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मानव जीवन का लक्ष्य ही है ईश्वर सानिध्य |
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Mahender Pal Arya
मानव जीवन का लक्ष्य ईश्वर सानिध्य ||
मेरे विचार से हर मानव को अगर अपना जीवन का लक्ष्य मालूम हो जाये, तो धरती को मानव स्वर्ग बना दे | धरती को स्वर्ग बनाने का काम मानव का ही है, यह काम कोई और जीवजन्तु के लिए नहीं है, यह सिर्फ और सिर्फ मानव कहलाने वालों के लिए ही है |
पर धरती पर मानव कहला कर भी मानव अपने लक्ष्य को नहीं जान पाया, यही दुर्भाग्य और आश्चर्य की बात है | इधर कहने के लिए मानव कहलाने में आतुर हैं परन्तु मानव किसे कहते हैं यह जानने को तैयार ही नहीं | सही पूछिये तो वह मानव कहलाने के अधिकारी ही नहीं हैं जिन्होंने मानव का दायित्व का पालन नहीं किया |
एक छोटा उपमा देते हूँ, इसे खाने वाला उपमा न समझना. उपमा यानि मिसाल, आज कल हम और आप सभी मानव कहलाने वाले ही अधिक तर मोबाईल, सेल फोल व्यबहार करते हैं, यह नेता प्रणेता से लेकर सड़क पर कागज चुनने वाले भी इसे चलाते हैं | हाँ मोबाईल में फ़र्क होगा कीमत में फ़र्क होगा आदि कोई संदेह नहीं |
इस मोबाईल से जो काम हम और आप लेते हैं अगर यह मोबाईल नामी यंत्र अपना काम करना बंद करदे तो उसे ठीक करने के लिए देते हैं किसी जानकार के पास | इस मोबाईल ने अपना काम बंद करने पर उसे दूकान ले जाते हैं, अथवा काम सही करने के लिए दूकान ले जाया जाता है ? यहाँ भी ठीक यही बात है मानव जब अपना काम करना छोड़ देता है, तो इन मानवों के जो नियंत्रण कर्ता है वह भी इस मानव को अपने काम में प्रयोग नहीं करते, यह श्रृंखला हर जगह बनी हुई है | मानव कहलाने इसे भली प्रकार जानते भी हैं, इसके बाद भी वह उसपर अमल नहीं करते |
यही आश्चर्य की बात है मानव मात्र के लिए सब जानते हैं इसी बात को किन्तु इसपर अमल नहीं करते, अगर यह मानव इसी जानकारी को अपने जीवन में उतारते या इन्हीं बातों पर अमल करते तो यह धरती स्वर्ग बन गई हो ती | जब की धरती को स्वर्ग बनाने का काम या दायित्व जिम्मेदारी मानव मात्र को है | इसपर अमल न करने के कारण आज चीन मानवता पर कुठाराघात करते हुए धरती को स्वर्ग बनाने की जगह नरक बनाने में लग गया है | इस चीन के सञ्चालन कर्ता को यह पता ही नहीं की जैसा मोबाईल के बिगड़ जाने पर हम उसे रिजेक्ट कर देते हैं ठीक उसी प्रकार इन मानवों का नियंत्रण जिनके अधीन है वह भी रिजेक्ट कर देंगे | चीन को यह ज्ञान न होने का कारण उसकी नास्तिकता ही है | जो ईश्वर को नहीं मानता दुनिया बनाने वाले को नहीं मानते, दुनिया के सञ्चालन कर्ता को नहीं मानता, जो मानवता पर ही कुठराघात है,जो धर्म को नहीं मानता, शास्त्र में उसे पशुर्भीसमानः बताया गया है |
अर्थात वह पशु के समान है, जिस मानव ने धर्म को नहीं माना, वही लोग दुनिया में उधम मचाते हैं जिन्हों ने मानवता को त्याग दिया धर्म को त्याग दिया, जिन्हों ने दुनिया के पालनहार को नहीं माना | जो सबसे बड़ी कमी है सृष्टि के पालन कर्ता भी उसे रिजेक्ट कर देंगे यह पक्की बात है, इसमें कोई संदेह नहीं यही हुवा है होता आया है और होता रहेगे |
यही वह लोग थे जिन्हों ने सम्पूर्ण दुनिया को अपने आगोश में लेने का प्रयास कियाथा, इसमें वह लेनिन हो, मावसेतुंग हो, होचिमिन हो, या फिर उस काल से लेकर अब तलक के सम्पूर्ण विश्व में यही विचार फ़ैलाने वाला CPI, CPIM, CPIML, हो यह जितने भी हैं बड़ा प्रयास किया था सम्पूर्ण भारत वर्ष को अपने विचारों वाला बनादेना है कहकर | आज इसी भारत में ही देखिये कहाँ है यह लोग आज तो भारत में ही उन्हें मोमबत्ती जलाकर ही देखना पड़ रहा है |
30, 32, साल में ही भारत तो क्या बंगाल से ही गायब हो गये, जो लोग सम्पूर्ण भारत को अपने विचारों वाला बनाना चाहते थे कहाँ गये वह लोग जिन्हों ने विश्व तो क्या भारत में ही अपने विचारों से लोगों की सहमती नहीं ले पाए और भारत के लोगों ने ही बता दिया, की तुमलोग ईश्वर को नहीं मानते, धर्म को नहीं मानते हो |
यह भारत ऋषि मुनियों का देश है धर्म प्रधान देश है भारत के लोग धर्म पर आचरण करते हैं भारत के महापुरुषों को याद करते हैं उनका अनुकरण करते हैं, उनके दिए उपदेशों का पालन करते हैं | जिसे अभी अभी भारत के प्रधान मंत्री जी ने ललकारते हुए कहा भी इन्हीं बातों को की हमारे अधिनायक योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं | उन्हों ने अपने और पराया को नहीं देखा और न धर्म में अपना और पराया की बातें है | दुष्टों को दण्डदेना ही, हमारा मूल मन्त्र है |
अब भारत में क्या हुवा श्रीकृष्ण जी के नाम सुनते ही भड़क उठे, वह लोग जिन्हें न धर्म का ज्ञान है और न ईश्वर का पता ? इससे भारत के लोगों को भी यह मालूम होना चाहिए की जो भारत में रहते हैं और भारत के महापुरुष योगेशेवर श्रीकृष्ण जी का नाम भी सुनना पसंद नहीं करते हैं, जो योगेश्वर श्रीकृष्ण इसी भारत के मात्र महापुरुष ही नहीं अपितु भारत के अधिनायक ही नहीं महाअधिनायक रहे उनका नाम भी सुनना इन्हें पसंद नहीं है | क्या यह लोग भारत में पनाह लेने के काबिल हैं ? बहुत लम्बा लिखा सकता हूँ परन्तु समयाभाव है, ईशारा ही काफी है| महेन्द्रपाल आर्य =7 /7 /20 =