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धर्म के आचरण पक्ष को और आगे देखें

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|| धर्म के आचरण पक्ष को आगे देखें ||
मनुष्य अपने आप ही कोई मनुष्य नहीं कहला सकता, जब तक की उसमें मानवता के गुण न हो | मानव एक गुण का धारण करने वाले का ही नाम है, मानवता पर आचरण करने वाले का ही नाम मानव है | इसी मानव को कई बार लोकाचार में सुनते हैं एक दुसरे को जानवर कह रहा है, वह किस लिए ? पता यह लगा की मानव मात्र शारीर धारी का नाम नहीं हो | शारीर है पूरा अगर उसमें मानवता समाप्त, यानि मानवों के गुण समाप्त हो जाय तो क्या वह मानव कहला सकता है ? हरगिज़ नहीं, तो मानवता के गुण क्या है,धर्माचरण, अब मानव जब धर्म के गुणों को छोड़ दे फिर वह मानव कहला सकता है क्या ?
हमारे शास्त्र में यही तो उपदेश दिया है, आहार निद्रा भय मैथुनंच समान्य एतात पशुर्भीनरानाम | धर्म हितेषाम आदिको विशेषो धर्मेंन हिन: पशुरभी समान: | अर्थात धर्मपर आचरण करने वाला मानव है और ना करने वाला पशु है | यहाँ मानवों में और पशुयों में भेद क्या है उसे बताया, धर्म पर चलने वाला धर्म पर आचरण करने वाला ही मानव है और धर्म पर आचरण ना करने वाला मानव नहीं पशु है |
 
यह बात किनके लिए लागु हो रही है मनुष्य मात्र के लिए, क्या यहाँ हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैनी, बौधिष्टों की चर्चा है कहीं भी ? इसीका नाम ही आचरण पक्ष है यह धर्म लागु हो गया मानव मात्र के लिए हुवा कहाँ है हिन्दू मुस्लिम ?
अब प्रश्न है की आखिर यह शब्द हिन्दू मुस्लिम आया कहाँ से ? सही पूछिये तो यही तो उन दुकानदारों की दुकानदारी है जिनलोगों ने मानव समाज को लड़ाया है एक दुसरे से |
जो मानव कहलाने वाले धर्म पर आचरण करते हुए पशु से उपर उठा, वही मानव अगर मानवों से लड़े फिर वह मानवता क्या है और कहाँ है ? जो लोग यह मानते हैं की इसलाम ही धर्म है और भारतवर्ष को इस्लामिक राष्ट्र बनना चाहिए, जिससे इस्लाम का झंडा बुलन्द हो इसी इसलाम के लिए सम्पूर्ण विश्व में मार काट मचा रखी है जिस कुरान का हवाला दे रहे हैं तो क्या यह धर्म है ? जो मानवता पर बिश्वास ना करे और मानवता पर अमल ना करे वह धर्म क्यों और कैसे हो सकता है ? और खूबी की बात यह है की यह मार काट जो कुछ भी हो रहा है उसके प्रेरणा श्रोत ही अल्लाह है, और अल्लाह की कलाम है | देखें
وَلَا تَقُولُوا لِمَن يُقْتَلُ فِي سَبِيلِ اللَّهِ أَمْوَاتٌ ۚ بَلْ أَحْيَاءٌ وَلَٰكِن لَّا تَشْعُرُونَ [٢:١٥٤]
और जो लोग ख़ुदा की राह में मारे गए उन्हें कभी मुर्दा न कहना बल्कि वह लोग ज़िन्दा हैं मगर तुम उनकी ज़िन्दगी की हक़ीकत का कुछ भी शऊर नहीं रखते | सूरा बकर =154
وَالَّذِينَ هَاجَرُوا فِي سَبِيلِ اللَّهِ ثُمَّ قُتِلُوا أَوْ مَاتُوا لَيَرْزُقَنَّهُمُ اللَّهُ رِزْقًا حَسَنًا ۚ وَإِنَّ اللَّهَ لَهُوَ خَيْرُ الرَّازِقِينَ [٢٢:٥٨]
जिनके लिए ज़लील करने वाला अज़ाब है जिन लोगों ने खुदा की राह में अपने देस छोडे फ़िर शहीद किए गए या (आप अपनी मौत से) मर गए खुदा उन्हें (आख़िरत में) ज़रूर उम्दा रोज़ी अता फ़रमाएगा | सूरा हज =22
 
कुरान के मुताबिक अल्लाह ने कहा काफिरों से लड़ो और काफिरों के हाथों मरने वाला, मरा नहीं है वह शहीद है | और शहीदों के लिए अल्लाह जन्नत में सबसे ज्यादा इनाम देंगे, अल्लाह के नजदीक वही सबसे ज्यादा सम्मानित होगा जो शहीद हुवा | अल्लाह के अर्श से नजदीक वाला जो जन्नत है जन्नतुल फिरदौस | उसी में उन जन्न्तियों को स्थान मिलेगा जो शहीद होंगे, यानि काफिरों के हाथ जो मारे जायेंगे | यही है इस्लाम का धर्माचरण पक्ष अब आप मानव कहलाने वालों इसपर चितन और विचार करें की सत्य क्या है और कहाँ है ?
महेन्द्रपाल आर्य = 4 =जुलाई =18

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