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मुस्लमान कौन मरने वाले DSP, अथवा मारने वाले लोग ?

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कौन है मुसलमान जो DSP मरा या उन्हें जिन्हों ने मारा एक मुसलमान दूसरा मुसलमान को कतल करना हराम है कश्मीर में मारने और मरने वाले, दोनों ही मुसलमान हैं | क्या यह कुरान का खिलाफ नहीं ?
मुसलमान वही होते हें जो कुरान को मानते हैं उसपर अमल करते हैं उसपर अटूट विश्वास रखते हैं | दिल से मानते हैं और जुबान से इकरार करते हैं यही तो ईमानदारों में और ईमान ना लाने वालों की पहचान है |
DSP मुसलमान था और मारने वाले भी मुसलमान, एक बात तो है जो DSP मरा है उसके नाम के साथ पण्डित लगाया जा रहा था | यह बात मैं नहीं समझ पाया की आइयुब नाम का व्यक्ति उसकी उपाधि पण्डित कैसे ? यह मारने का कारण तो नही था ? यहाँ देखें कुरान में अल्लाह ने क्या कहा है ?
مِنْ أَجْلِ ذَٰلِكَ كَتَبْنَا عَلَىٰ بَنِي إِسْرَائِيلَ أَنَّهُ مَن قَتَلَ نَفْسًا بِغَيْرِ نَفْسٍ أَوْ فَسَادٍ فِي الْأَرْضِ فَكَأَنَّمَا قَتَلَ النَّاسَ جَمِيعًا وَمَنْ أَحْيَاهَا فَكَأَنَّمَا أَحْيَا النَّاسَ جَمِيعًا ۚ وَلَقَدْ جَاءَتْهُمْ رُسُلُنَا بِالْبَيِّنَاتِ ثُمَّ إِنَّ كَثِيرًا مِّنْهُم بَعْدَ ذَٰلِكَ فِي الْأَرْضِ لَمُسْرِفُونَ [٥:٣٢]
इसी सबब से तो हमने बनी इसराईल पर वाजिब कर दिया था कि जो शख्स किसी को न जान के बदले में और न मुल्क में फ़साद फैलाने की सज़ा में (बल्कि नाहक़) क़त्ल कर डालेगा तो गोया उसने सब लोगों को क़त्ल कर डाला और जिसने एक आदमी को जिला दिया तो गोया उसने सब लोगों को जिला लिया और उन (बनी इसराईल) के पास तो हमारे पैग़म्बर (कैसे कैसे) रौशन मौजिज़े लेकर आ चुके हैं (मगर) फिर उसके बाद भी यक़ीनन उसमें से बहुतेरे ज़मीन पर ज्यादतियॉ करते रहे |
 
मुसलमान कौन है इसी लिये मैंने लिखा था, धरती पर एक भी मुसलमान नहीं है | कुरान पर अमल ना करने वाला क्यों कर मुसलमान हो सकता है ? यह शब्द मेरे नहीं है यही इस्लाम की बुनियाद है | इस्लाम कुबूल करने ने साथ साथ यह सारा नियम लागु होता है इसलाम क्या है उसे जानना पड़ेगा पहले |
 
जब की रमजान के महीने में लड़ना हराम बताया है कुरान में, बल्कि चार महिना निषिद्ध है लड़ना आठ महिना लड़े | चार महिना ना लड़ने न हुक्म दिया है मुसलमानों को, उसके बाद भी अल्लाह का हुक्म नहीं मानने वाला मुसलमान कैसा हो सकता है ?
 
इस का जो कारण मैं देख रहा हूँ जहाँ गैर मुस्लिमों के दिए गये अफ्तार पार्टी में कोई मुस्लमान रोज़ा खोलता है उसके भी रोजा साकित {नष्ट} हो जाता है | अब वह लालूप्रसाद के दिए आफ्टर पार्टी में हो या केजरी वाल के अफरात पार्टी में कोई रोजेदार मुसलमान रोजा खोले तो रोज़ा ही ख़राब नहीं होगा, बल्कि उसकी ईमानदारी भी जाती रहेगी | यही तो कारण है की अहमद बुखारी हो मुफ़्ती मुकर्रम अथवा किसी भी इस्लामी संगठन के इसलाम के जानकार कोई इस अफ्तार पार्टी में आये हों तो बताना ? महेन्द्रपाल आर्य =24 /6 /17 =,

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