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बन्दुक बम की लड़ाई छोड़ अब इल्म {विद्या}की लड़ाई के लिए सामने आव खुली चुनौती है
![Mahender Pal Arya](http://vaidikgyan.in/wp-content/themes/v-gyan/theme/img/others/qalam.png)
Mahender Pal Arya
अकबर अली अंसारी दुनिया का हर धर्म मानवता सिखाता है।
लेकिन आपने जिस धर्म को अपनाया है उसे आप भी …बाकी के लोगो की तरह…. ढाल बनाकर उसका इस्तेमाल प्राणी मात्र ही नहीं अपितु…. सम्पूर्ण सृष्टी के विनाश… के लिए प्रयोग कर रहे है।
ईश्वर , अल्लाह, गॉड , सब ऊपर वाले (परमात्मा)की ही प्रतिकृति उसमे भेद करना और उसको सिद्ध करने के लिए …कथित आसमानी… किताबो का हवाला प्रस्तुत करना , ईश्वर और सृष्टि के विरूद्ध है।
एक बार पुनः विचार करे, ….पंडित जी सम्पूर्ण मानव जाति के लिए सोचे …तथा इस धरती पर .प्राणी मात्र का जीवन जीते जी और मृत्यु के बाद भी …जहाँ वो जाएंगे उस जगह पर भी ईश्वरीय इच्छा के अनुरूप ही उनके साथ …बहुत अच्छा हो ..ऐसे ज्ञान का प्रसार अपने जीते जी ज़रूर करे।
साथ ही …दीन ए इलाही …की तरह ….आप भी कोई एक ऐसा ही… इंसानियत का मज़हब ….ज़रूर बनाये ….जिसमे दुनिया के ….हर मज़हब और…. ईश्वर की… सच्ची वाणी मौज़ूद हो। …इसके लिए …ज़रूरी नहीं ..की ईश्वरीय ज्ञान को सिद्ध करने के…लिए ….कोई मज़हबी..किताबी हवाले का सहारा हो… लेकिन जो भी सत्य ईश्वर का इस पृथ्वी पर मौज़ूद हो लिखित या अलिखित रूप में है वो सम्पूर्ण प्राणियों और मानव जाति के समक्ष …आपके माध्यम.. से प्रस्तुत हो ।
आपको भी 35 वर्ष ये सब करते करते हो चुके लेकिन जो क्रांति मानव जगत में ईश्वरीय सत्य के ज्ञान को लेकर होना थी वह अब तक न हो पाई..! कारण शायद आप ही मुझ से बेहतर जानते है।
मेरा ज्ञान आपके मुकाबले और तुलना में बहुत अल्प होने के कारण यह एक छोटी और कीमती सलाह है।
जिससे लोगो का जीवन बदल सकता है।
आप में भी दयानंद से भी अच्छा बनने की अटूट क्षमता है। क्योकि दयानंद जी के बाद अब तक इस धरती पर और कोइ दूसरा आपके जैसा व्यक्ति नहीं जन्मा है, इसलिए एक बार आप ज़रूर उस पर भी विचार करो।
अगर आप ऐसा करते है। तो सम्पूर्ण मानव जाति आपकी ऋणी रहेगी।
धन्यवाद्
ऐ रसूल तुम मोमिनीन को जिहाद के वास्ते आमादा करो (वह घबराए नहीं ख़ुदा उनसे वायदा करता है कि) अगर तुम लोगों में के साबित क़दम रहने वाले बीस भी होगें तो वह दो सौ (काफिरों) पर ग़ालिब आ जायेगे और अगर तुम लोगों में से साबित कदम रहने वालों सौ होगें तो हज़ार (काफिरों) पर ग़ालिब आ जाएँगें इस सबब से कि ये लोग ना समझ हैं | और देखो >