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मुसलमान भारतीय होने का झूठा दावा कर रहे

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|| मुसलमान भारतीय होने का झूठा दावा कर रहे ||

भारत वासी हिन्दू कहलाने वाले आज मुसलमानों से यह पुछ रहे हैं, की अगर आप लोग भारत के ही रहने वाले हैं, तो इस्लामी शरीयती कानून को लागु किस लिए करना चाहते हैं ? यही सवाल शरीयती कानून के पैरोकार कानून विद कपिल सिब्बल जी से भी है | जिन्हों ने सुप्रीमकोर्ट में दलील दिया की तीन तलक इसलाम का धर्म का विषय है, आस्था का विषय है |

इस से यह बात स्पस्ट हो गया की मुस्लमान कहलाने वाले रहते भले ही भारत में हों किन्तु कानून मानेगे अरब का | क्या अरब देश में रहने वाले जो भारतीय हैं उन्हें अरबी सरकार भारतीय कानून मानने देंगे ? फिर भारत में रहने वाले मुस्लमान इस्लामी अरबी कानून को भारत में लागु किस लिए करना चाहते हैं ?

मैंने कई बार लिखा और वीडियो बनाकर भी डाला की यह सरासर अन्याय है भारतीय लोगों के साथ भारत में रहने वालों के लिए कानून एक होना चाहिए ना की सब के लिए अलग अलग ? अगर शरीयती कानून लागु करना है तो भारत में उन शरीयती कानून के लिए कोर्ट भी अलग होना चाहिए| क्या यह संभव है अथवा उचित है ? इन सवालों का जवाब मुस्लिम पर्सोनल ला बोर्ड के अधिकारी और उनके वकील कपिल सिब्बल से भी है |

शरीयत है इस्लाम का और इस्लाम है अरब का, तो अरबी कानून को सुनने के लिए सम्पूर्ण इस्लाम का जानकार जज़ और वकील भी होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट भी इस्लामी कानून सुनने के लिए भी अलग बनाना पड़े गा,एक सुप्रीमकोर्ट से काम चलने वाला नही है, इस दशा में भारत सरकार को भी अपना पक्ष रखना चाहिए |

अगर भारत में रहने वाले मुस्लमान अपने को भारतीय कहते हैं तो उन्हें भारतीय कानून व्यवस्था पर भी अमल करना चाहिए | भारत में रहकर भारत की कानून व्यवस्था को ना मानना यह कैसे भारत वासी कहलाने का झूठा फसाना है इन इस्लाम के मानने वालों का ?

रही बात सुप्रीमकोर्ट की, वह भी फैसला सुनायेंगे भारत में रहने वाली महिलाओं के साथ किसी प्रकार का अन्याय न हो उसी पक्ष में | फिर कपिल सिब्बल की दलील, और मुस्लिम पर्सोनल ला बोर्ड की दलील झूठा प्रमाणित हो जायगा | सुप्रीमकोर्ट अगर कोई जाता है वह भारतीय होने के नाते जायगा और वहां जो फैसला सुनाये जायेंगे वह भी भारतीय होने के नाते सुनाएँ गे, फिर मुस्लिम पर्सोनल ला बोर्ड का सवाल ही कहाँ है ?

आज सम्पूर्ण भारत वासियों को इसपर गहन चिंतन और मनन करने की बात है और बिलकुल निष्पक्ष और निर्लेप हो कर इसका फैसला करना अथवा लेना होगा तभी हम भारत की अस्मिता और गरिमा को बरकरार रख सकते हैं | तथा भारत में रहने वालो मुस्लिम नरनारियों को भी इस सत्यता को समझना चाहिए फिर हमें भारतीय कहलाने में गर्व हो सकता है, वरना यह बात ठीक ऐसी है की मुह में राम नाम और बगल में छुरी | की रहे भारत में, और कानून मानें अरब का |

महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता= दिल्ली =18 /5 /17 =

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