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मुसलमान विदेशी नहीं, तो स्वदेशी कब से ?

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मुसलमान विदेशी नहीं,तो स्वदेशी कबसे?
दूरदर्शन में लगातार प्रचार हो रहा है की विदेशी मुसलमानों को भारत से निकाल ना पड़ेगा | कल मैं केन्द्रीय मन्त्री रिजू जी को कहते हुए भी सुना की, इन रंगिया मुसलमानों को उनके अपने देश में म्यामार में वापस जाना ही पड़ेगा |
हम जरा विचार करें, की यह मुस्लमान अगर विदेशी है तो स्वदेशी मुसलमान कौन है ? मुसलमानों के साथ स्वदेशी लगना ही सम्भव नहीं है, कारण मुस्लमान है कौन जिसके नाम के साथ हम विदेशी और स्वदेशी जोड़ रहे हैं ?
मुसलमान उसे कहाजाता है जो इसलाम के मानने वाले हैं, इसलाम क्या है जिसे लोग मानते हैं ? तो हमें भली प्रकार इसलाम को जानना व् समझना होगा इसलाम क्या है ?
इसलाम नाम किसी भी मकान और बिल्डिंग का नाम नहीं है, किसी भी पेड़ और दरख्त का नाम नहीं है | इसलाम नाम है एक विचारधारा का,जो विचार धारा अरब के देश से फैली एक व्यक्ति विशेष के विचार हैं | जिसे अल्लाह {सृष्टिकर्ता } का नाम देकर सम्पूर्ण विश्व में इसके जन्मदाता ने फैलाया है | जिनका नाम हजरत मुहम्मद {स}था कुरान अनुसार,देखेंकुरान
قُلْ أَغَيْرَ اللَّهِ أَتَّخِذُ وَلِيًّا فَاطِرِ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَهُوَ يُطْعِمُ وَلَا يُطْعَمُ ۗ قُلْ إِنِّي أُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ أَوَّلَ مَنْ أَسْلَمَ ۖ وَلَا تَكُونَنَّ مِنَ الْمُشْرِكِينَ [٦:١٤]
ऐ रसूल) तुम कह दो कि क्या ख़ुदा को जो सारे आसमान व ज़मीन का पैदा करने वाला है छोड़ कर दूसरे को (अपना) सरपरस्त बनाओ और वही (सब को) रोज़ी देता है और उसको कोई रोज़ी नहीं देता (ऐ रसूल) तुम कह दो कि मुझे हुक्म दिया गया है कि सब से पहले इस्लाम लाने वाला मैं हूँ और (ये भी कि ख़बरदार) मुशरेकीन से न होना | यह है सूरा अन्याम =आयत 14 =

इस आयात में अल्लाह ने मुहम्मद {स} से कहलवाया की मुझे हुक्म दिया गया की सब से पहले इस्लाम लाने वाला मैं हूँ, मैं शिर्क करने वाला नहीं हूँ |
इस आयात से यह स्पष्ट हो गया की सबसे पहले इस्लाम लाने वाला हजरत मुहम्मद ही हैं, इनसे पहले धरती पर एक भी कोई मुस्लमान नहीं था | { हाँ कुरान में परस्पर विरोधी बातें भी है }हज़रत मोहम्मद साहब ने जो विचारधारा चलाया उसी का ही नाम इस्लाम है |

यह जो विचारधारा है, वह दुनिया के और किसी भी विचारधारा को सहन नहीं करता, और कहता है इसके अतिरिक कोई विचारधारा मान्य नहीं है, देखें कुरान में क्या कहा गया |
إِنَّ الدِّينَ عِندَ اللَّهِ الْإِسْلَامُ ۗ وَمَا اخْتَلَفَ الَّذِينَ أُوتُوا الْكِتَابَ إِلَّا مِن بَعْدِ مَا جَاءَهُمُ الْعِلْمُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۗ وَمَن يَكْفُرْ بِآيَاتِ اللَّهِ فَإِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ [٣:١٩]
और अहले किताब ने जो उस दीने हक़ से इख्तेलाफ़ किया तो महज़ आपस की शरारत और असली (अम्र) मालूम हो जाने के बाद (ही क्या है) और जिस शख्स ने ख़ुदा की निशानियों से इन्कार किया तो (वह समझ ले कि यक़ीनन ख़ुदा (उससे) बहुत जल्दी हिसाब लेने वाला है|सूरा इमरान=आयत 19

इसके अतिरिक्त और भी है जी कुरान में कहा गया इसे छोड़ कर और कोई दीन {धर्म } नहीं है |
وَمَن يَبْتَغِ غَيْرَ الْإِسْلَامِ دِينًا فَلَن يُقْبَلَ مِنْهُ وَهُوَ فِي الْآخِرَةِ مِنَ الْخَاسِرِينَ [٣:٨٥]
और हम तो उसी (यकता ख़ुदा) के फ़रमाबरदार हैं और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन की ख्वाहिश करे तो उसका वह दीन हरगिज़ कुबूल ही न किया जाएगा और वह आख़िरत में सख्त घाटे में रहेगा | सूरा इमरान =आयत 85
यहाँ साफ कहा है की इसलाम को छोड़ कोई और दीन{धर्म} को कुबूल, करे तो उसका वह दीन हरगिज हरगिज स्वीकार ही नहीं किया जायगा |

अब रोजाना ना जाने कितने मौलाना, और मुफ़्ती, दूरदर्शन में बोलते रहते हैं सभी धर्मों का आदर करना चाहिए | यह शब्द सिर्फ और सिर्फ हिन्दुओं को खुश करने के लिए कहते हैं, वरना उन्हें खूब मालूम है की इसलाम के सिवा दूसरा कोई धर्म ही नहीं है | यही है इसलाम यानि अपने को छोड़ किसी और को स्वीकार ना करना |

इसी इसलाम को जो मानते हैं, उसपर अमल करते हैं उसके नियम और कानून को जो मानते हैं उसी का ही नाम मुसलमान है | इन्हीं मुसलमानों को अल्लाह के नाम से जो सन्देश सुनाया उन्ही का नाम हजरत मुहम्मद था अल्लाह का सन्देश वाहक |

इन्हों ने अल्लाह के नाम से जो सन्देश दिया है अथवा अल्लाह ने इनपर जो सन्देश अपने फ़रिश्ते के माध्यम से भेजा है उसी का ही नाम कुरान है | दुनिया के हर मुसलमान कहलाने वाले, इसी कुरान को कलामुल्लाह कहते हैं { अल्लाह का कलाम } इसमें जो कुछ भी उपदेश दिया गया बताया गया वह पत्थर की लकीर हैं इस पर निसन्देह विश्वास करना होगा उस पर सन्देह करने की कोई गुन्जयेश नहीं है | अगर किसी ने उसपर सन्देह किया तो उसे इसलाम से हाथ धोना पड़ेगा, और वह वाजेबुल क़त्ल है | किन्तु याद रखना इसपर सन्देह के लिए एक दो नहीं अनेक जगह है जहाँ सन्देह स्वाभाविक है | देखें जकरिया नामी पैगम्बर अल्लाह से एक लड़के मांग रहे थे, अल्लाह ने स्वीकार कर लिया | और फ़रिश्ते को भेजा जाव जकरिया को कहदो बेटा देंगे | अब जकारिया कहरहा है मेरे बेटे कैसे होंगे, मैं तो बुढा हूँ मेरी पत्नी बांझ हैं | अल्लाह ने कहा मैं जो चाहूँगा होगा |
قَالَ رَبِّ أَنَّىٰ يَكُونُ لِي غُلَامٌ وَقَدْ بَلَغَنِيَ الْكِبَرُ وَامْرَأَتِي عَاقِرٌ ۖ قَالَ كَذَٰلِكَ اللَّهُ يَفْعَلُ مَا يَشَاءُ
ज़करिया ने अर्ज़ की परवरदिगार मुझे लड़का क्योंकर हो सकता है हालॉकि मेरा बुढ़ापा आ पहुंचा और (उसपर) मेरी बीवी बॉझ है (ख़ुदा ने) फ़रमाया इसी तरह ख़ुदा जो चाहता है करता है |
अब पढ़े लिखे लोग इसपर विचार करें की किसी बाँझ महिला के सन्तान होना कैसे उचित और संभव है ? इसी अन्ध विश्वासी का नाम ही मुसलमान है | अल्लाह ने इन्ही मुसलमानों से कहा जो इसलाम के मानने वाले नहीं है वह तुम्हारे खुले दुश्मन हैं उन्हें अपना समर्थन मत देना उनकी रीती रिवाजों को ना मानना वरना तुम भी काफ़िर हो जावगे | अब इन इस्लामी विचारधारा को जो दिलसे मानता है और जुबान से इकरार करता है उसे ही मुसलमान कहा जाता है अथवा उसी का ही नाम मुस्लमान है | अब भारतीय विचारों से कहाँ मेल खाता है भारतीय विचार वाले यह कभी मानने को तैयार नहीं होंगे की किसी बाँझ महिला के सन्तान पैदा हो ? कारण बाँझ नाम की सार्थकता ख़तम हो जायगी |
यही अरबी विचारधारा है इसी अरबी विचार वालों को भारतीय विचार् वालों से मेल खाना और मेल होना कहाँ और किस लिए सम्भव है ? फिर भी प्रधानमंत्री कह रहे हैं, सब के साथ सब का विकास को ले कर चलेंगे, यह एक मियांन में दो तलवार रखने वाली बात होगी |
इसी लिए यह मुसलमान कहलाने वाले भारतीय विचारों से हमेशा उल्टे विचार भारत विरोधी विचारों को ले कर चलते हैं | यही कारण है बंदेमातरम ना बोलना, भारत माता की जय ना बोलना ही इनकी फितरत है | यह भारत विरोधी विचार वाले होने हेतु भारत को कभी भी मुसलमान अपना नहीं माना जो मुसलंमान इस देश के लिए वलिदान दिया इस्लाम उन्हें शहीद नहीं कहते और नहीं मानते हैं यह है इस्लाम और उसी इस्लाम को मानने वाले मुस्लमान | भारत के लोग विचार करें की यह भारत विरोधी विचार वाले कभी भी स्वदेशी हो सकते हैं क्या ? महेन्द्रपाल आर्य =7 /9 /17 =

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