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ममता बनर्जी को चाहिए इमाम बरकती को अभी लन्दन भेजें

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|| ममता बनर्जी को चाहिए इमाम बरकती को अभी लन्दन भेजें ||

क्या आज भी हम बृटिश राज्य में जी रहे हैं ?

कल 12/5 /17 = को एक TV चेनल में देख और सुन रहा था, कोलकाता टीपुसुल्तान मस्जिद के इमाम, जिनका नाम बताया जाता है नुरुररहमान बरकती |

इनका कहना था वह अपनी गाड़ी में लाल बत्ती इसलिए लगाये हैं, की उन्हें यह अधिकार बृटिश सरकार का दिया हुवा है |

यह कितनी गैर जिम्मेदाराना वाली बात है, एक समाज का प्रतिनिधित्व करने वाला व्यक्ति का यह बयाँन है ? मेरा पहला सवाल तो इनसे यह है की बृटीश सरकार ने यह अधिकार उनकें पिता को दिया था क्या ? कारण उनदिनों तो यह उस मस्जिद के इमाम नही थे ? फिर यह अधिकार उन्हें किसने दिया ?

भारत वासियों यह जिस अंग्रेजी सरकार की बात कर रहे हैं उन्हें लाल बत्ती लगाने का अधिकार दिया | क्या हम भारत वासियों को सब को मिलकर उनसे यह पूछना नही चाहिए की वह अंग्रेजी सरकार को तो हम भारत वासियों ने भारत से भगा दिया, फिर यह अधिकार किसने दिया है तुम्हें ?

यह सवाल उनसे कोई पूछे ना पूछे पर बंगाल वालों को तो पूछना ही चाहिए, कारण उन अंग्रेजों को भागाने में यही बंगाल प्रान्त ने सबसे ज्यादा बलिदान दिया है | जिस बंगाल में यह बरकती जी रह रहे हैं क्या उसी बंगाल का इतिहास कभी पढ़कर देखा है मियां बरकती?

जब की वह बंगाल के नही है, मूल बिहार के होंगे | जिस अंग्रेजों को भागने के लिए सब से कम आयु वाले खुदीरामबोस ने फाँसी खाई, उसका नतीजा यही है की उन्ही अंग्रेजों का देंन  है लाल बत्ती बताया जाना | जिन गुलामी की जंजीर को हमारे देश की महिला मातंगीनि हाजरा जो बंगाल के मिदनापुर जिला की थीं,जिन्हों ने अंग्रेजों के दांत खट्टे की थीं | जिनकी मूर्ति कोलकाता के रेड्क्रोस रोड में आज भी लगी है, उनकी आत्मा सुनकर क्या कहती होगी ? की जिस अंग्रेजों को हमने भारत से भगाया यह उसी अंगरेजों की दी हुई लाल बत्ती का दोहाहे दे रहा है ?

जिन अंग्रेजों को भारत से भागाने वाले बिनय –बादल –दिनेश= उन तीनों की आत्मा क्या कहती होगी जिन्हों ने कोलकाता असेम्बली में बम कांड किया था ? की जिस अंगरेजों को हम ने भारत से भगाया उसकी दी हुई लाल बत्ती लगाकर आज भी उन अंगरेजी राज्य का प्रचार करें यह कैसी मानसिकता है ? जिन अंगरेजों को भारत से भागने के लिए राजेन्द्र लाहिड़ी ने फांसी खाई थी उन्ही अंग्रेजों की प्रसंशा कोलकाता के एक जाने माने मसजिद का इमाम करें | यह बात बिलकुल सत्य है की उन1857 से ले कर 1947 तक यह जो 90 वर्ष की लड़ाई भारतियों ने अंग्रेजों से लड़ी उन दिनों में भी भारत के मुसलमानों की मानसिकता यही थी | खुलकर उस लड़ाई में मुसल्मोनों ने भाग नही लिया, कुछ ही गिने चुने ही लोगों ने भाग लिया था आज इसका जीताजागता प्रमाण सामने मौजूद है |

जिन बंकिमचन्द्र ने गीत लिखी बन्देमातरम जिसे गाते गाते भारत के लोगों ने फाँसी के फंदे को चुमते रहे, आज उसी गीत का विरोध इन्हीं मुसलमानों द्वारा हो रहा हैं, इससे भी हम आसानी से पतालगा सकते हैं की उन दिनों में अंग्रेजों के खिलाफ इन मुस्लिमों ने भाग लिया था अथवा नहीं ?

जिन अंग्रेजों को भारत से भागने के लिए प्रफुल्लो चाकी +प्रफुल्लो मेटे + कानाई लाल दत्त + से लेकर असंख्य बंगालियों ने अपना प्राण गवाए थे | आज उसी बंगाल के राजधानीकोलकाता शहर का एक प्रतिष्ठित मस्जिद के इमाम का यह वक्तव्य जो सम्पूर्ण बंगाल प्रान्तवालों के लिए लज्जा स्पद बातें है, क्या आज बंगाल के लोग इतने कायर हो चुके हैं की जिन अंग्रेजों के हाथ से देश को आज़ाद किया वलिदान देकर उसका यही परिणाम है ?

बंगाल ही नहीं भारत के सभी प्रान्तों में इन बरकती के नाम FIR दर्ज होना चाहिए, जिस से की उसे भी पता लगे की आज हम अंग्रेजी राज्य में नही है आज़ाद भारत में है हमें अंग्रेजों के संविधान से नही, भारतीय संविधान से चलना चाहिए भारतीय नियम कानून को मान कर चलना चाहिए आदि |

हमारी सरकार को भी इस सन्दर्भ में सख्ती दिखानी होगी, जिस से की इस प्रकार की हरकतें  कोई और ना कर सकें | अगर सरकार मजबूती से ऐसे राष्ट्र द्रोही से नहीं निम्टेंगे तो आये दिन हमारे सैनिकों को अपने प्राण से हाथ धोना पड़ेगा जैसा कश्मीर में पत्थर खा कर मर रहे हैं | या फिर उन माववादियों के गोली खा कर मर रहे हैं | हम सभी भारत वासियों को इस मसले को गम्भीरता से लेना चाहिए और उन राष्ट्रद्रोहियों को पहचानना चाहिए |

धन्यवाद के साथ = महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =13/5/17 =

 

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