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मजहब मानवों को दिमाग से पैदल कर देता है |

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मजहब इन्सान को दिमाग से पैदल करदेता है ||
मजहब दिमाग में घुसते ही,बुद्धि बाहर,कारण धर्म और मजहब में भेद क्या है इसे न जानकर मजहबी जूनून दिमाग में घुसजाता है और यहाँ तक की उसी मजहब के चलते मरने मिटने को तैयार हो जाते हैं | जिसका जीता जगता प्रमाण आज धरती पर हम कहीं भी देख सकते हैं,यह मजहबी जूनून लोगों को अँधा बना देता है |
इसके अनेक उद्हारण हमारे भारत में है,मंदिर ,मस्जिद का झगडा क्या है, श्री नगर का हज़रत बाल क्या है,लोगों ने आजतक यह जानने का प्रयास ही नहीं किया,की सत्य को जानें की आखिर बाल किनका है ,शारीर के किस हिस्से का है ? उस बाल से लोगों को मिलना क्या है.मानव समाज का कौन सा काम आनेवाला बाल है ? इसपर विचार करने को लोग तैयार नहीं,जिस बाल की सुरक्षा में न मालूम भारत सरकार को कितना खर्चना पड़ रहा है,इससे देशका मानव समाज का क्या कल्याण हो रहा है, या होनेवाला है ?
यह सभी वही मजहबी जूनून ही है,सरकार भी हमारी पागल ही है,की जिसका बाल है उसी को दे दे कमसे कम उसकी हिफाज़त में जो खर्च हो रहा है, जो भारत की जनता का है उस पैसे को हम बचा
 
यही बाल को लेकर न मालूम पिछले दिनों में भारत को कितना अस्थिर होना पड़ा था | यही मजहब है ,इसीका नाम मजहब है इसीको मजहबी जूनून कहा जाता है |
डेनमार्क नामी देश में किसी ने किसी का चित्र बनाया उसे लेकर भारत वासिवों को परेशान होना पड़ा, मेरठ का एक जन प्रतिनिधित्व करने वाला याकूब कुरैशी,जिसका नाम,जो चुनिन्दा MP ने क्या क्या कहा, सम्पूर्ण भारत को अस्थिर करदिया,कहीं कहीं राष्ट्रीय स्मारक को तोडा गया यह क्या है इसीका नाम मजहबी जूनून है, यह मानव कहलाने वाले जब किसी मजहब के खूंटे में बन्ध जाते हैं तो उसमे भौंकने और काटने की बृत्ति उत्पन्न होजाती है, पड़ने लिखने के बाद भी मजहबी चौकीदार बनकर मानवता पर कुठाराघात करने में संकोच ही नहीं करते | तो ऐसे पढने लिखने से क्या फायदा, की जब उस पढाई से काम न लिया जाये, दिमागी विकास के जगह दिमाग पर पर्दा डाला जाये, जिससे की हम मजहब और धर्म के भेद को भी न जान सके |
 
उन दिनिं में डेनमार्क में हुवा था वही घटनाअभी फ्रान्स में हुवा पहले की घटना से किसी ने कोई शिक्षा मानवता का नहीं लिया और न इनके लिए लेना सम्भव है कारण इसी का ही नाम तो मजहब है | मात्र फ्रान्स में ही नहीं अब सम्पूर्ण विश्वमें यही ताण्डव शुरू हो गया |
भारत में भी जो अपने के शायर कहता है भारत सरकार द्वारा सम्मानित भी है ऐसे लोग भी इसी पर मोहर लगा रहे हैं | मानवता को भी टाक पर रख दिया है इन मजहबी जुनून ने, इसी महरबानी का नाम ही है मज़हब मजहब इन्सान को इंसान रहने नहीं देता, मानवता से ह्तादेता है यही मजहब |
धर्म और मजहब में भेद क्या है यह जानना भी मानव का ही काम है, अगर हम मानव कहलाना चाहेंगे तो हमें धर्म पर आचरण करना पड़ेगा, न की मजहब पर इस लिए भी धर्म और मजहब के भेद को जानना ज़रूरी होगया मनुष्य मात्र को | जिसका सारा नचोड़ मै प्रस्तुत कर रहा हूँ |
 
यद्यपि प्रथम में मै धर्म पर कुछ चर्चा कर आया हूँ फिर भी विस्तार से लिखूंगा की धर्म क्या है ? धर्म मानव के निर्मित होते हैं या परमात्मा के, धर्म सम्पूर्ण मानव जाती के लिए होता है अथवा किसी वर्ग या सम्प्रोदय के लिए होता है ? पति और पत्नी के लिए, या पिता पुत्र के लिए धर्म अलग होता है क्या ?
 
धर्म का परिभाषा क्या है,जिस को दर्शा रहा हूँ | किसी व्यक्ति विशेष द्वारा बताई व चलाई गई पूजा पद्धतियो व वेशभूष के आधार पर एक –एक सम्प्रदाय विशेष की स्थापना कर ली गई और उसे ही धर्म का नाम दे दिया गया | जैसा, इस्लाम, इसाई, सिख, बोद्ध, जैन. बहाई, आदि और इसी को आधार मानते हुए लोग अपने लेखन व भाषणों में कहा करते है की भारत वर्ष में अनेक धर्मो के लोग निवास करते है | वास्तव में यह धर्म नहीं सम्प्रदाय है,पन्थ है, इसी पंथवाद ने मानव को मानव रहने नहीं दिया और इसे जुनूनी बनाकर सम्पूर्ण धरती पर पाण्डव मचा रहे हैं |
मानव समाज को इसपर विचार करना होगा मानवता की रक्षा के लिए सभी मानवतावादियों को एकत्र होना पड़ेगा तभी हम और आप मिलकर ही इस मानवता की रक्षा कर सकते हैं इस कां को करने के लिए आज ही प्रतिज्ञा करें |
धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य =5 /11 /20

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