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भारतियों ने सत्य को स्वीकारा कब ? भाग {2} 20 =6 =17

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भारतियों ने सत्य को कब स्वीकारा ? भाग {2 } 20-6-17

यह बातें लोगों को सुनना भी पसंद नहीं आता होगा, कारण सत्य जो है, हमारेलोगों की मानसिकता है सत्य के नजदीक जाना ही नहीं है, कारण सत्य कड़वी है |

बन्धुयों आखिर सत्य है क्या ? नीम है, करेला है, चिरौता है या और कोई कसैला वस्तु ?   सही पूछें तो सत्य इन वस्तुयों में नहीं है लोग जो समझते हैं | सत्य वह चीज है जो मानवों में निखार लाता है, सत्य वह चीज है जो परमात्मा को समझ पाने का पथ है,सत्य वह वस्तु है जो मानव को अन्धकार से प्रकाश में ले जाता है | सत्य वह वस्तु है जिसे धारण करने पर ही मानवों को मानव कहने का अधिकार प्राप्त होता है |

वैदिक संस्कृति में सत्य का बड़ा महत्व है सत्य से ही मानवों में निखार आता है, सत्य ही मानव मात्र के लिए जीवन में आचरण करने का उपदेश हर जगह ऋषि और मुनियों ने किया है | यह दुर्भाग्य है की हमने सत्य को धारण करने के बजाय उसे कड़वी कहकर अपने को सत्य से दूर कर लिया, या फिर सत्य को ही तिलान्जली दिया है |

हमारे ऋषियों ने उपदेश दिया मानव का जीवन परमात्मा को जानने तथा उससे अटूट सम्वन्ध बनाने का है | उसी परमात्मा के सानिध्य को पाने के लिए सबसे पहला सोपान है अहिंसा, हिंसा करने वाला कभी परमात्मा को जान ही नहीं सकता | एक अहिंसा ही है जो मानव को परमात्मा को जानने का रास्ता सिखाता है परमात्मा में और मानवों में जो अज्ञानता की दुरी है उसे हटाता है अहिंसा | अर्थात मानव जीवन का पहला लक्ष है अहिंसा, अर्थात हिंसा करने वाला कभी भी परमात्मा का सानिध्य को लाभ नही कर सकता |

आज सम्पूर्ण भारत भर मांस खाने को लेकर चलरहा है विवाद,भारत एक धर्मप्रधान देश है यहाँ सारे ऋषियों का आगमन हुवा और उन्ही ऋषियों का उपदेश जो मानव मात्र को मिला है आदि सृष्टि में | हिन्सा करना अमानवीय तरीका है हिन्सा करने पर परमात्मा का सानिध्य प्राप्त नहीं हो सकता |

अब भारत में महात्मा सन्यासी कहलाने वाले मरते दम तक गो मांस खाने लगे, गोमांस जिनका भोजन रहा | हमारे भारत वासी उन्ही को महान सिद्ध पुरुष बता रहे हैं, यहाँ तक की परमात्मा का निजी प्रतिनिधि अर्थात परमात्मा से जुड़ा हुवा परमात्मा को प्राप्त किया है जिन्हें बताया जा रहा है | जिनको रामकृष्ण परमहंस के नाम से जानते है या फिर उनके शिष्य को स्वामी विवेकानंद के नाम से जानते हैं | जिन लोगों का मुख्य भोजन ही मांस और मछली रहा उन्हें भारतीय कहलाने वालों ने परमात्मा का साधक मानलिया हैं |

मेरा प्रश्न होगा सम्पूर्ण उन भारतियों से वह बताएं की सत्य क्या है और किन का है ऋषि पतंजली ने कहा ईश्वर साधना में पहला कदम ही अहिंसा है, क्या यह उपदेश असत्य है, फिर मांसाहार करने वाला महात्मा का प्रतिनिधि क्यों और कैसा हो गया ?

यह मैं भारतियों के किये गये कार्नुमा बता रहा हूँ, जो सामने है, फिर भारतियों ने सत्य स्वीकार कहाँ किया कब किया किसका सत्य है ?

आज विश्व में उन्हें धर्म कहा जाता है इस्लाम और ईसाइयत को जहाँ मांस खाने का आदेश ही अल्लाह या गॉड का है | देखें कुरान में अल्लाह ने क़ुरबानी करने वाला पशु {जानवर } कैसा हो बताया है | कैसे जानवर काटना चाहिए और किस प्रकार के जानवर को नहीं काटना चाहिए जहाँ अल्लाह का ही हुक्म हो, तो अहिंसा की बात कहाँ है ? एक तरफ हिंसा करने वाला परमात्मा का सानिध्य नहीं पा सकता | और कुरान अनुसार पशु काट कर ही आल्लाह  को पाया जा रहा है फिर सत्य कहाँ है कौनसा है, किनके पास है सत्य, सत्य को जाना किसने सत्य पर आचरण करने वाले कौन है ?

حُرِّمَتْ عَلَيْكُمُ الْمَيْتَةُ وَالدَّمُ وَلَحْمُ الْخِنزِيرِ وَمَا أُهِلَّ لِغَيْرِ اللَّهِ بِهِ وَالْمُنْخَنِقَةُ وَالْمَوْقُوذَةُ وَالْمُتَرَدِّيَةُ وَالنَّطِيحَةُ وَمَا أَكَلَ السَّبُعُ إِلَّا مَا ذَكَّيْتُمْ وَمَا ذُبِحَ عَلَى النُّصُبِ وَأَن تَسْتَقْسِمُوا بِالْأَزْلَامِ ۚ ذَٰلِكُمْ فِسْقٌ ۗ الْيَوْمَ يَئِسَ الَّذِينَ كَفَرُوا مِن دِينِكُمْ فَلَا تَخْشَوْهُمْ وَاخْشَوْنِ ۚ الْيَوْمَ أَكْمَلْتُ لَكُمْ دِينَكُمْ وَأَتْمَمْتُ عَلَيْكُمْ نِعْمَتِي وَرَضِيتُ لَكُمُ الْإِسْلَامَ دِينًا ۚ فَمَنِ اضْطُرَّ فِي مَخْمَصَةٍ غَيْرَ مُتَجَانِفٍ لِّإِثْمٍ ۙ فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ [٥:٣]

(लोगों) मरा हुआ जानवर और ख़ून और सुअर का गोश्त और जिस (जानवर) पर (ज़िबाह) के वक्त ख़ुदा के सिवा किसी दूसरे का नाम लिया जाए और गर्दन मरोड़ा हुआ और चोट खाकर मरा हुआ और जो कुएं (वगैरह) में गिरकर मर जाए और जो सींग से मार डाला गया हो और जिसको दरिन्दे ने फाड़ खाया हो मगर जिसे तुमने मरने के क़ब्ल ज़िबाह कर लो और (जो जानवर) बुतों (के थान) पर चढ़ा कर ज़िबाह किया जाए और जिसे तुम (पाँसे) के तीरों से बाहम हिस्सा बॉटो (ग़रज़ यह सब चीज़ें) तुम पर हराम की गयी हैं ये गुनाह की बात है (मुसलमानों) अब तो कुफ्फ़ार तुम्हारे दीन से (फिर जाने से) मायूस हो गए तो तुम उनसे तो डरो ही नहीं बल्कि सिर्फ मुझी से डरो आज मैंने तुम्हारे दीन को कामिल कर दिया और तुमपर अपनी नेअमत पूरी कर दी और तुम्हारे (इस) दीने इस्लाम को पसन्द किया पस जो शख्स भूख़ में मजबूर हो जाए और गुनाह की तरफ़ माएल भी न हो (और कोई चीज़ खा ले) तो ख़ुदा बेशक बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है |

 

ध्यान देने योग्य बात है की यहाँ कुरान में अल्लाह ने खुद कहा कैसे कैसे पशु काटना चाहिए और कैसे नहीं ? फिर कौनसा रास्ता सही है, अल्लाह का उपदेश सही है अथवा ऋषि मुनियों के उपदेश सही है ? हिंसा करन सही है अथवा अहिंसा सही है ? इस सत्य कोजानने  का प्रयास कहाँ किया किसने किया ? ईश्वर उपदेश है अहिंसा =अल्लाह का हुक्म है पशु काटना | अब देखा जा रहा है दोनों ही विपरीत है फिर भी लोग कह रहे हैं ईश्वर अल्लाह दोनों एक है | तो सच क्या है किसने सत्य को कहा, जानना किसने चाहा सत्य को,और सत्य का प्रचार किसने की ? फिर कल लिखेंगे आज यहीं तक |                  =महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता |

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