Your cart
Smart Watch Series 5
Running Sneakers, Collection
Wireless Bluetooth Headset
पाप से मुक्ति दिलाने का ठेका मजहबी दुकानदारों ने किया |
Mahender Pal Arya
|| पाप से मुक्ति पाने का वादा मजहबी ठेकेदारों का है ||
पक्ष दो है यह शाश्वत है, आदि सृष्टि से है और अंततक ही रहना है, जैसा धर्म, अधर्म, मानव, दानव, कृष्णपक्ष, शुक्लपक्ष, प्रकाश अन्धकार, रात और दिन, जन्म और मृत्यु, सही और गलत,इसी प्रकार पाप और पूण्य भी है |
पाप मानवों से होता है, कारण मानव अल्पज्ञ है, पाप मानव ही करता है, और पूण्य भी मानव करता है अर्थात मानव का जीवन दोनों पक्षों में है | इन मानवों में जो पूण्य आत्माएं है यानि जिन्हों नें देवत्व को प्राप्त किया है, अथवा जिन्हें देवता कहा जाता है |
यह बात भी याद रखना चाहिए देवता कोई आसमान से गिरते नही है यही मानव ही अपने कर्मों से देवता बनते हैं और राक्षस भी | जिन मानवों ने देवत्व को प्राप्त किया है वही पूण्यआत्मा कहलाते हैं जिन से पाप नही होता, और ना वह पाप करते हैं |
साधारण मनुष्य से ही पाप भी होता है और पूण्य भी,किन्तु जो मनुष्य अपने पूण्य कर्मों से देव कोटि में हो गये उनसे कभी पाप नही होता, और ना वह पाप कर्मों को करते हैं |
अब साधारण मानव पाप और पूण्य दोनों में जीवन जीता है कुछ जान कर पाप करते हैं, और कुछ अनजान में भी पाप कर बैठते हैं | आब इन पाप करने वालों ने धर्म के आड़ में पाप कर उससे छुटकारा देने दिलाने, और पाने का ठेका मजहबी ठेके दारों ने बताया है, की हमारे मजहब में हमारे दीन में, या हमारे धर्म में पाप से मुक्ति पाने का तरीका है, या हम ही पाप से मुक्ति दिला सकते हैं आदि, जैसी यह मान्यता ईसाई और इस्लाम वालों की है, अथवा मत पन्थ वालों का है |
यह मान्यता हर मत पन्थ वालों ने इन्ही मानव कहलाने वालों को अपने में जोड़ने का मिलाने का तरीका निकाला है | इधर मानव.जो विचारवाण, अकलवाला, हो कर भी उन्ही मजहबी दुकानदारों के चंगुलव् में फंसजाते हैं | और फिर अपने घर जहाँ उसने जन्म लिया था, उन्हें यह पराया बना लेते हैं, यहाँ तक की उनके जानी दुश्मन भी बन जाते हैं |
इसी पाप से मुक्ति पाने और स्वर्ग में भेजने का लोभ और लालच दे कर इन मजहबी दुकानदारों ने मानव समाज को आपस में लड़ाया है, एक दुसरे के खून के प्यासे तक बना दिये गया | आज आये दिन हम अखबार में पढ़ते और दूरदर्शन में सुनते ही रहते हैं, जो जीता जागता प्रमाण पश्चिम बंगाल के मालदा, और बिहार के पूर्णिया है | उससे पहले उत्तरप्रदेश का मुजफ्फर नगर और किराना का है या पुरे विश्व भरमें हमें देखने को मिलते हैं आदि|
अब देखें कोई कुछ भी कहे हम मानव होने के कारण,परमात्मा ने हमें दिमाग दिया है सोचने और समझने के लिए ही | तो सही में आज यह मानव कहला कर भी अपने दिमाग से सोच और विचार करते तो क्या हम मानव हो कर भी मानवता पर कुठाराघात करते ? सब मिला कर मानवता की हत्या करने में एक दुसरे को मात दे रहे हैं |
और इसे धर्म का नाम दे कर मानव को अपने चंगुल में फसाकर महज़ के नाम से अपनी दुकान ही चला रहे हैं, यह समझने को तैयार नही |
यह ईसाई लोग कह रहे हैं भले ही तुम्हारा जन्म कहीं पर किसी सम्प्रदाय में हुवा हो तुम ईसाई बन जाव बपतिस्मा ले लो यहोबा के शरण में आ जाव तुम्हारे सारे पाप खत्म हो जाएँगे पाप से मुक्त हो जावगे हेवेन {स्वर्ग} में चले जावगे जहाँ पर सभी प्रकार के सुख ही सुख मिलेगा, खाने पीने से लेकर अप्सराएँ तक मिलेंगे आदि |
इनके बात पर वह लोग फंसे है, जो सत्य और असत्य का परख नही करते, सही क्या है और गलत क्या है इसका बोध जिन के पास नही होता, मुफ्त खोरी में जो लोग विश्वास करते हैं, जीते जी न पा कर मरने के बाद ही जो लोग पाना चाहते हैं, जिसे मानव कहलाने वालों ने किसी ने देखा तक नही, उसी पर विश्वास करते है वही लोग इस लोभ और लालच में आकर यही सब काम करते है मरने मिटने, काटने, कटवाने में विश्वास करते हैं |
भले हि वह मानवता विरोधी क्यों ना हो उसे धार्मिक नाम दे कर आज मानव कहलाने वाले अक्ल को ताक पर रखते हुए इस काम को करने में न लज्जा, न भय, और ना ही कोइ संकोच करते हैं, और मानव की हत्या करने पर एक दुसरे को मात दे रहे हैं |
जिस प्रकार ईसाईयों ने कहा हमारे ईसाई धर्म को स्वीकार करोगे तो पाप से मुक्ति मिलेगी ही, और स्वर्ग में भी बहुत कुछ मिलेगा | ठीक इसी प्रकार इस्लाम वालों का भी कहना यही है की इस्लाम स्वीकार करो तो पाप से छुटकारा पा जावगे और जन्नत में बहुत कुछ मिलेगा, फल, मूल कन्द, से लेकर पवित्र शराब तक मिलेंगे | फिर शराब के साथ कवाब परिन्दों के गोश्त का, और शवाब भी, यानि वहां हुर {सुन्दरीस्त्री} सुन्दर लौंडे भी मिलेंगे जिसे गिलामन बताया गया है |
यह बहुत ही सुख और शांति की जगह है, एक बार सिर्फ ला ईलाहा इल्लाल्लाहू मुहम्मदुर रसूलल्लाह जुबान से पढलो दिल से इकरार करलो बस तुम्हारी.सीट पक्की दुनिया का कोई ताकत तुम्हें रोक नही सकता,की तुम्हारी पाप से तुम्हें मुक्ति न मिले | यानि तुम्हें पाप से तो मुक्ति मिलेगी ही और अल्लाह तुम्हें जन्नत नसीब करेंगे जहाँ यही सब कुछ तुम्हें मिलेंगे अथवा अल्लाह तुम्हें उपलव्ध करायेंगे आदि, जो कुरान में अल्लाह ने बहुत जगह वादा किया है | यह सब कब मिलेंगे ?
तो सब ने यानि ईसाइयों ने और मुसलमानों ने दोनों ने कहा भाई यह सभी मरने के बाद ही मिलेंगे उस से पहले नही | और यही अक्ल के दुश्मन लोग हैं की जिन्हों ने पाप, पूण्य को नहीं जाना, स्वर्ग,और नरक को भी नही जाना, और इस खयाली पुलाव पकाने और खाने में लग कर एक दुसरे को क़त्ल करने में आमदा हो गये, और इसे करके दिखा रहे हैं | जो आज़ आए दिन हमारे सामने सभी प्रकार के यही धर्म के नाम से घटनाएँ हो रही है, और हम मानव कहला कर मात्र मूक दर्शक बन कर देख व सुन रहे हैं |
यह समझने को तैयार नही, की पाप से मुक्ति कौन चाहेगा ? उत्तर मिला पापी, अर्थात यहसब के सब पापी लोग है जो पाप करते हैं और उसे बिना भुगते उससे मुक्ति छुटकारा पाना चाहते हैं | सही पूछें तो मानव समाज को इन्ही पापों में लिप्त किया यही सब मत, पन्थ वालों ने ही,मात्र अपनी दुकानदारी करने अपने मत को बढ़ावा देने के लिए अपनों में मिलाने के लिए ही महज़ मानव समाज को इस प्रकार. मानवों से लड़ने लडाने का ही काम किया है जो आज नजर के सामने हैं, जिसे देख कर भी मानव कहलाने वाले समझने को तैयार नही | और यह मान्यता लिए, अथवा पाले बैठे हैं, की हम अग्नि में हाथ डालें और हमारा हाथ जले भी नही | इसी का ही नाम अंध विश्वास है, कु संस्कार है, अन्धा परम्परा है |
यही मान्यता हिन्दू कहलाने वालों ने भी पाला है वह भी यही कहते हैं, की पाप तुम्हारा नष्ट हो जाये गा अगर एक बार तुम गंगासागर में नहा लो, इलाहाबाद में गंगा यमुना और् सरस्वती तीनों नदी का मेल जहाँ है उसी जगह नहा लो तो पाप से मुक्ति मिल जाएगी | यहाँ भी वही पापी लोगों का ही भरमार है जो पाप करें और भुगतना नही पड़े की मान्यता पाले हैं | यही समझ कर गंगा सागर में नहाते, और इलाहाबाद में नहाते, की हमारा पाप धुल जाय |
दुनिया के लोग कितने भोले हैं की पाप कर भी उसे भुगातना नही चाहते, मतलब यह हुवा की खा कर भी उसे बाहर करना नही चाहते, यानि मल मूत्र नही करना चाहने वाली बात हो गई | पर यह मान्यता हिन्दू कहलाने वालों की नही, यह इस्लाम का है की जन्नती जितने भी होंगे वह सिर्फ खायेंगे उन्हें निकालना नहीं पड़ेगा, यानि मल मूत्र आदि करना नही पड़ेगा, और शारीर यही मानव का ही होगा | है न अचम्भे की बात, कारण नामव शारीर वही होगा जिसमें, दो कान के छिद्र, दो नाक के छिद्र, दो आँख के छिद्र, और दो मल मूत्र के छिद्र, और एकगाल यानि मुह के छिद्र सब मिलाकर 9 छिद्र वाली शारीर मानव का है | किन्तु कुरानी अल्लाह अथवा मुसल्मानी अल्लाह के कुछ तकनीक अलग ही हैं की शारीर मानव का होगा किन्तू उसमें मल मूत्र के छिद्र नही होंगे | आज अगर जरूरत है तो इन्हीं सभी बातों पर विचार करने की जरूरत है, सही क्या है और गलत क्या है उस पर चिन्तन और मनन करने का है | परमात्मा का सबसे उत्कृष्ट सृष्टि है यह मानव हमारा विचार अगर मानव जैसा नहीं है तो क्या हम मानव कहलाने के अधिकारों बनेंगे ?
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक्प्रवाकता = 29 /11 /20 =