Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

पशुओं के खुनसे रंगेगी धरती

Share post:

 

हमारा नाम मानव है,इन्सान है,यह बात बिलकुल ठीकहै.हम अपने नामों को ढो रहे हैं, परन्तु  हमने यह जानने का प्रयास ही नही किया, कि आखिर हमारा नाम मानव किसलिए पड़ा ? यही अगर धर्म  है लोग अधर्म किसे कहेंगे ?

क्या खाने, पीने, उठने, बैठने, हाथ, पैर, आँख, कान, नाक, वाले का नाम मानव है, अथवा कपड़ा पहनने वाले का नाम मानव हैं ? क्या हमने कभी इस पर विचार किया है, कि आखिर हम मानव किस लिए और किस आधार पर अपने को मानते और कहते हैं मानव ?

भाई मानव किसी का नाम नही होता, अपितु मानव कहलाने वालों का जो कर्तव्य है उसे पालन करने वाले का ही नाम मानव होता है | जरा विचार करें,जिसे हम मानव कहते हैं,वही अगर लोकालय में अपना वस्त्र त्याग दे, लोग उसे पागल कहते हैं | अब यह मानव नही कहला सकता यही मानव उसे पागल कहने लगते हैं| पता लगा कि यही मानव जब अपना दिमागी सन्तुलन खोबैठे तो उसे लोग पागल कहते हैं |

ठीक इसी प्रकार वही मानव कहलाने वाला जब अपना स्वभाव को क्रूर बना लेता है, किसी पशु के गले में छुरी चलाता है, लोग उसे कसाई कहते हैं | यही मानव जिसके पास.हाथ पैर आँख, कान सब कुछ है उसके बाद भी उसे कभी पागल, और कभी कसाई के नाम से हम पुकारते हैं | मतलब बिलकुल साफ है कि मानव एक दायित्य पालन करने वाले को कहते है, अर्थात मानवता बोध जिसे है, मानवता का पालन जो करता है उसी को हम मानव कहते हैं | और इन्ही मानव के लिए सारा दायित्य कर्तव्य, जुड़ा है उसके उलंघन करते ही उसका नाम बदल जाता है | जैसा सिर्फ मानव ही है जो माता, पिता, भाई, बहन,अपना पराया का बोध रखता है | यह सौभाग्य अन्य किसी और प्राणी को प्राप्य ही नही हुवा, यही हमारा शास्त्र है हमें यही उपदेश दिया गया |

आहार निद्रा भयमैथुनं च सामान्यमेतत्पशुभिर्नराणाम् |

धर्मो हि तेषामधिको विशेष: धर्मेण हिना: पशुभी: समानः ||

यहाँ मानवों में और पशु में भेद बताया गया, कि मूल रूपसे, आहार,निद्रा, भय, मैथुन, यह चारों मनुष्यों में और पशुओं में बरा बर, {समानता} है, किन्तु मानव के साथ जुड़ा, धर्म, जो पशु नही जानता | और ना उसे पता है धर्म क्या हैं, अधर्म क्या है, यही बोध सिर्फ और सिर्फ मानवों को ही परमात्मा ने दिया है | पशु को नही मानवों में और पशु में यही भेद है अब यह मानव हो कर यदि पशुवत् व्यबहार {आचरण} करे लोग उसे जानवर तक कह देते हैं |

अब उसका नाम जानवर किस लिए पड़ा उसके आचरण से, उसके व्यबहार से, उसके कार्य से यहाँ भी पता लगा हम मानव अपने को तभी कह सकते कहला सकते हैं जब हमारा व्यबहार और आचरण मानव जैसा हो, अगर विपरीत हुवा फिर हम मानव ना होकर, दानव,पशु,पागल आदि नामों से परिचित होंगे | अब प्रश्न होगा,कि यह कर्तव्य बोध मानवों को किसने कराई? बिलकुल सीधा सपाटा जवाब होगा इन कर्तव्य बोध करने वाले का नाम परमात्मा है |

अगर कोई कहे अल्लाह नहीं है ? एक दम सीधा जवाब होगा नहीं | ध्यान से देखें, सुनें और विचार करें कि क्यों नही ? तो अल्लाह जानते तक नही है मानवता का जो प्रमाण दिया गया उपर | अल्लाह अगर इन मानवता को जानते मानवता का उपदेश देते, ना कि उसके विपरीत उपदेश, मुसलमानों को देते ? अल्लाह का उपदेश मानव मात्र को नहीं है सिर्फ मुसलमानों को है देखें |

जैसा कुर्बानी का आदेश अल्लाह का है किसके लिए है ? मुसलमानों के लिए,मुसलमानों को छोड़ कुर्बानी कौन मानव कहलाने वाले करते हैं ? देखें अल्लाह ने मुसलमानों को क्या हुक्म दिया कुरान में ?

حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنزِيرِ وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ بِهِ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيحَةُ وَمَا أَكَلَ السَّبُعُ إِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَأَن تَسْتَقْسِمُوا بِالْأَزْلَامِ ۚ ذَٰلِكُمْ فِسْقٌ ۗ الْيَوْمَ يَئِسَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِن دِينِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِ ۚ الْيَوْمَ أَكْمَلْتُ لَكُمْ دِينَكُمْ وَأَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِي وَرَضِيتُ لَكُمُ الْإِسْلَامَ دِينًا ۚ فَمَنِ اضْطُرَّ فِي مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّإِثْمٍ ۙ فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ [٥:٣]

(लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो (और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |

 

إِنَّمَا حَرَّمَ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةَ وَالدَّمَ وَلَحْمَ الْخِنزِيرِ وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ بِهِ ۖ فَمَنِ اضْطُرَّ غَيْرَ بَاغٍ وَلَا عَادٍ فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ [١٦:١١٥]

उसकी नेअमत का शुक्र अदा किया करो तुम पर उसने मुरदार और खून और सूअर का गोश्त और वह जानवर जिस पर (ज़बाह के वक्त) ख़ुदा के सिवा (किसी) और का नाम लिया जाए हराम किया है फिर जो शख़्श (मारे भूक के) मजबूर हो ख़ुदा से सरतापी (नाफरमानी) करने वाला हो और न (हद ज़रुरत से) बढ़ने वाला हो और (हराम खाए) तो बेशक ख़ुदा बख्शने वाला मेहरबान है |

अब यहाँ एक एक अक्षर मिला कर देखें कि अल्लाह का हुक्म मुसलमानों के लिए है अथवा मानव मात्र के लिए है ? महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक पावाकता =12/9/16 =

 

 

 

 

Top