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धर्म की रक्षा में गीता प्रेस को बंद करना होगा |

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धर्म की रक्षा में गीता प्रेस को बन्द करना होगा |
सत्य सनातन वैदिक धर्म को नुकसांन पहुँचाने में गीता प्रेस ही सबसे ज्यादा अग्नि में घी डाला है, और आज भी डाले जा रहे हैं |

हर हिन्दू कहलाने वालों को यह जानकारी होनी चाहिए की सत्य सनातन वैदिक धर्म को ज्यादा नुक्सान पहुंचाया है गोरखपुर गीता प्रेस ने | इनकी प्रायः पुस्तकें वेद विरुद्ध तो है ही हमारे महापुरुषों के भी विरुद्ध है |

यही काम आज सकोंन मन्दिर वालों के द्वारा भी हो रहा है, और भारत के पैसों को अमेरिका भेजा जा रहा है, श्रीकृष्ण को चरित्र हीन बता कर पैसा कमा रहे हैं | और इसमें भारत सरकार की भी सहमती है, स्कोन मन्दिर दिल्ली इष्टऑफ़ कैलाश के उद्घाटन अटल विहारी जी के हाथ से किया गया था |

आज तक किसी हिन्दू कहलाने वालों ने इसे जानने का प्रयास ही नहीं किया – और आर्य समाज नामी संस्था जो दम भरते हैं वेद प्रचार और वेदको पढना पढ़ाना आर्यों का परम धर्म है, कह कर प्रचार करते हैं, इन्हों ने भी आज तक यह बातें नहीं बताई किसी को |

जब की ऋषि दयानन्द ने आर्य समाज के 8 वें नियम में लिखा है – अविद्याका नाश और विद्या की वृद्धि करनी चाहिए |

मतलब यह है की जब तक अविद्या का नाश नहीं करेंगे तो विद्या की वृद्धि नहीं कर सकते | जैसा खेत में अनाज बोने से पहले खर पतवार यानि घास फुंस को निकालना पड़ता है फिर उसके बाद ही अनाज बोया जाता है |

ठीक इसी प्रकार मानव समाज में विद्या की वृद्धि के लिए अविद्या को पहले मिटाना पड़ेगा तभी विद्या की वृद्धि हो सकती है |

इसी अविद्या को विरोधियों ने तो फैलाया ही है, और अपने लोगों का हाथ भी छोटा नहीं है | अपने लोग ही सत्य सनातन वैदिक धर्म को सबसे ज्यादा नुक्सान पहुंचाया है जिसमें गीता प्रेस ही अग्रणी है |

आज से कई वर्ष पहले इनके डिरेक्टर से मैंने संपर्क किया था – साक्षी के रूप में ग्रेटर नॉएडा आर्य समाज के माननीय प्रधान श्री महेन्द्र कुमार शर्मा जी आज भी मौजूद हैं उनसे भी पता कर सकते हैं आप लोग |

मैंने गीता प्रेस वालों से 10 साल पहले कहा की योगेश्वर श्री कृष्ण जी केवल आप लोगों के ही है या हमसब लोगों के वह महा पुरुष है ? अगर सिर्फ आप लोगों के हैं तो उन्हें खूब चोर कहें, जार कहें, रास नचाने वाला बताएं, महिलाओं के पकडे उठाने वाला बताएं | और महिलाओं के चरित्र लुटने वाला बताएं आदि |

अगर यह महा पुरुष हमारे भी हैं तो हम अपने महापुरुष को आप के हाथों अपमानित होने नहीं देंगे | आप हमें समय दें इसी पर आपसे हम चर्चा करना चाहते हैं | और हम दुनिया वालों को यह बताएँगे की योगेश्वर श्री कृष्ण जी जैसे चरित्र वाण धरती पर कोई पैदा ही नहीं हुए |

समय समय पर हमारे महा पुरुषों ने विद्वानों ने उनकी प्रशंसा लिखी है, ऋषि दयानन्द, ऋषि बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय, ऋषि अरविन्द, पण्डित चमुप्ती MA, आदि विद्वानों ने श्री कृष्ण चरित्र लिखा है – हमारे महा पुरुष थे और उनका चरित्र उज्जवल था आप्त पुरुष थे लिखा है | जिनके जीवन में कोई दोष नहीं था उन्हीं श्री कृष्ण को चरित्र हीन बताया है गोरख पुर गीता प्रेस वालों ने |

सम्पूर्ण गीता प्रेस के अंदर दर्शन स्थल में श्री कृष्ण जी के अश्लील चित्र बना रखा है यह निर्लाज्ज्य लोगों ने |

अज सब मिलकर हन्दू कहलाने वालों को इसका विरोध करना चाहिए = धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य =16 /6 /20

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