Your cart
Smart Watch Series 5
$364.99x
Running Sneakers, Collection
$145.00x
Wireless Bluetooth Headset
$258.00x
Total:$776.99
Checkout
मरा अग्निवेश जिन्दा अग्निवेश को छोड़ गये |
Mahender Pal Arya
25 Sep 20
[post-views]
मरा अग्निवेश जिन्दा अग्निवेश को छोड़ गये |
आर्य जनों को यह पता होना चाहिए की अर्यावेश,अग्निवेश से ज्यादा खतरनाक है | कारण यह अग्निवेश के सारा गलत कार्य का समर्थन करता रहा |
इसका कारण है यह एडवोकेट जगवीर प्रथम से ही अग्निवेश के साथ रहा, अग्निवेश के सभी कृया कलापों को देखा जाना समझा भी | सब जगह ऋषि दयानंद जी के विचारों का गला घोटता यह जगवीर ने नजदीक से देखा और उसकी सहायता की, उसके कार्य का कभी विरोध नहीं किया | इसके बाद भी अगर कोई अर्यावेश को सही और अच्छा कहे तो बात गले से नीचे उतरने वाली नहीं है |
कारण चोरी करना गलत है, और उसका समर्थन करना क्या है ? यह आर्यवेश ने तो यही किया है हमेशा इसने अग्निवेश का समर्थन किया और विरोध भी नहीं किया |
तो आर्यवेश को आप अलग कैसे मान सकते हैं ? सभी बातों को छोड़ कर एक ही बात को ले सकते हैं, वह है समलैंगिकता | जिसका समर्थक अग्निवेश करता रहा, आप सभी मिलकर बताएं की आर्यवेश ने इसका विरोध किया है कभी ?
कश्मीरी अलगाववादीयों से वह मिलते और अपना फोटो खिंचवाते रहे, क्या आर्य वेश का आँख बंद था इसने कभी विरोध किया अग्निवेश का ? बहुत जीता जागता प्रमाण आर्य जनों के सामने मौजुद है, इसके बाद भी कोई अर्यावेश को उससे अलग माने तो उन्हें किसी मेन्टल होस्पिटल में भारती होना चाहिए |
इन्हें मेरी खुली चुनौती है, मेरे साथ डिबेट करें यह लोग अग्निवेश या इनके समर्थक आर्यसमाज या ऋषि दयानन्द के विचारों से सहमत हैं अथवा नही एक एक प्रमाण मेरे पास मौजूद है |
उन सभी पुरानी बातों को छोड़ मैं आ रहा हूँ सार्वदेशिक सभा में इन लोगों का कब्ज़ा, उस समय इनके साथ मात्र यह एडवोकेट जगवीर जो अब अर्यावेश बना है यह तो प्रथम से ही अग्निवेश के साथ है |
भले ही इन्हें एडवोकेट जगवीर के नाम से लोग जानते हों, पर इन्हों ने कभी वकालती नहीं की, इन लोगोंके पास धन कहाँ से आता है इन सब का खर्चा खाना पीना और सभी आफिस मेन्टेन किस प्रकार चलता है ? यह खोजका विषय है, की कहाँ कहाँ से पैसा आता है इनके पास |
मैं एकबात की जानकारी आप लोगों को दे रहा हूँ, अग्निवेश आर्य समाजी थे अथवा नहीं, और ऋषि दयानंद से यह सहमत थे या नहीं इस लेख से प्रमाण हो जाये गा |
पिछले दिन जब इन्हों ने सार्वदेशिक सभा पर कब्जा किया इनके साथ और भी इनके कई चेले मौजूद थे | इनमें एक श्यामलाल भी था उसने स्वामी अग्निवेश के विचार को किस प्रकार लिखा है देखें |
स्वामी अग्निवेश जी ने अपने वेवसाइट में वेवाक विचार दिए हैं, व सठीक हैं सारगर्वित विद्वतापूर्ण और ललित प्रांजल प्रवाहमाण भाषा में लिखित है | तथा नये तथ्यों और जानकारियों को उद्घाटित करने वाले है, कोई भी व्यक्ति इनसे प्रभावित हो सकता है |
आर्यसमाज की मान्यताओं और सिधान्तों से नित्यांत अपरिचित व्यक्ति भी उन्हें पढ़ कर ज्ञान गंभीर चिंतन करने तथा उन्हें अपनाने को आकर्षित होगा |
और आगे लिखा है महर्षि दयानन्द ने हमे सत्य के ग्रहण करने और असत्य को त्यागने में सर्वदा उद्यत रहने का आदेश दिया है, सत्यार्थ प्रकाश की भूमिका और अनुभुमिका में भी अपने विचारों से, सहमत व असहमत होने का अधिकार उन्होंने पाठकों को दिया है |
अतः स्वामी अग्निवेश को भी किसी अन्य व्यक्ति की तरह स्वतंत्र चिंतन विचार अभिव्यक्ति रखने का अधिकार मिलना ही चाहिए | यह विचार श्यामलाल ने स्वामी अग्निवेश जी के सहशिक्षा पर दिए गये विचारों को लिखा था |
लम्बा लेख है यह लेख आर्य सन्देश दिल्ली सभा की पत्रिका में छपी थी, इस पत्रिका पर भी अग्निवेश का कब्ज़ा हो गया था उनदिनों | फिर क़ानूनी कार्यवाही से यह पत्रिका इनके हाथ से छूटी है |
सार्वदेशिक पत्रिका का नाम बदल कर इन्हें वैदिक सार्वदेशिक रखना भी इसी लिए पड़ा था | कारण सार्वदेशिक पत्रिका की रेजिस्टेशन – सार्वदेशिक में पुराने अधिकारीयों के थे | उन्हों ने केस करदिया उसे बदल कर इन को वैदिक सार्वदेशिक नाम रखना पड़ा है |
उनदिनों इनके जो जो लेख निकलता था उनसब का उत्तर मैं देता था ऋषि सिद्धांत रक्षक पत्रिका में | जिसका मैं सम्पादक था, इस अग्निवेश पर मेरा पचास से उपर लेख है, जो यह लिखते थे अपनी पत्रिका में जिन सब का जवाब मेरे द्वारा सम्पादकीय लेख में निकलता था |
जिसका कुछ लेख मैं अपनी पुस्तक मस्जिद से यज्ञ शाला की ओर में दिया है | आर्य विद्वानों ने अग्निवेश पर इतना नहीं लिखा जितना की मैं लिखा हूँ |
ऋषि दयानंद सह शिक्षा के विरोधी थे और उन्हों ने लिखा की जहाँ लड़कों का गुरुकुल हो, उस से आठ किलोमीटर दुरी में लड़कियों का गुरुकुल होना चाहिए | अब अग्निवेश सह शिक्षा के पक्षमें अपना विचार दिया था जिसका समर्थन इनके चेला श्यामलाल ने इस लेखनी में किया है |
प्रमाण के लिए मेरे पास बहुत कुछ है यह लोग मेरे सामने बैठ कर डिबेट करें तो मैं एक एक कर सारा प्रमाण दूंगा, यह मैं वचन दे रहा हूँ आर्य जनों को |
आर्य समाज में स्वार्थी लोगों का वर्चस्य है समाज कम मतलब ज्यादा | अधिकारी वही लोग हैं आर्यसमाज में, जिन्हें वैदिक मान्यता का अ,आ, भी नही जानते, वह लोग मात्र बिल्डिंग को ही आर्य समाज मानते हैं | कुछ समाज ऐसे है जहाँ करोड़ों की संपत्ति है , काम है उसी बिल्डिं की आमदनी खाना |
कुछ लोग हैं जो उन्ही संपत्ति पर गिद्ध दृष्टि लगाये बैठे हैं, की यह संपत्ति हमारे कब्जे में हो जाय | यही तो कारण था दयानन्द मठ रोहतक हरियाणा सभा पुलिस के कब्जे में हो गया था | जिसे मुक्त कराना पड़ा |
गुरुकुल कांगड़ी की भीं दशा यही है | सार्वदेशिक सभा =up सभा बलके यह कहें की कब्ज़ा कहाँ नही है ? एक तरफ तो यही आर्य कहलाने वाले यज्ञ में आहुति डालते हैं इदन्नमम कह कर | और मम की भावना मन में लिए बैठे हैं | दिखावा कर रहे हैं और यह भी कह रहे हैं छोड़देवें छलकपट को, और सारा छल से सभी काम कर रहे हैं |
कुछ ने तो आर्य समाज नाम को भी पसंद नही किया, और दूसरा नाम रखकर आर्य बनारहे हैं? किस लिए ऋषि दयानन्द के रखे गये नाम को भी जो लोग पसंद नहीं किया वह आर्य कैसे हैं ?
और दूसरों को आर्य बनाने का काम कैसे कर सकते भला ? दयानन्द को पता नही था, की इस संगठन का नाम आर्य समाज न हो कर कुछ और होना चाहिए ? यही लोग अपने को आचार्य बताते है | जब कोई आर्य बंनता है उसे हस्ताक्षर करने होते हैं ऋषि दयानन्द को मानता हूँ उनकी पुस्तकों को मानता हूँ आदि आदि | फिर उसी आर्यसमाज नाम से अलग होकर कोईऔर नाम रखने की गुन्जायेश कहाँ है ?
महेन्द्रपाल आर्य =25 /9 /20