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भारत ऋषियों का है इतिहास गवाह है |

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|| भारत ऋषियों का है, इतिहास शाक्षी है ||

अभी मात्र भारत में ही नही सम्पूर्ण धरती पर, एक उहापोह का वातावरण बनगया था भारत में, योग और उसका विरोध | पिछले दिनों मैं रेडिओ में समाचार सुन रहा था की 112 देशों में अगले 21 जून 15 को योग दिवस मना रहे हैं | इसे कहते हैं धर्म का जय, इस बात से यह पता लगा की दुनिया वालों ने इन बात को भली प्रकार समझने लगे है, की भारत में ऋषियों का दिया गया उपदेश आज विश्व में कारगर हो रहा है, अथवा यही योग परम्परा मानव शरीर को स्वस्थ रखने में रामवाण सिद्ध हुवा |

भारत के माननीय प्रधान मन्त्री जी ने सम्पूर्ण विश्व वासियों को यह बताने में सक्षम रहे, ऐ दुनिया के लोगों हमारे देश मे यही परम्परा ऋषियों का रहा है | हमारे ऋषियों ने अपना जीवन इसी में लगाया था | हम उन्ही ऋषियों के संतान कहलाते हैं हमारी यही परम्परा आदि सृष्टि से रही है | इसी भारत ने योग क्या है सम्पूर्ण मानव समाज को बताया, इसी योग को अपने जीवन में उतार कर श्री राम जी मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाये, और इसी योग को अपने आचरण में उतार कर श्रीकृष्ण जी योगेश्वर कहलाये |

अर्थात इस शरीर चर्चा को मानव समाज में पहुंचाकर मानव शरीर को निरोग रखने और प्रणायाम के द्वारा अपनी आयु को बढ़ाने का जो सन्देश हमारे ऋषि मुनियों ने दिया है उसे चरितार्थ कर ही हम ऋषियों के संतान ठहरे, उसे अपने जीवन में उतार कर ही हम मानवता की रक्षा कर सकते हैं | माननीय प्रधान मंत्री जी के इन महानतम सन्देश को, दुनिया वालों ने समझने का प्रयास किया, और उसे ही चरितार्थ करने के लिए 21 जून 15 को सभी 112 देशों ने स्वीकार किया भारतीय प्रधान मन्त्री जी का साथ देने का, या तो यह कहें सबने इसबात को कुबूला की निरोगरहने के लिए बिना औषधि के मात्र इस शरीर चर्चा से ही स्वस्थ रह सकते है |

 

श्रीमान प्रधान मंत्री जी ने भारत के उन स्वर्णिम इतिहास को दुनिया के लोगों को मात्र बताना नही चाहा अपितु उसे चरितार्थ कर दुनिया के लोगों को दिखाना चाहा, की दुनिया वालों हमारी ऋषि परम्परा को देखो और मानवता की रक्षा करो | मानवता की रक्षा हम तभी कर सकते हैं जब हमारी शारीरिक उन्नति और आत्मिक उन्नति हम कर लेंगे, जभी सामाजिक उन्नति हम कर सकते हैं |

माननीय प्रधान मन्त्री जी के साहस और कार्य शैली को हमारे सेना ने म्याह्मार में कर दिखाया इस से दुनिया के आतंकवाद थर्रा उठे दुश्मनों को मुह तोड़ जवाब दिया है हमारे सैनिकों ने,इसका भी श्रेय माननीय प्रधान मंत्री जी को ही जाता है | अब तक हम भारतियों का नेत्रीत्व, गूंगे, बहरे, अंधे, लोग ही करते रहे, अब भारत वासियों का सीना चौड़ा किया है हमारे प्रधान मंत्री जी ने | आज दुनिया के लोग आँखें फाड़ कर देख रहे हैं, की भारत के प्रधान मंत्री कितने सूझ, बुझ वाले हैं ? हम भारत वासियों.को.गौरम्बित महसूस करना चाहिए, की हमारी पुरानी परम्परा को,ऋषि, मुनियों की परम्परा को शुर वीरों की परम्परा को, श्रीमान नरेंद्र भाई मोदी जी ने दुनिया के उन लोगों को भी बता दिया की हमारे पूर्वज शेर को पकड़ कर उसका दांत देखा करते थे, हम उन्ही के संतान है |

हमें आँख मत दिखाव हम राम और कृष्ण के संतान है, की जिन्होंने असत्य और अधर्म के खिलाफ अपना, पराया भी नही देखा, और अन्याय को सहन भी नही किया | अगर ज्यादतीकी तो याद रखना की जब अन्याय हमने अपनों का भी नही सहा तो, तुमतो पश्चिमी हो, तुम रहते हमारे देश में हो, किन्तु हमारी किसी भी रीती रिवाज को तुम लोगों ने नही माना आज भी पश्चिमी चाँद को देखकर तुम सारा काम करते हो, पुरव की सूरज को तुमने देखा ही नही, जिस कारण सूर्य नमस्कार का भी तुम विरोध करते हो |

तुम लोगों को आज तक यह पता ही नही की सूर्य अगर अपनी किरणें देना बन्द करदे, तो तुम पश्चिमी चाँद को भी नही देख सकते |

तुम्हारी इस अहसान फरामोशी का क्या दाद दिया जाय ? तुम लोगों को मालूम नही की हमने दुनिया वालों को जीना सिखाया त्याग की भवनाओं के, साथ पर तुम लोग नही जानते त्याग को पढ़ो अपना इतिहास को | तुम अपने को बाबर, औरंजेब, के संतान मानते हो अपनों को, की जिन्हों ने राज गद्दी को पाने के लिए बाप को बंदी बनाया, भाई को भी कत्ल किया, जो कत्ल आज भी देखने को मिल रहा है ईरान, ईराक, अफ्गानिस्तान, और पाकिस्तान में |

 

हमारे पूर्वजों ने तो राजपाट को त्याग दिया, हमारी इतिहास को तुमने कभी पढ़ कर नही देखा, तुम तो काफ़िर, बेदीन, बेईमान, वाले मानते हो हमें | किन्तु आज तुम्हारी उस ईमानदारी को भी दुनिया के लोग देख रहे हैं की तुमलोग जिस थाली में खाते हो उसे ही छेद करते हो |

 

तुम्हारी यह ईमानदारी का मुखड़ा आज तुमने अपने आप ही खोल दिया, रहते भारत में हो और इसी भारतीय ऋषि परम्परा का विरोध करते जरा भी नही लजाते हो ? तुम्हारी मुसलिम पर्सोनल ला को ही अमल करते हो | हमारी महानता को देखो हम ने कभी भी तुम लोगों से यह नही कहा की जिसदेश में रहते हो वहां की परम्परा को आपनाव ?

रहते हिन्दू बाहुल्य मुल्क में, और अमल करते हो अपना व्यक्तिगत कानून | हम ने कब मना किया की मत मानों अपना कानून ? किन्तु तुम लोगों का कितना बड़ा दुस्साहस है की हमारी ऋषि परम्परा का विरोध तुम जैसे पश्चिमी चाँद पन्थी ही करने लगे ?

इसे ही कहा जाता है जिस थाली में खाए उसी में छेद करे | तुम लोगों का यही असली चेहरा है, की जिस मुल्क में रहते हो उसी मुल्क की संस्कृति का विरोध तुम लोग करते हो, कितनी लज्जास्पद बातें है ? तुम्हारा व्यक्तिगत कानून है, क्या उसपर तुम लोगोंने अमल किया कभी ? क्या चोरी करने पर हाथ काटते हो ? क्या डाका डालने वाले का हाथ और पावं काटते हो ? सौ कोड़ा लगाते हो ? अथवा व्यभिचार करने पर उसे सिना तक मिटटी में गाड कर पत्थर मार मार, कर मार डालते हो ? फिर तुमलोगों का पर्सोनल ला क्या है ? मात्र हमारी संस्कृति का विरोध करने वाली संस्था है तुम्हारा यह पर्सोनल ला बोर्ड ? अब तुम्हारी यह अहसान फरामोशी सहन के काबिल नही है, दुसरे के घर में पत्थर ना मारो, अपनी बिरासत अफगानिस्थान, और पाकिस्तान को ही संभाल लेते | तुम्हारे पाकिस्तानी उच्च आयोग में भी लोगों को तुम योग करते ही देखोगे अगले 21 जून को | शायद यह भी तुम लोगों को मालूम नही, यहाँ उस योग का विरोध करने से तो यही अच्छा होता की जिन जिन, इस्लाम के मानने वालों ने समर्थन किया उन्ही का विरोध करते ? पर तुम्हारी शिक्षा ही मकर{धोखा} करने की ही है, कारण तुम्हारे अल्लाह का ही यही फरमान है |  वमकारु व मकाराल्लाहु वल्लाहु खैरुल माकेरेन,मकर करते हो तुम और मैं भी मकर करता हूँ |

महेन्द्रपाल आर्य,वैदिक प्रवक्ता,दिल्ली10 / 6 / 15 लिखा था, आज दुबारा डाला हूँ | 12 /11 /20 =

 

 

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