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परमात्मा का पता वेद में है, अथवा पुराण में

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Mahender Pal Arya विष्णु प० जी आप ने ठीक कहा की मैं कौन हूँ यह आध्यात्त्मिक प्रशन है | जिस से आप कोसों दूर हैं | दूसरी बात है की मैं कौन हूँ यही तो कोई नहीं जनता ? अगर दुनिया के लोग इसी को ही जान लेते तो आज भटकने का क्या काम था ?

ऋषि दयानन्द जी ने जब गुरु विरजानन्द जी के कुटिया मेंआकर दस्तक दी , अन्दर से आवाज आई कौन ? दस्तक देने वाले ने कहा था मैं यही तो जानने के लिए आया हूँ की मै कौन हूँ ? यहाँ आप जो पुछ रहे हैं वह आप की नियत में खोट है कारण आप दिक् भ्रमित है औरों को भी दिक् भ्रमित करना आप का काम है ? कारण जिन्हें खुद को रास्ते का पता नही वह दुसरे को रास्ता बताने लगेंगे तो वह रास्ता सही नही हो सकता ?

आप बताना चाहते हैं की मेरा जन्म किसी मुस्लिम परिवार में हुवा =यानि जन्म से मै मुस्लमान हूँ | जो आप की नीचता आप अपने प्रोफाइल में भी डाला है ? यह तो दुनिया जानती गई की मेरा जन्म मुस्लिम परिवार में हुवा -कारण मैंने अपना कुछ भी डोकोमेंट छुपाया नही -अगर मेरे मन में कुछ खोट होती तो मै छुपा सकता था ? पर आपके घटिया सोच -और आप की नीचता सामने दिख गयी की आपने लिखा यह मुसलमानों ने इनको भेजा षड्यंत्र रच कर हिन्दू धर्म को बर्बाद करने के लिए ? यह कितनी गन्दी सोच है आप की -यह विचार जिनके पास हो वह कभी अध्यातम विचार के नही हो सकते | आगे की बात है की यह तो ठीक है की किसी मुस्लिम परिवार में मेरा जन्म हुवा आज मै जो कुछ भी हूँ वह मेरा परिश्रम -मेरी मेहनत -मेरा पुरषार्थ ही है |

किन्तु मै आपसे पूछना चाहता हूँ की मै मुस्लिम में जन्म लेने से पहले कहाँ था – यह आप को मालूम नही और न आप के बाप -दादा से लेकर 14 खानदान को पता है, कारण आप खुद भटके हुए हैं और आप जिस समाज की बात कर रहे है वह समाज ही भटका हुवा है ? आपने कहा की आप अपने अन्दर उसे विराट साकार रुपमे देखते हैं | मैंने यही तो कहा की जिसे आप देखते हैं तो जरुर आप बतासकते हैं की उसका रूप क्या है ? तो उसे दुनिया को बताने से भाग क्यों रहे ?

क्या आप नही चाहते की और लोग भी उस सत्य को जाने ? मतलब बिलकुल साफ है की आप नही जानते -विराट रूप बता कर परमात्मा के नाम से पाखंड फैला रहे हैं ? मै यही चुनौती फिर दे रहा हूँ आप हों और आपके जानकारों में कोई भी हो , परमात्मा को जो रूपवान मानते हैं उसे मेरे सामने प्रस्तुत करें ” और वह सिद्ध कर दिखाएँ की यह है परमात्मा का वह विराट रूप |

तो मै दावे के साथ कह रहा हूँ की मै बाकि जिन्दगी आप लोगों के चरण धोकर अपने को धन्य मानूंगा | मै असली मुस्लिम बाप का पैदा इस जन्म में हुवा हूँ यह मेरी वादा हैं आप लोगों से की मै अपनी बातों से हटूंगा नही |

अगर आप भी अपने असली हिन्दू बाप से पैदा हैं तो सामने आने में सत्य का उजागर करने में डरना नही चाहिए ? सामने आयें पूरी दुनिया वालों को बताएं की अपने असली हिन्दू पिता से बने परमात्मा को सही जानते हैं ? अथवा अपने बापके असली मुस्लिम परिवार में जन्म लेने वाले , परमात्मा को जानते है ?

ताके दुनिया वालों को भी पता लगे की पाखंड कहाँ है -वेद में पाखंड है अथवा पुरानों में पाखंड है ? वेद में परमात्मा की जानकारी है अथवा किसी और ग्रंथों में परमात्मा की जान कारी है ? आजाव अपने को प० बताने वाले सही में असली बाप के हो -असली पंडित हो =दुनिया को भी पता लगेगा – इतनी बड़ी चुनौती किसी ने भी नही दी होगी ?
यह मत समझना की मेरी चुनौती हिन्दू मुस्लिमों को है ? मेरी चुनौती असत्य और अधर्म के खिलाफ है | दिखादो अपनी पंडिताई दुनिया को =मै प्रतीक्षा में हूँ जब कहो मै इस चुनौती को स्वीकार करूँगा आजाव सामने तुमलोग कितने जानते हो उसका पता लगे | जिस वेद में परमात्मा को =रूप -रस -गन्ध -शब्द -और स्पर्श से अलग बताया जो आप लोग कई जन्मतक नही जान सकते ?

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