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मजहब ही सिखाता है एक दुसरे से झगडा |

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मजहब ही सिखाता है झगडा ||
आयें हम विचार करते हैं की मजहब ही झगडा कैसे सिखाता है ? इसपर मैं 37 वर्षों से बोलता और लिखता आ रहा हूँ | भले ही अल्लामा इकबाल ने यह बोला होगा, मजहब नहीं सिखाताआपस में बैर रखना |
 
यही इकबाल खुद एक मजहबी जुनून वाला व्यक्ति था, यह बात आजतक हमारे भारत वासियों के समझ में नहीं आई | और सेकुलरवादी क्या समझेंगे, कारण सेकुलरवाद तो अपना दिमाग को गिरवी रख दिया चाइनीज विचार धारा के पास |
 
अगर इकबाल सही था और उसका यह तराना सही था,की हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दुस्तान हमारा | अगर यह बात उसकी सच्ची थी तो वह पाकिस्तान न जाता और उस तराना को भी नहीं बदलता | भारत में रहते उसने हिन्दी है हम वतन है हिंदुस्तान हमारा बोला |
 
पाकिस्तान जा कर इसे बदल दिया, मुस्लिम है हम वतन है सारा जाहाँ हमारा बोला | हमारे भारत के सेकुलरवादी कहलाने वाले आज तक इसपर चिंतन नहीं कर रहे हैं | और न अपनी इस झूठ को छोड़ना चाहते हैं, इस झूठ को देख कर सुनकर समझना नहीं चाहते |
 
खुद न समझे किसी को परेशानी नहीं है कित्न्तु परेशानी तब है जब इसी झूठ को दूसरों पर भी थोंपना चाहते | खुद तो न समझी कर ही रहे है औरों को भी न समझ बनाने में लगे हैं | और टीवी चेनल वाले उन्हें बुलाकर इसी झूठ को सम्पूर्ण मानव समाज में परोस रहे हैं उन्हें कोई रोकने वाला ही नहीं है |
 
यह लोग मानवता पर कुठाराघात कर रहे हैं, मानव को सच बताने के बजाय मानव समाज में झूठ परोसकर हमारे छोटे छोटे बच्चों की जिन्दगी बिगाड़ रहे हैं | साथ ही हमारे जितने भी लेखक और गवेषक हैं वह भी भारतीय परंपरा में इसी असत्य को लिखकर पाठ्य पुस्तक में गलत सिख कर सामने प्रस्तुत कर रहे हैं |
 
इन झूठों को कौन रोके सवाल यहाँ है हमारी शिक्षा नीति बहुत वर्षों से इन चीन पंथीओं के पास है | यही तो कारण बना भारत तेरे टुकड़े होंगे का नारा लगा है | और कोई कह रहा है आसाम का हिस्सा काट दो भारत से, यह कौन लोग हैं ?
 
हमें अपनी गलती को सुधारना होगा जो पाठ हम पढ़ रहे हैं इसे हटाना पड़ेगा इन गलत पाठों से हमारे बच्चे सत्य से दूर होते जा रहे हैं, बहुत गलत हो रहा है |
 
अकबर को महान बताया जा रहा है पढ़ाया जा रहा है, लेकिन अकबर के बारे में यह कोई लिखने कहने को तैयार नहीं की अकबर ने किरणमयी का हाथ पकड़ ने पर किरणमयी ने जब भुजाली निकालकर पेट में मारना चाही तो पैर पकड़ कर माफ़ी माँगा तब अकबर की जान बची |
 
हमारे बच्चों को यह पढाया नहीं जा रहा है और न इस सच्चाई को लिखा जा रहा है, कारण पढाया तो वही जायेगा जो लिखकर आएगा या पुस्तम में दर्शा दिया है |
 
कौन रोके इसे किसपर है यह जिम्मेदारी ? बहुत ही दुखद स्थिति है सोचना भी असम्भव लग रहा है | भारत वासियों इसपर जरुर आप सभी विचार करना मैंने अपनी बात अप लोगों तक पहुँचा दी |
धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य-27 /8 /20

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