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धर्म की जय अधर्म का नाश यह शाश्वत है |

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धर्म की जय अधर्म का नाश यह शाश्वत है ||
यह बात बिलकुल तय शुदा है की धर्म की ही जय, यह ब्रह्म वाक्य है, पर यह कहने के लिए है अथवा इसे चरितार्थ करने की बात है ? धर्म क्या है इसे हमने जानने का भी प्रयास नहीं किया, और मात्र चिल्लाते रहे धर्म की जय, इससे क्या होना है ? यह वाक्य रटने वाली नहीं है, किन्तु धर्म को जानने की बात है उसपर आचरण करने की बात है इसे औरों तक पहुँचाने की बात है |
 
जानते खुद नहीं तो औरों को जानकारी देते कहाँ से ? इन हिन्दू कहलाने वालों की बात पहले बता देता हूँ, यही हिन्दू जिन्हें अपना गुरु मानते हैं शंकराचार्य को, जो चार हैं इन गुरुओं को ही धर्म की जानकारी नहीं है, यही शंकराचार्य कभी राम मन्दिर के विरोध में बोलते हैं तो कभी गंगा स्नान के विरोध में बोलते हैं |
 
हिन्दुओं का जो धार्मिक संगठन है जिसे विहिप बोलते हैं उनके अधिकारी भी नहीं जानते धर्म होता क्या है ? यह लोग इसे धर्म मानते हैं मन्दिरों में आरती उतारना, चाहे राम के मूर्ति के सामने हो कृष्ण के मूर्ति के सामने हो, या फिर हनुमान के मूर्ति के सामने हो, आरती घुमाने को ही हिन्दू धर्म मानता है, जब की यह धर्म नहीं है | जिन्हें सत्य और असत्य का ही ज्ञान न हो वह लोग धर्म को कैसे जान सकते हैं ? इन हिन्दुओं के गुरु स्वामी विवेकानन्द ने भी धर्म को नहीं जाना, जिन्हों ने इस्लाम और ईसाइयत को भी धर्म कहा है और माना है |
 
जिस कारण आज भारत भरमें ईसाइयों की दूकान और इस्लाम वालों की दुकानें हिन्दू और हिंदुत्व को मिटाने को चलाये जा रहे हैं | भारत में इन्हें अपनी दूकान चलाने की छुट एक मात्र हिन्दुओं के मुर्खता के कारण ही हुवा है, हो रहा है आदि आदि |
 
सिर्फ उन्हें दूकान चलाने को ही नहीं अपितू सरेआम हिन्दुवों को गाली भी दे रहे हैं और ललकार भी रहे हैं | दूरदर्शन में बैठ कर ही हिन्दुओं को अपशब्द कहना और विभन्न चेनलों के माध्यम से भारत विरोधी बातें बोलना इनका फेशन बन गया है, जो यह कह रहे हैं मन्दिर बनालो हम तोड़कर मस्जिद बना लेंगे |
 
यह दुस्साहस उन्हें किनके माध्यम से मिला है ? लोक सभा में बंदेमातरम का विरोध करने में उन्हें कोई रोकने वाला नहीं है क्यों ? क्या यह दुसरे देशों में होना संभव है, दुसरे दुसरे देशों में आज इन्हें जवाब मिल रहा है यह देखकर भी हिन्दू कहलाने वाले कुछ भी सिखने को तैयार नहीं है |
 
यह हिन्दू अगर धर्म को जानता होता और धर्म के प्रचार में अपना समय लगाते, तो आज यह अधर्म क्यों फैलता भारत भरमें ? जब की इन्हीं हिन्दूओं के महापुरुषों ने नारा लगाया विनाशाय च दुष्कृताम क्या इन हिदू कहलाने वालों ने अपने महापुरुषों के उपदेश को अपने जीवन में उतारा है ? अगर यह हिन्दू कहलाने वाले या आर्य कहलाने वाले अपने धर्म का प्रचार प्रसार करते तो इस्लाम और ईसाइयत इन हिदुओं को ईसाई और मुसलमान बनाने में सफल न होते |
 
अभी भी समय है हिन्दू धर्म को जानों धर्म के प्रचार प्रसार में जुट जाव तभी अधर्म का नाश हो सकता है | वरना तुम्हारे हिन्दू घराने के बेटे, बेटियों को ईसाई और मुसलमान बनाने के काम को तुम रोक सकते हो वरना आये दिन यही सुनने में आता है इस जगह की हिन्दू लड़की को मुसलमान बनाकर शादी किया और तीन महिना के बाद उसे आग के हवाले कर दिया होस्पिटल में मृत्यु से जूझ रही है |
 
यह आये दिन का समाचार है हिन्दुओं सिर्फ और सिर्फ तम्हारी कमी है अगर तुम धर्म को जानते और धर्म का प्रचार प्रसार करते तो आज यह अधर्म तुमपर हावी नहीं हो पाता | आज दिल्ली जामा मस्जिद का इमाम अहमद बुखारी कह रहा है मुसलमानों तुमसे जितना हो सके हिन्दू लड़कियों से शादी करो अपने घर लाव जो उन्हों ने अपने बेटे से इसे खुद करवाया है दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं |
 
तुम हिन्दुओं को इतनी सी भी अक्ल नहीं है की तुम्हारी लड़की मुसलमानों में ईसाइयों में जाएगी तो उनके संतानें तुम्हारे शत्रु ही नहीं किन्तु सम्पूर्ण राष्ट्र का शत्रु बनेगा | इसपर तुम हिन्दू कहलाने वालों ने कभी विचार किया है ? सोचो जरा सोचो, और इसपर विचार करो | धन्यवाद महेन्द्रपाल आर्य, 4/ 9/ 20

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