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धर्म के लिये बाहरी पहचान की कोई जरूरत ही नही है |

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न लिङ्गम धर्म कारणम् = धर्मके लिए बाहरी चिहिंन की कोई भी ज़रूरत नही धर्म दिखाने के लिए नही होते,धर्म क्या है जानने का विषय है,मानने का नहीं ।
 
आसाम से हमारे एक मित्र ने जानना चाह जिनका नाम धुर्वज्योति पाठक जी ने | की धर्म में बहरी पहचान को कोई जरूरत है अथवा नही मैंने उन्हें यही जवाब लिखते हुए बताया | की धर्म कोई दिखने की वस्तु नही है | धर्म क्या है लोगों ने जानने का प्रयास ही नही किया मात्र धर्म धर्म चिल्लाने लगे |
 
आज से दो दिन पहले मैंने दोदिन लिखा धर्म पर की आखिर धर्म है क्या जिसे ले कर लोट इतना आफत मचा रहे हैं की हमारा धर्म खतरे में है और विशेष कर बीजेपी और मोदी इस्लाम धर्म के विरोधी है आदि आदि |
 
दर असल बात यह नही की कोई किसी का धर्म का विरोधी हो, जब धर्म होता ही एक है फिर कोई किसी धर्म यह सभी बाते गलत है | प्रमाण के टूर पर देखें सृष्टि नियम से बंधे है धर्म | जैसा अग्नि क्या करती है ? जलती है, गर्मी देती है | क्या यह हिन्दू मुस्लमान ईसाई और किसी के लिये अलग है अथवा बराबर ? अग्नि किसी को जाना ही नही कौन हिन्दू है कौन मुसलमान ? अग्नि यह भेद न जानती है और न करती है |
 
उसका यह काम ही नही है, ठीक इसी प्रकार परमात्मा के पास कोई भेद नही है परमात्मा हिन्दू मुस्लिम में मानव को नही बाँटा – किन्तु अच्छे और बुरे में फर्क किया है बताया है आदि |
 
देखें आप के पास एक ग्राम सोने का कोई गहना है उसे कोई हिन्दू अथवा मुस्लिम वजन करेगा तो क्या कांटा सबको अलग अलग बताये गा अथवा, जितना वजन उसका है सब को बराबर बतायेगा ? उसके पास यह जानकारी नही है की यह कौन तौलने के लिये आया यह हिन्दू है अथवा मुस्लमान ?
 
सूरज को देखें श्रृष्टि के जितने भी चीजें है सब को देखें वह मानव मात्र को बराबर ही देता है और सब मानव समाज हो अथवा प्राणी मात्र के लिये सब उसका उपयोग करता है | कर रहे हैं, और करते आये हैं, व करते रहेंगे |
किस के साथ सूरज प्रकाश देने में भेद भाव किया है सब को बराबर प्रकाश गर्मी जो उसके गुण हैं वह सब को बराबर दे रहा है | अगर सूरज अपने गुणों को देने में भेद भाव करे तो परमात्मा पर दोष लगे गा करण सूरज ईश्वरीय है किसी व्यक्ति के बनाये हुए नही है | वरना वह अपने विरोधियों को नही देता |
 
जैसा कुरान में क्या कहा देखें >يٰٓاَيُّھَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِيْنَ عَلَي الْقِتَالِ ۭاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ عِشْرُوْنَ صٰبِرُوْنَ يَغْلِبُوْا مِائَـتَيْنِ ۚ وَاِنْ يَّكُنْ مِّنْكُمْ مِّائَةٌ يَّغْلِبُوْٓا اَلْفًا مِّنَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا بِاَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُوْنَ 65؀सूरा अनफल =आयत 65 اے نبی! ایمان والوں کو جہاد کا شوق دلاؤ (١) اگر تم میں بیس بھی صبر والے ہونگے، تو وہ سو پر غالب رہیں گے۔ اور اگر تم ایک سو ہونگے تو ایک ہزار کافروں پر غالب رہیں گے (٢) اس واسطے کہ وہ بےسمجھ لوگ ہیں ۔|
 
देखें अल्लाह ने कुरान में फ़रमाया ऐ नबी ईमानवालों को जिहाद का शौक दिलाव अगर तुम 20 ईमान वाले हो गे तो 200 काफिरों पर भरी पड़ोगे, इस वास्ते की वह बे समझ हैं |
 
यहाँ अल्लाह ने गैर मुस्लिमों को बे समझ बताया और मुसलमानों से कहा तू 20 हो तो 200 पर भरी पड़ोगे | तो आज धरती पर क्या हो रहा है वह दुनिया देख रही है |
पर मैं यह कह रहा था की जब अल्लाह मुसलमनों के हाथों गैर मुस्लिमों को सजा दिलाना चाहते है | तो ऐसा अल्लाह सूरज को बना कर गैर मुस्लिमों को किस लिये उपभोग करने को दे भला ? इस से यह बात स्पष्ट दिख रहा है की कायनात का बनाने वाला अल्लाह है ही नही | मैंने पहले भी लिखा हैं इन पर तो यहाँ अल्लाह ने फरक डाला मुस्लिम और गैर मुसलिमों में यह भेद परमात्मा के पास नही है |
 
यही कारण है की धर्म में बहरी पहचान की कोई भी जरूरत नही है, न आप को तिलक लगाने की जरूरत, उसमें भी किसी ने आड़ा लगाया, किसी ने खड़ा, किसी ने 111 लगाया, किसीने बिंदी लगाई | किसी ने लम्बी दाढ़ी रखी किसी ने छोटी करली | किसी ने टोपी लम्बी पहनी तो किसी ने गोल पहन लिया | किसी ने कपड़े में हाथ दल कर माला घुमाना चालू किया तो किसी ने सब के सामने ही माला घुमाया दुसरे से बातें भी कर रहे हैं और माला भी घुमाये जा रहे हैं | शस्त्र करों ने कहा की धर्म को पालन करने में अथवा धर्म पर आचरण करने में किसी भी बहरी पहचान की जरूरत ही नही होती | महेंद्रपालआर्य=वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =12/11/16

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