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भारत के छुटभैये नेतओं में बेचैनी का कारण ?

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भारत के छुटभैये नेताओं  में बेचैनी का कराण ?
भारत के छुटभैये नेतागण प्रधान मंत्री मोदी जी से परेशन इस लिए हैं की अब तक यह सम्मान भारतीय किसी भी प्रधान मंत्री को नहीं मिली थी, जो सम्मान श्री प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी को मिला है |
 
अभी देखियें ना जहाँ 52 देशों से, देश के संचालन कर्तागण पहुंचे है यह सम्मान भी उन्हें नहीं मिला | तो पीछे की बातें क्या है, हमारे देश के कुछ झोला उठाने वाले भी नेता है जिन्हें किसी और पार्टी में भी कोई पूछने वाले नहीं हैं वह उन्हें अपने नेता मान लिया जिसे ना भारत का पता, ना भारतीयता का पता,और भारत देश क्या है भारतवर्ष किसे कहते हैं उसकी जानकारी मां बेटे दोनों को ही नहीं |
 
यह दशा कांग्रेस पार्टी के जन्म काल से ही है, कारण यह कांग्रेस पार्टी अंग्रेजों की बनाई हुई है | अंग्रेजों ने जब देखा की अब हमारा अथवा हम लोगों का रहना संभव नहीं होगा, तो उन्हों ने लोभी औरं लालची पदलोलुप भारतियों को एक लालीपाप रूपी राजनीती पार्टी बनाकर धरा दिया | यही कह कर लो बेटे अब यही चूसते रहो |
 
आज भी वही लालीपाप रूपी राजनीती कांग्रेस वाले चूस रहे हैं, जहाँ स्वार्थ की राजनीती है स्वार्थी लोगों से अपना नाता अनेक देश बक्तों नें तोड़ लिया जिसमें सब से बड़ा नाम स्वामी श्रद्धानन्द जी का है | जो उसी अंग्रेजी काल के एक वीतराग सन्यासी थे | उन्होंने मात्र कांग्रेस ही नहीं, बल्कि मोहनदास कर्मचाँद गाँधी का भी साथ छोड़ा |
 
यद्यपि आज भी आर्य समाजी कहलाने वाले कई मिल जायेंगे जो स्वामी श्रद्धानन्द जी से अपने को ज्यादा बड़ा आर्य समाजी मानते हैं और कांग्रेस में अंग्रेजों का दिया लालीपाप को चूस रहे हैं | मैं किनका किनका नाम बताऊंगा आप लोग भी जानते ही हैं |
 
आज वह आर्य समाजी कहलाने वाले स्वामी श्रद्धानन्द जी को पीछे छोड़ने की होड़ में आकर उसी का झोला उठाया जिसे बोलने की तमीज नहीं जो यह नहीं जानते की हमारा देश का गरिमा क्या है और किस लिए हैं ?
 
जिस ऋषिदयानन्द अंग्रेज वाइसराय को कहा था मित्र वत आचरण करने वाले विदेशी राजा से अच्छा होता है, शत्रु वत आचरण करने वाला अपना देश का राजा | शयद यह आर्य समाजी कहलाने वाले लोग ऋषि के इन वाक्य को भूल चुके होंगे, या फिर आर्य समाज को धोखा दे रहे होंगे |
 
मैं कहरह था एक देश की महारानी ने किसी की अगवाही की तो वह अभी गये भारत के प्रधान मन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अगवाही खुद करने लगी | यह सम्मान प्रधान मंत्री जी की नहीं बल्कि यह हम सभी भारत वासियों का सम्मान है | और यह हमारे प्रधान मन्त्री जी ने अपने भाषण में भी कहा है इस बात को |
वहां रह रहीं भारतीय महिला संगठन के संचालन करने वाली महिला ने खुत भी कही इस बात को यही तो भारत का गौरव गाथा है |
 
हमारे भारत के छुटभैये नेता क्या जानेंगे की सम्मान क्या होता है ? जिन्होंने जिन्दगी में कभी न देखा और न कभी इससे पहले सुना था | तीसरा चौथा मोर्चा बनाने की बात करने वालों की तो यह दृश्य देख कर आँखें चुन्धवा गई | या तो आँखें खुली की खुली रह गई, कारण इसप्रकार का सम्मान पहले कभी भारतीय मंत्रियों का हुवा ही नहीं | इन भारतीय नेता कहलाने वाले इसे नज़र से देख कर ही परेशां हो रहे हैं |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता = 20 =4 =18

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