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बाईबिल के सृष्टि नियम को और देखें |

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|| बाईबिल के सृष्टि नियमको और देखें ||
चौथा दिन: सूर्य,चंद्रमा और तारागण को बनाया |
(14) फिर परमेश्वर ने कहा,”दिन को रात से अलग करने के लिए आकाश के अंतर में ज्योतियाँ हो ,और वे चिन्हों ,नियत समयों, और दिनों तथा वर्षों के लिए हों |
(15) वे पृथ्वी पर प्रकाश देने के लिए आकाश के अंतर में ज्योतियाँ ठहरें ”और ऐसा ही हो गया |
 
(16) तब परमेश्वर ने दो बड़ी ज्योतियाँ बनाई की उनमें से बड़ी ज्योति दिन पर प्रभुता करे और छोटी ज्योति रात्रि पर प्रभुता करे | उसने तारागण भी बनाये |
 
(17) परमेश्वर ने उन्हें आकाश के अंतर में इसलिए रखा की वे पृथ्वी पर प्रकाश दे,
 
(18) तथा दिन और रात्रि पर प्रभुता करें और उजियाले को अंधियारे से अलग रखें | और परमेश्वर ने देखा की अच्छा है |
 
(19) तब संध्या हुई, फिर सवेरा हुआ | इस प्रकार चौथा दिन हो गया |
नोट- बुद्धिपरख मानव कहलाने वालों आप लोग बाईबिल के परमेश्वर के द्वारा सृष्टि रचना किस प्रकार की गई या सृष्टि की रचना किस प्रकार हुई है ? बाईबिल अनुसार आप लोगों ने निरंतर मेरे द्वारा दर्शाए गए अथवा लिखे गए पोस्ट को निरंतर पढ़ रहें हैं |
उसमे कितनी विज्ञान विरुद्ध बातों को इस बाईबिल में लिखा गया है, लोग जिसे ईश्वरीय ज्ञान मानते है सही अर्थों में तर्क की कसौटी पर बाईबिल को देखा जाय तो ईश्वरीय ज्ञान का होना संभव है क्या ?
 
मेरे द्वारा creation of science वेद के आधार पर you tube में लगा हुआ है सृष्टि विज्ञानं के नाम सेविडिओ कृपया आप लोग उसे सुने और सत्य और असत्य का पड़ताल कर सत्य का धारण और असत्य का वर्जन करते हुए मानव कहलाने के अधिकारी बने |
क्योकि मानव का सत्य को धारण करना और असत्य का परित्याग करना यही मानवता है |
ऋषि दयानन्द ने आर्यसमाज के चौथे नियम में भी यही लिखा है |
महेन्द्र पाल आर्य 31/12/2015 को लिखा था आज फिर 27 /7/20 को डाला गया

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