Your cart

Smart Watch Series 5
$364.99x

Running Sneakers, Collection
$145.00x

Wireless Bluetooth Headset
$258.00x
Total:$776.99
Checkout
पाखण्ड करने वाले हर मजहब में हैं |

Mahender Pal Arya
06 Jul 20
277
|| पाखंड और पाखण्ड करने वाले हर मजहब में ||
यह लेख पिछले वर्ष का है | कल मेरे पेज में किसिने याद दिलाई |
अफ़सोस तो यह है की यह पाखंड करते हैं लोग धर्म के नाम से जब की धर्म में पाखण्ड का होना संभव नहीं है | धर्म तो मानव मात्र को सभो प्रकार के पाखण्ड से उपर उठाती है धर्म तो मानव को कुन्दन बनाता है जैसा एक स्वर्ण कार सोना परखने लिए एक पत्थर का प्रयोग करता है जिसे कसौटी कहते हैं की यह सोना असली है अथवा नहीं इसे परखने का काम करती है वह पत्थर |
ठीक इसी प्रकार मानव को कुन्दन बनाने के लिए भी धर्म वही पत्थर है जो मानव को परखता है | जैसा पत्थर सोना को परखता है ठीक उसी प्रकार धर्म मनव को परखता है |
धर्म में बनावटीपण नहीं धर्म में दिखावा नहीं धर्म में किसी बाहरी पहचान की ज़रूरत नहीं, की जटा जुट हो अथवा कंठीमाला हो या गले में दर्जन भर माला लटका हो तो लोग जानें बड़े धार्मिक व्यक्ति है |
अर्थात इस प्रकार ना टोपी लगाने वाला या दाढ़ी रखने वाला ही धार्मिक है यह बाहरी पहचान की कोई जरूरत ही नहीं है | धर्म आचरण का विषय है धर्म आंत्मा का विषय है मन चित्य अहँकार आदि से निर्लेप होने का विषय है और वह मानव मात्र के लिए है उससे मानव अलग हो ही नहीं सकता इसे जानना बहुत जरूरी है |
लेकिन आज सम्पूर्ण धरती पर सभी पाखण्ड धर्म के नाम से ही चलरहा है वह भी इसी मानव समाज में ही चल रहा है और धड़ल्ले से चल रहा है |
जैसा मैं देख रहा था दूरदर्शन के कई चेनलों में दिखाया और बताया जा रहा था, रथ यात्रा को ले कर | की उस रथ के रस्सी को जो हाथ लगाकर खेंचेगा उसके सभी पाप ख़त्म हो जायेंगे, उसका मोक्ष हो जायेगा उसे कभी जन्म लेना नहीं पड़े आदि आदि |
जब की यह बातें लोग जानते ही नहीं है की एक बार मोक्ष हो जाये तो उसे जन्म नहीं लेना पड़ता | यह बिलकुल असत्य है, कारण मोक्ष क्या है लोग जानते ही नहीं ? की मोक्ष का अर्थ क्या है, दर असल मोक्ष एक निर्धारित समय का नाम है, जितने समय तक यह जीवात्मा परमात्मा से आनन्द को प्राप्त करता है, उतने देर का नाम मोक्ष है |
अब हर एक जीवात्मा का बराबर कार्य नहीं है, अपने कर्मानुसार उतने समय के लिए परमात्मा आनन्द स्वरुप है, उस आनन्द को जितने देर तक जीवात्मा कर्मानुसार पाता है उसी का नाम मोक्ष है | उसके बाद जीवात्मा को फिर कर्म करने के लिए जन्म लेना ही पड़ेगा कारण एक धरती को छोड़ कर्म के लिए दूसरा कोई स्थान ही नहीं है | यही कारण बना की देवता भी तरसते हैं मोक्ष से वापस कर्म करने के लिए धरती पर आना चाहते हैं |
क्या यह बातें सत्य का होना सम्भव है के पाप से लोग मुक्ति पा जायेंगे ?
पहली बात तो यह है की पाप से मुक्ति कौन चाहेगा ? बिलकुल सीधासा जवाब होगा पापी यानि जो पाप करेगा वही उस पाप से मुक्ति या छुटकारा चाहे गा | मतलब यही निकला की पापी लोग ही यही सब काम करेंगे अन्य को इसकी जरूरत ही नहीं है |
पाप होता है पहले मनसे, उसके बाद होता है शारीर से,मन को साफ करने का जो सिस्टम है उसे लोगों ने जाना ही नहीं | शास्त्र का उपदेश है {मनः सत्येन शुद्धती} सत्य के ग्रहण से मन की शुद्धि होती है | और यहाँ सत्य को ही तिलांजली दिया है मानव कहलाने वाले |
मन को तो सत्य के नजदीक जाने ही नहीं दिया | अब यह रथ है क्या,एक मरे हुए परिवार को उनकी मरी हुई मौसी के घर ले जाते हैं एक सप्ताह के लिए | इससे बड़ा पाखंड और क्या है क्या मरे व्यक्ति कहीं भी अपनी महमानदारी में जा सकते हैं ? वाह रे मानव कहलाने वालों |
पर आप लोग यह मत समझना की यह केवल हिंदुयों में है ? नहीं नहीं यह हर मत पंथों में है एक को देखा देखि नक़ल एक दुसरे का किया है |
इस्लाम वाले भी जाते हैं हज करने के लिए इनकी भी मान्यता है की हज करने से पाप धुल जायेंगे हज करने वाला जैसा नवजात शिशु अभी दुनिया में कोई पाप किया ही नहीं- हाजी ठीक ऐसा ही हो जाता है यही मान्यता हैं इस्लाम की |
वहां जाकर एक पिलर को शैतान मान कर उसे कंकड़ मारते हैं | जब की वह शैतान नहीं है उसे माना जाता है, पाखंड क्या है वह देखें जो वस्तु जो नहीं है उसे मानने का नाम ही पाखण्ड है |
जैसा मैं लिखरहा हूँ लेपटोप में, इसे मैं रेलगाडी मानने लगूं तो लोग क्या कहेंगे,पागल ? यहाँ भी ठीक यही बात है जो शैतान नहीं है, उसे आप शैतान मानने लगोगे तो,आप भी पागल कहे जावगे खुद विचार करना | पशु काटना पापहै उसे पुण्य मानना ही पाखण्ड है और हाजी कहलाने वाले यही करते हैं |
ईसाइयों में भी यही बातें है इनकी मान्यता तो यह हैं की सभी ईसाईयों के पाप ईसा ने अपने ऊपर लिया औरों को पाप लगेगा ही नहीं |
इससे बड़ा पाखण्ड और क्या हैं ? हम मानव कहलाने वाले इसपर विचार करें और सत्य को ग्रहण करें और असत्य को त्यागें यही मानवता है =
महेन्द्र पाल आर्य – 5 /7 /19 पिछले वर्ष लिखा था यह लेख |