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बंगाल वालों में यह बदलाव किस लिये ?

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काला धन के रूप में नोटों की गड्डी और सोना बरामद हो रही है,जो काम राष्ट्रहित में है इससे बंगालवाले ना खुश सरकार का विरोध मटका लेकर जूलुस ।

नोट बंदी,अथवा नोट बदलाव को ले कर सम्पूर्ण विश्वभर में प्रधान मन्त्री जी की जो छबी बनी यह, इसकी प्रशंसा जितना भी किया जाय सभी प्रशंसा बौना है |

इस नोट प्रकरण में राष्ट्र को कितना लाभ मिला है उसे भारत में ही नही किन्तु सम्पूर्ण धरती पर रहने वाले देख और सुनकर इस कदम की तारीफ करने में लोग थक नही रहे हैं | और भारत विरोधियों का नाक में दम होने लगा है यह सभी बातें अहिस्ता अहिस्ता उजागर हो रहा है | अभी पाकिस्तान में एक व्यक्ति को आत्म हत्या करनी पड़ी जब की इस्लाम में आत्म हत्या करना हराम है | उसकी आत्म हत्या का कारण भारत की नोटों का बदलाव, जो भारतीय नोटों का ही कारबार करता था |

इस प्रकार अनेक घटनाएँ सामने देखने और सुनने को मिल रहा है, इससे भारतीय प्रधानमन्त्री जी की तारीफ हो रही है सम्पूर्ण विश्व के नामी गिरामी लोगों को पीछे छोड़ दिया श्री नरेन्द्रभाई मोदी जी ने | पीछे छुटने वाले ओबामा हो, पुतिन हो या कोई और | जो जानकारी मैगजीन दे रही है वह यही है |

यहाँ सारा काम मोदी जी ने राष्ट्र हित में ही किया है,और कर रहे हैं, यह सभी बातें बाहर के लोग देख कर मोदी जी की तारीफ कर रहे हैं |

किन्तु विरोध करने वाले अपने ही देश के लोग हैं, वह भी बंगाल प्रान्त वालों के द्वारा विरोध हो रहा है | जिस बंगाल प्रान्त ने राष्ट्रिय भावना से प्रभावित हो कर अंगरेजों के खून को पानी बनादिया था | अंग्रेज थर्राया 18 वर्ष के खुदीराम बोस की साहस और वलिदान को देख कर |

विनॉय, बादल, दिनेश, कोलकाता के राइटैरस बिल्डिंग बम कांड कर अपने नामों से { BBD } बाग अंगरेजों से नामकरण करवाया |

बंगाल का एक ही जिला मिदना पुर में इतने क्रांतिकारी हुए सब का नाम लिखने में 2000 पेज से भी ज्यादा लिखना पड़ेगा |

जिस बंगाल प्रान्त ने मात्र अपने राष्ट्र के लिये वलिदान दिया, उन्हें अगर चिंता रही तो मात्र अपनी राष्ट्र की चिंता थी |

आज उसी बंगाल प्रान्त में अचानक क्या हो गया , की राष्ट्र चिंता से हट कर लोग अपनी महत्याकंक्षॉ और स्वार्थपरता में डूब गये ?

बंगाल वालों से वह राष्ट्र भक्ति किसने छिनी, यह परिवर्तन क्यों और किस लिये हो गया ? बिलकुल सीधा सा जवाब है उन दिनों में लोग अपने राष्ट्र के लिये कामकरते थे | लोगों में राष्ट्र भक्ति ज्यादा थी, आज बंगाल के नेताओं ने बंगाल वासियों से राष्ट्र भक्ति ही समाप्त करवा दिया |

इसी बंगाल में 32 =और 33 वर्ष तक चीनपंथी विचार वालों ने शासन चलाया |
जो राष्ट्रभक्ति थी बंगाल के लोगों में | उन कम्युनिष्ट विचार धारा ने बंगाल वालों को राष्ट्र विरोधी बनाडाला | भारतीयता तो बंगला वालों ने भुला है, अथवा भुलादिया गया है |

उसकेबाद बंगाल को संभालने आई ममता जी, उन्हें भी कार्यकर्ता वही लोग ही मिले जिनलोगों ने राष्ट्रीयता को छोड़ चुके थे | 33 वर्ष तक जिन लोगों ने राज किया भले ही सत्ता परिवर्तन हुवा हो, पर कार्यकर्ता तो वही लोग हैं | काम करने के लिये बाहर से कहाँ से लोग लाते भला ?

चीन पंथियों नें सम्पूर्ण बंगाल में खेत खलिहानों से ले कर गाँव गाँव में वह अग्नेयासत्र पहुंचा दिया है जिसे कभी बाप, दादा ने भी नही देखा | बंगाल के पुरुलिया जिला में एक बार हवाई वाहनों से हथियार गिराया गया था शायद याद हो आप लोगों को |

अब बंगाल में काम करने के लिये अलग से कहाँ से किनको लाया जाता, लोग वही हैं सिर्फ लेबल बदला है, मानसिकता वही है, चेहरा भी वही है सिर्फ पताका बदला है | मेरे ही परिचितों में अनेक लोग हैं जो पहले cpm करते थे अब tmc करते हैं |
तो राष्ट्रीयता को नुकसान इससे हुआ है | अब बंगाल वालों में स्वार्थपरता ज्यादा है और राष्ट्र हित कम होने पर, खाली मटका लेकर यह दिखा रहे हैं लोगों को | की हमारी भरी हुई मटके को प्रधान मन्त्री जी ने खाली करवा दिया |

यह प्रधानमन्त्री जी की बहुत बड़ी भूल है की सिर्फ हमारे मटके को ही खाली नही कराई बल्कि हम जैसो ने जो, सोना से ले कर रुपयों से मटके भरे थे हम सब से यह खली करवा लिया | ना मालूम अब कब और कितने दिनों में फिर यह मटका भर पाएंगे ? महज इसी का ही प्रदर्शन बंगाल वालों ने किया है |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =7/11/16 =

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