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मुस्लिम महिलाओं का खतना बन्द हो सकता है तो तलाक क्यों नहीं ?

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मुस्लिम महिलाओं का खतना बंन्द हो सकता है, तो तलाक क्यों नहीं ?
भारत के विभिन्न प्रान्तों में मुस्लिम महिलाओं को दिए जा रहे तीन तलाक के लिए दोषी कौन,इस्लाम या इस्लाम के मानने वाले?
अब देखना और समझना यह है की जब, तलाक देने का हुक्म फरमाने इलाही यानि खुदा का फरमान है, उसी अधार पर ही इस्लाम वाले तलाक देते हैं तो फिर तलाक देने वाले को दोषी किसलिए कहा जाय ?

आज मुस्लिम महिलाएं पुलिस थाने में जाकर, कहीं प्रधानमंत्री को लिख कर, फिर कहीं प्रांतीय मुख्यमंत्री को पत्र लिख रही है | कहीं कोर्ट में अर्जी दाएर किये जा रही हैं,क्या इस से इस्लाम का तलाक रुकजाना अथवा रोका जाना सम्भव होगा?

कौन रोकेंगे पुलिसकर्मी- प्रधानमंत्री -या प्रान्त के मुख्यमंत्री ? क्या इन लोगों के पास कोई अधिकार है, इसे रोकने का ? यही तो हुवा जो इसी तीन तलाक पर देश का सर्वोच्य न्यायालय, सुप्रीमकोर्ट के फैसला का विरोध, मुस्लिम पर्सोनल ला बोर्ड ने किया है,और आज भी विरोध कर रहे है |

भारत भर में कोई इस सत्य को कहने के लिए तैयार नहीं, की जब आप मुस्लिम पर्सोनल ला को ही मानना चाहते है | तो आप के घर की मुस्लिम महिलाएं किसी थाने में, कोर्ट कचहरी में, और कहीं प्रधानमंत्री, और कहीं मुख्यमंत्री के पास किस लिए जा रही हैं ? आप लोग अपने मुस्लिम पर्सोनल ला के मुताबिक उन महिलाओं को न्याय दिलाएं |

भारत का न्यायलय हो, मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री, वह सिर्फ बता सकते हैं कह सकते हैं की महिलाओं पर अत्याचार यह अमानवीय है | अथवा मानवता विरोधी है, यह कहना ही इनलोगों के लिए संभव है | किन्तु इस्लाम के मानने वालों से यह पूछना सम्भव नही की तुमने तलाक किस लिए दिया ? वह सीधा कहेगा यह हमारा इस्लाम का मामला है, इस्लाम में तलाक देना जाएज है |

इस दशा में क्या यह उन्हें कह सकते हैं अथवा विरोध कर सकते हैं क्या ? श्री योगी आदित्यनाथ जी यही कह रहे हैं की जब भारत एक है तो भारत में रहने वाले लोगों का कानून एक होना चाहिए |

यह बात किसी भी दूरदर्शन चेनलों में नहीं हो रही है जो होना चाहिए, यही तो मैं कहना चाहां समाचार प्लस चेनल में | किन्तु उन्हें सत्य सुनना पसन्द नही और ना सत्य को जानना ही चाहते ? बहुत अच्छा अबसर है की इन मुस्लिम महिलाओं को लेकर इस्लाम का आदेश तलाक प्रथा का विरोध करना चाहिए | की इस्लाम में दिए गए हुक्म महिलाओं पर यह अत्याचार है | इस इस्लामी प्रथा को भारत से ख़त्म कर देना चाहिए | जब भारत में रहने वाले इस्लामी प्रथा महिलाओं का खतना कराना को ख़त्म कर सकते हैं, तो तलक प्रथा को क्यों नही ?

यह एक बहुत बड़ा मुद्दा है और इस्लाम के मानने वालों के लिए आँखें खोलने वाली बातें होंगी | और भारत के सभी गैर मुस्लिमों को चाहिए, इन मुस्लिम पर्सोनल ला के दावेदारों से यह भी पूछें की भारत में मुस्लिम महिलाओं में से खतना को आप लोगों ने किस लिए इस्लाम से बाहर किया ? आज मुस्लिम महिलाओं की खतना किस लिये नही करते जब की यह इस्लामी रीति रिवाज है इसे त्याग दिया किसलिए ?

आज सम्पूर्ण भारत में इसी एक बात को लेकर मुस्लिम पर्सोनल ला के पैरोकारों को घेरना चाहिए, संग वध्य तरीके से आज ही इस काम के लिए अपनी तैयारी करें | धन्यवाद के साथ =महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =25 /4/17

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