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देश में तांडव के लिए असली विलेन कौन ही ?

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देश में तांडव का असली विलेन कौन है ?
मेरे इस लेख को ध्यान से पढना समझदारी से पढना सत्य को जानने के लिए पढना =
हम भारत के लोग आज तक विचार शील नहीं हो सके, और न तो दोस्त और दुश्मन को ही पहचान पाए | जिस देश ने दुनिया के मानव कहलाने वालों को मानवता का पाठ पढाया मानव मात्र को जीने की कला सिखाई हमारा नाम मानव ही किस लिए पड़ा हमें मानव नाम किसने दिया आदि, जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत मानवमात्र का उत्थान और पतन क्यों और कैसे होता है यह भी बताया | यह वैदिक शिक्षा के अंतर्गत भारत में जन्में ऋषि मुनियों ने आदिसृष्टि से हमें बताते सुनाते आये |
अपने लोगों की गलती से आलस्य और प्रमाद से यही भारत वासी सत्य से ही विमुख होते चले गये, और यही आर्यावर्त जिसे सोने की चिड़िया कहा गया ज्ञान का भंडार बताया गया | जब यह अपने ज्ञान से ऋषि मुनियों के उपदेश से दुरी बनाते गये, इनपर अज्ञान के बादल छा गये |
जो कभी दुनिया में मानव कहलाने वालों को ज्ञान देते थे वही लोग अज्ञान में फंसते चले गये, इसी आलस्य और प्रमाद के कारण विदेशियों के वार को झेला, अपनी सनातन संस्कृति को भी गवां बैठे | उन विदेशियों ने इसी देश को अपने कब्जे में कर सब कुछ बदलने का भरसक प्रयास किया | यहाँ तक की उनलोगों ने मन्दिरों को तोडा ही सारे बड़े बड़े लाइब्रेरी को आग के हवाले कर दिया | इस देश को इस्लामिक देश बनाना चाहा लगभग यह प्रयास इनका 800 वर्ष के करीब चलता रहा |
आखिर क्या कारण है की जिनके हाथमें सत्ता शक्ति हो इसके बाद भी इस देश को इस्लामिक देश न बना पाने के पीछे कारण क्या है ? एक प्रमाण यह देश 70 वर्षों से 370 को हटा नहीं पाया अब एक झटके में कैसा हट गया ? इसे कहते हैं शक्ति, पर इस देश का मालिक औरंगजेब जैसा कट्टर इस्लामी बादशाह बनने पर भी, इस देश को इस्लामिक देश न बना पाने के पीछे क्या राज है ? इस देश के निवासियों को आज तक यह बात समझ नहीं आई की यह देश ऋषि मुनियों का हैं जिन ऋषियों के द्वारा मानव मात्र के लिए ज्ञान वेद दिया, अगर यह देश इस्लामी बन गया होता तो यह वेद ज्ञान भी समाप्त हो जाता जो सभी प्रयास करने पर भी विफल रहा सब का प्रयास 800 वर्ष का शासन धरा के धरा रहगया |
उन्ही इस्लामी बादशाहों का यह सिलसिला आज तक चलता चला आ रहा है, उसी का यह प्रारूप है तबलीगी जमात, जमियते इस्लामी हिन्द, सिमी, AIMI देवबन्द,और वरेलवी आदि जितने भी इस्लामिक संस्था है सामाजिक राजनितिक और धार्मिक यह सब मिलकर इसी प्रयास में ही लगे हैं की हमारे पूर्वज तो इस देश को इस्लामिक देश नहीं बना पाए, बल्कि इस देश से उन्हें निकलना पड़ा मुस्लिम देश बनाने के लिए | लेकिन असली मकसद तो इसी देश को मुस्लिम देश बनाने को लेकर है |
इसी फिराक में यह सभी इस्लामिक संगठन तब से लेकर आज तक प्रयास रत हैं और जबतक धरती पर कुरान नामी किताब है इनका प्रयास जारी रहेगा | यह इस्लामी संगठन के लोग जो कुछ भी करते हैं इसके पीछे कुरान ही इनके प्रेरणा स्रोत हैं | कुरान के अनुसार ही इनका सारा काम होता है ,इसे आप लोगों ने आज तक जानने और समझने का प्रयास नहीं किया |
तबलीग जमात के प्रमुख मौलाना साद ने अपने विडिओ में बोला है की अल्लाह हमारा हिफाजत करने वाला है, तुम लोग अखबार पढ़ते हो, कुरान पढो, मुसलमान एक जगह न हो पाए यह लोग इसे रोकने के लिए कोरोना वायरस के नाम से मुसलमानों पर यह गैर मुस्लिमों का कहर है यह जिहालत है आदि कहकर अपनी आवाज से मात्र जमातियों को ही नहीं अपितु सारे मुसलमानों को उन्हों ने अपना उपदेश सुनाया | और यहाँ तक कहा की मरना है तो मस्जिद में मरो इससे और अच्छी बात क्या हो सकती है ?
अब सवाल यह है की यह मौलाना जिस अल्लाह का और अल्लाह की कलाम का दुहाई दे रहे थे, अब यही मौलाना अपना बयान बदल दिया, और सरकार को सहायता करो मुसलमानों को उपदेश देने लगे | इसका कारण यह है की मौलाना गिरफ्तारी से बचने के लिए अपना बयाँन बदल दिया |
पर सत्यता यह है की अल्लाह हो या अल्लाह की कलाम यह असत्य प्रमाणित हो गया की अल्लाह पर भरोसा करने वालों अल्लाह ने बचाने से हाथ खड़ा कर दिया, और जहाँ से इस्लाम चला है या जहाँ इस्लाम का जन्म हुवा उसी मक्का में मस्जिद को बंद किया गया, और इस साल हज पर भी प्रतिवंध लगा | इससे यह स्पष्ट हो गया की यह अल्लाह के नाम से दूकान अब बंद करनी होगी | सत्य को ही स्वीकारना होगा मानवता की रक्षा के लिए वरना मानवता की रक्षा नहीं हो पायेगी |
आप लोगों ने भी देखा होगा विभिन्न चेनलों में मानवता पर किस प्रकार कुठाराघात किया है इन्हीं इस्लाम के मानने वालों ने | जो डॉ0 अपने जीवन को मौत के मुंह में डाल कर इन्हें बचाने गये उन्हीं पर यह लोग थूक रहे हैं लाठियां वर्सा रहे हैं, यही है इस्लामी शिक्षा इसे कहते हैं कुरानी शिक्षा |
इस रोल का असली विलेन तो अल्लाह ही है अल्लाह ने अपनी कलाम में मुसलमानों को कहा की गैर मुस्लिमों से दोस्ती न रखो | वरना मैं तुम मुसलमानों से दोस्ती नहीं रखूँगा |
तो मुसलमान अल्लाह का हुक्म मानें या प्रधानमंत्री का ? यही तो कारण बना की सब कुछ सुनने के बाद भी अपनी छतों पर नमाज पढने के लिए एकत्र हुए | वह तो यही कह रहे हैं की हम अल्लाह का हुक्म मानेंगे मोदी का नहीं | = महेन्द्रपाल आर्य – 4 / 3 /20

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