण दान वाला कार्य से | यही काम तो देवता का है, देने वाले का नाम ही देवता होता है | दुनिया वालों ने मिटटी के खिलौने को ही देवता मान लिया जिससे ना किसी का भला हो ना किसी का उपकार लोगों ने ना हक़ ही उसे देवता मान लिया |
माननीय प्रधान मंत्री जी ने आज से नही किन्तु उन्होंने अपने पूर्वजों से यही सीखा है, हमारे शास्त्रकारों ने कहा है {ये धन्या नरा विहितकर्मपरोपकार:} सत्यार्थ प्रकाश _3 समुल्लास =में ऋषि लिखते हैं वह नर और नारी ही धन्य है जो दुसरे का उपकार करते हैं |
श्रीमान प्रधानमंत्री जी ने मानवता को निभाते हुए चुपचाप इस काम को कर दिखाया, इससे भी भारत के नेता कहलाने वाले कुछ भी शिक्षा नही लेते यही तो अफ़सोस की बात है | अगर ना लें तो भी कोई बात नहीं किन्तु विरोध तो ना करें कमसे कम, पर इन अकल के दुश्मनों को क्या कहा जाय, इनसे परोपकार किया नही जा रहा है और परोपकारी को दोषी ठहराया जा रहा है | कोई पाकेट मार कह रहा हैं तो कोई उनकी पोल खोलने की बात कर रहे हैं |
आज उन राक्षसों को नेता द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है,जो राष्ट्र विरोधी, मानवता विरोधी, और, देशद्रोही हैं उनके लिए यह नेता कह रहे हैं आतंकवाद का कोई धर्म नही होता |
मैं इन सेकुलरवादी, और इस्लाम बादी,से पूछना चाहता हूँ, लखनऊ में जो मारा गया वह किसके लिए काम कर रहा था ? उसका मौत का कारण क्या है,उसे मरनेकी प्रेरणा किसने दी? उसके पास से जो कुछ भी सामान मिला उन सामानों के साथ इस्लाम का सीधा संपर्क है अथवा नही ? कोई सेकुलर वादी नेता हो अथवा इस्लाम के जानने वाला अहमद बुखारी, मुफ़्ती मुकर्रम,जमीयते इस्लामी हिन्द के अधिकारी,अथवा स्वामी अग्निवेश,या आर्यवेश नामी सन्यासी अथवा उनकी टीम के लोग चापलूस माया प्रकाश त्यागी आदि आर्य समाजी कहलाने वाले आज चुप किस लिए हैं ?
मैं आज पूछना चाहूँगा वह नकली शंकराचार्य कहलाने वाले सन्यासी जो डॉ0जाकिर नाईक के मन्च पर youtube में बोल रहे वह चुप किस किस लिए हैं ? जो यह कह रहे हैं वेद का सारा नचोड़ निकाल कर मुहम्मद {स} ने दिया है | जिसे यह इस्लाम कहते है वह चुप किस लिए हैं, क्या वह मना कर सकते हैं की मारा गया वह व्यक्ति इस्लाम से संपर्क रखने वाला नही था, उसने यह प्रेरणा इस्लाम से नही लिया क्या ?
कहाँ गये वह नकली सन्यासी स्वामी शंकरानन्द महाराज जो इस्लाम की तारीफ करते रहें, और कहाँ गये वह अपने को आचार्य कहने वाले प्रोमोद कृष्णन जो यह कहते रहे इस्लामी शिक्षा आतंकवाद की नही है ? कहाँ गईं तबलीन सिंह नामी लेखिका जो यह कहती रही कुरान का गलत इन्टरपिटिशन किया जा रहा है, कुरान में आतंकवाद की शिक्षा नही है ? आज यह सभी लोग खामोश किस लिए हैं, कब बोलेंगे यह सभी ?यह राक्षसी वृत्ति कहाँ है यह शिक्षा कहाँ से मिली थी उस आतंकवादी को ? जिसके पिता ने उसके लाश को भी गछने से मना कर दिया ? धन्य है वह राष्ट्र भक्त जिसने साफ कहा मैं उसे अपना बीटा स्वीकार नही करता जो देशद्रोह किया है | आज किस मुस्लमान ने अथवा इस्लाम के मानने वालों ने उस आतंवादी को गलत ठहराया या बताया, और उसके पिता को धन्यवाद दिया ?
आज इस्लाम के मानने वाले उसे शहीद हो गया कह रहे हैं अल्लाह के रास्ते शहीद हो गया बता रहे हैं | अल्लाह उसे जन्नत नसीब करें यह दुवा मांग रहे हैं भारत के हर मस्जिदों में नमाज पढने वाले मुस्लमान | इतना सब कुछ होने पर भी कोई कहे की आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता | उसे मैं पागल ही कहूँगा,अनभिज्ञ कहूँगा,हर इस्लाम के मानने वाले कहरहे, वह अल्लाह के रास्ते पर मारा है यह सारा कुरानी अल्लाह का ही हुक्म है कुरान भरा पड़ा है हदीसों में भी इसका प्रमाण मौजूद है |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =9/3/017

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