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न जाने लोग आज भी सच क्यों नहीं कहते ?

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न जाने लोग आज भी सच क्यों नहीं कहते ?

फुट बाल हाकी क्रिकेट,आदि जितने भी खेल हैं, जिसमें खिलाडी अनेक होते हैं पर खिलाने वाला रेफरी एक ही होता है | इसे देखकर भी अक्ल रखने वाले मानव नहीं समझते | न जाने कब आएगी इन मानव कहलाने वालों में अक्ल ?

मानव जीवन का सम्पर्क है सत्य से, अगर मानव कहलाने वाले सत्य से अपने को अलग करले फिर वह मानव, मानव नहीं रहेगा उसका नाम भी बदल जायेगा, प्रत्येक चीज का नियम बना है,   सृष्टि में ईश्वर, प्रकृति, और जीव, इन तीनों को लेकर ही धरती है, और इन तीनों के नियम बने हैं सब का अलग अलग नियम हैं | कोई किसी के नियम में अधिकार नहीं रखता |

जैसा ईश्वर से हम प्रारम्भ करते हैं, कारण वह जगत नियंता है, सबसे पहले इसके नियम को जानते हैं | परमात्मा सृजन कर्ता है उसकी यह रचना प्राणी मात्र के लाभ के लिए भोगने के लिए हैं | इससे लाभ लेने के लिए है उसकी रचना ले लाभ उठाने के लिए है दुरूपयोग करने के लिए नहीं | यह उपदेश परमात्मा ने इन मानव कहलाने वालों को दिया है, अगर मानव उससे काम न लें तो उस सृष्टि कर्ता का कोई दोष नहीं है, और न उसपर कोई दोष दे सकता है, अगर कोई ऐसा करें तो उसे अकलमंद नहीं कहा जा सकता, या तो वे मानव कहलाने के भी हकदार नहीं बनेंगे |

अगर मानव परमात्मा के बनाये सृष्टि से लाभ नहीं ले सका तो उसकी अपनी कमी है, अगर मानव उसका दुरूपयोग किया तो उसे ही भोगना पड़ेगा | यही कारण है परमात्मा ने मानव को सृष्टि में सबसे ज्यादा दातित्व दिया है और कर्म शील बताया है | कर्म करने में स्वतन्त्रता दिया है अपने अक्लसे काम लो सत्य और असत्य को जानकर ही काम लो सत्य असत्य पर विचार करके करो किसी भी काम को आदि |

परमात्मा के जो नियम है उसमें परिवर्तन नहीं हो सकता वह प्रथम से है और अन्त तक के लिए हैं उसमें कभी भी किसी भी प्रकार कोई परिवर्तन नही हो सकता यह उसकी नियम बनी हुई है,अगर मानव चाहे तो उसपर कोई हस्ताक्षेप भी नहीं कर सकता | सृष्टि का नियम उसी के अधीन है उस में किसी भी प्रकार परिवर्तन करना परमात्मा के मर्यादा के खिलाफ है | उसके नियम में कभी उलट फेर नहीं होता और उसपर किसी का हस्ताक्षेप सम्भव नहीं है | एक प्रमाण जैसा दिन कभी भी फौरन रात में परिवर्तन नहीं होगा उसके नियम का उलंघन है | जब वह अपने नियमों का बनाने वाला है तथापि वह अपने नियम का भंग नहीं कर सकता, कारण इसी का ही नाम नियम है, नियम बनाया जाता है बिगाड़ा नहीं जाता, परमात्मा का कोई भी नियम बिगड़ने का नहीं है |

अब कोई कहे की अल्लाह की मर्ज़ी है वह जो चाहे सो कर सकता है, यह मान्यता बिलकुल गलत है उसने ईश्वर को ईश्वरीय व्यवस्था को नहीं जाना |

ठीक उसी प्रकार प्रकृति के भी नियम बने हैं वे भी अपने नियमों को ठीक ठीक अनजाम देता हैं, उसमें परिवर्तन नहीं हो सकता आम के पेड़ में आम ही फलना, इमली का नहीं लगना,आम के पेड़ में आम ही लगना यही उसके नियम बंधे हैं |

दुर्भाग्य यह है की यह सब कुछ बना है मानवों को भोगने के लिए पर यह मानव अक्लमंद हो कर भी भोग नहीं पाया इसके लिए दोषी कौन है ? सच कहने को कोई तैयार ही नहीं है क्या कारण है, मैं तो डंके की चोट कहूँगा की जो दुर्घटना हुई माल गाड़ी से कट कर जो लोग मरे हैं उसपर लोग राजनीती कर रहे हैं किस लिए पता नहीं ?

मैं पूछना चाहता हूँ की वह लोग परेशान थे बिलकुल सत्य और ठीक बात है, पैसा नहीं था वह भी सत्य बात है पैदल चलकर घर तक जाने का मन बनाया यह भी सत्य बात है | पैदल पैदल आ रहे थे यह भी ठीक है | लेकिन मैं पूछता हूँ सभी मिडिया वालों से राजनेताओं से, की रात को सोने के लिए रेल की पटरी पर बिस्तर लगा लेना कौनसी अक्लमंदी थी ?

क्या वह लोग मानव नहीं थे अगर मानव थे, अपढ़ थे, तो इतना ज्ञान तो पशु पक्षियों को भी है की जिस तार में बिजली रहती है उसपर पक्षी कभी नहीं बैठती ? तो क्या यह जो मानव कहलाने वाले थे उन पशु पक्षियों से भी कोई ज्ञान नहीं लिया ?

सब मिलकर कोई सरकार को कोस रहे हैं, कोई प्रधान मंत्री को कोस रहे हैं जिसके मनमें जो आ रहा है बोले जा रहे हैं |  किन्तु सत्य क्या है सत्य बोलने के लिए न मिडिया में दम है और न नेताओं में | वह लोग चल रहे थे जब शाम हो गई थी रात देर तक चलते समय कोई स्टेशन देखा ही नहीं जहाँ इन्हें सोना चाहिए था ? आधी रात में रेल पटरी पर बिस्तर लगा लेना किस मानव कहलाने वाले का काम होना चाहिए ? यह सब पागल लोग हैं जिन्हों ने अक्ल को घाँस चरनेको भेजा, ऐसे लोगों के मरने पर कोई अफ़सोस नहीं करना चाहिए ऐसे लोग धरती पर बोझ ही हैं |

महेन्द्रपाल आर्य = 9 /5/20

 

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