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भारत में इस्लाम को लेकर आया सूफीवाद ने ही ||

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|| भारत में इसलाम को ले कर आया सूफीवाद ने ||
|| प्रधान मंत्री जी द्वारा सूफीवाद के कार्यक्रम का उद्घाटन दुर्भाग्य पूर्ण ||
भारत के लोगों का भोलेपण कहें अथवा उदारवादिता कहें, इसी ने भारत में इस्लाम को जन्म दिया | कुछ गिने चुने लोगों ने ही भारत में इसलाम को फैलाया भारत में, इसका मूल कारण है आर्यकहलाने वालों की अदुर्दार्शिता | अथवा हिन्दू कहलाने वालों की अपरिपक्वता, जिस कारण आज उन्हीं भारत के मूल निवासियों आर्यों को इसलाम वालों द्वारा विदेशी कहा जा रहा है अथवा विदेशी सुनना पड़रहा है| वह भी मुसलमानों से, जो इसलाम अरब से आया उसी इस्लाम के मानने वाले कह रहे हैं यह भारत मोदी के बाप का नहीं है | टीवी चेनल में बैठ कर अबुआज़मी समाजवादी पार्टी का नेता कह रहा है इस बात को |
विदेश से इसलाम आया या अरब से इस्लाम आया यह आज तक का इतिहास है, इस्लाम का बोल बाला यही सुफी कह्लाने वालों ने ही भारत में विस्तार किया | अनेकोँ हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा जिस कार्य को इस्लाम जन्म से करता आया है | इसी इस्लाम से टक्कर लिया अथवा भारतीयों को मुसलमान बनने से रोका या बचाने का कार्य किया और इस्लाम से लोहा लिया, गुरु अर्जुनदेव से लेकर गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविन्द सिंह से बाँदा वैरागी तक |
इस लिए मैंने अपने छोटा सा वीडियो में बोला की अगर सूफीवाद शांति का प्रतीक है तो गुरुतेग बहादुर का वलिदान, उनके पुत्र गुरुगोविन्द सिंह का वलिदान, गुरु गोविन्द के चार पुत्रों का वलिदान, वीर हकीकत राय का वलिदान, भाई मोतीदास, भाई सतीदास का बलिदान के लिए दोषी कौन है ? क्या सूफीवाद ने इसका विरोध किया था ? की मत मारो हम शांति के दूत हैं हम भारत में शान्ति की स्थापना चाहते हैं ?
क्या सूफीवाद कुरान की इन आयातों को छोड़ सकते हैं जहाँ गैर मुस्लिमों को मारो क़त्ल करो की बात की गई |
وَاقْتُلُوهُمْ حَيْثُ ثَقِفْتُمُوهُمْ وَأَخْرِجُوهُم مِّنْ حَيْثُ أَخْرَجُوكُمْ ۚ وَالْفِتْنَةُ أَشَدُّ مِنَ الْقَتْلِ ۚ وَلَا تُقَاتِلُوهُمْ عِندَ الْمَسْجِدِ الْحَرَامِ حَتَّىٰ يُقَاتِلُوكُمْ فِيهِ ۖ فَإِن قَاتَلُوكُمْ فَاقْتُلُوهُمْ ۗ كَذَٰلِكَ جَزَاءُ الْكَافِرِينَ [٢:١٩١]
और तुम उन (मुशरिकों) को जहाँ पाओ मार ही डालो और उन लोगों ने जहाँ (मक्का) से तुम्हें शहर बदर किया है तुम भी उन्हें निकाल बाहर करो और फितना परदाज़ी (शिर्क) खूँरेज़ी से भी बढ़ के है और जब तक वह लोग (कुफ्फ़ार) मस्ज़िद हराम (काबा) के पास तुम से न लडे तुम भी उन से उसजगह न लड़ों पस अगर वह तुम से लड़े तो बेखटके तुम भी उन को क़त्ल करो काफ़िरों की यही सज़ा है | बकर =191 وَقَاتِلُوهُمْ حَتَّىٰ لَا تَكُونَ فِتْنَةٌ وَيَكُونَ الدِّينُ لِلَّهِ ۖ فَإِنِ انتَهَوْا فَلَا عُدْوَانَ إِلَّا عَلَى الظَّالِمِينَ [٢:١٩٣]
और उन से लड़े जाओ यहाँ तक कि फ़साद बाक़ी न रहे और सिर्फ ख़ुदा ही का दीन रह जाए फिर अगर वह लोग बाज़ रहे तो उन पर ज्यादती न करो क्योंकि ज़ालिमों के सिवा किसी पर ज्यादती (अच्छी) नहीं | बकर 193 =
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ حَرِّضِ الْمُؤْمِنِينَ عَلَى الْقِتَالِ ۚ إِن يَكُن مِّنكُمْ عِشْرُونَ صَابِرُونَ يَغْلِبُوا مِائَتَيْنِ ۚ وَإِن يَكُن مِّنكُم مِّائَةٌ يَغْلِبُوا أَلْفًا مِّنَ الَّذِينَ كَفَرُوا بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَفْقَهُونَ [٨:٦٥]
ऐ रसूल तुम मोमिनीन को जिहाद के वास्ते आमादा करो (वह घबराए नहीं ख़ुदा उनसे वायदा करता है कि) अगर तुम लोगों में के साबित क़दम रहने वाले बीस भी होगें तो वह दो सौ (काफिरों) पर ग़ालिब आ जायेगे और अगर तुम लोगों में से साबित कदम रहने वालों सौ होगें तो हज़ार (काफिरों) पर ग़ालिब आ जाएँगें इस सबब से कि ये लोग ना समझ हैं | अनफाल 65

क्या सूफीवाद कुरान की इन आयातों को हटा सकते हैं या इन आयातों को छोड़ सकते हैं ?
फिर यह कहना की सूफीवाद तो शांति का प्रचारक हैं | इसलाम के खिलाफ सूफीवाद नहीं जा सकते कुरान सभी इस्लाम वालों को मानना पड़ेगा, अब वह सूफी हों अथवा कोई भी मुसलमान कहलाने वाले हों | हाफिज सयीद हो सैयद सलाह उद्दीन हो, मौलाना मसूद अजहर हो, अलकायदा वाले हों, लश्करेतौय्बा हो, जमीयते इसलामी हिन्द हों, अथवा जिन्हें भारत वासी अलगाव वादी कह रहे हैं उन कश्मीरियों को, यह जितने भी है सबको इसी कुरान पर ही अमल करना पड़ेगा उससे अलग कोई नहो हो सकते |
माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा सूफीवाद के कार्य क्रम का उद्घाटन दुर्भाग्य पूर्ण है, वह भी उस समय जब यही इस्लामी पाकिस्तान से भारत की तनातनी चल रही हो ऐसे समय में |
यह है इसलाम भाइयों जिसे जानना बहुत जरूरी है |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता = =2 =3 =19

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