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मोहनदास कर्मचाँदगांधी और हिन्दू मुस्लिम एकता

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मोहनदास कर्मचाँदगांधी हिन्दू मुस्लिम एकताके कारण अगर कुरान का पाठ हिन्दू मंदिरों में किया,ठीक उसी प्रकार गीता का पाठ भी मस्जिद करके दिखाते । एक बार गीता हाथ में लिए जा रहे थे मस्जिद में पढ़ने के लिए मुसलमानों ने गांधी को मस्जिद के अन्दर जाने भी नही दिया । कारण मस्जिद में लांग लगा कर या लांग बांध कर मस्जिद में घुसना मना है निषेध है ।

इतना सब कुछ होने पर भी गांधी हिन्दू मुस्लिम एकता का नारा लगाते रहे हिन्दू मूकदर्शक बने रहे, नोआखाली में गांधीने हिंदुओं का कत्लेआम करवाया। मुसलमानों का हिमायती बन कर तुर्की के कमल पाश का खिलाफत आंदोलन को भारत ला कर मुसलमानों का हिमायती बने, जब की खिलाफत आंदोलन से भारत का कोसों दूर तक कोई संपर्क नहीं था।

गांधी ने कहा मुस्लमान हमारा भाई है,अगर हमारे मुह में ठुकनाचाहे तो हमें मुह खोल देना चाहिए । ईधर मौलाना शौकत अलि कह रहे हैं एक भटका से भटका मुसलमान गांधी से कई हज़ार गुणा अच्छा है, क्यों की भटका व्यक्ति मुस्लमान है, और गांधी काफिर है ।

इन सभी बातों को हिन्दू सहन करते गए गांधी का प्रतिवाद करनेकी हिम्मत किसी में ना थी, उल्टा गांधी को राष्ट्र का पिता बना दिया गया । इन पिता के पुत्रों से कोई यह पूछे की जब यह पिता रूपी गांधी का जन्म नही हुवा था, उस समय राष्ट्र पिता किसे कहा गया ?

गांधी मुस्लिम हिमायती बनने पर भी मुसलमानों ने गांधी को अपना नेता नही माना,स्वामीश्रद्धानन्दको मुसलमानों ने अपना नेता माना, और दिल्ली के जमामस्जिद के मैम्बर पर खड़ा किया तकरीर के लिए यह सौभाग्य गांधी को मरते दम तक नसीब नहीं हो स्का ।

गांधी ने आर्य समाज ऋषि दयानंद का विरोध किया दयानंद कृत सत्यार्थ प्रकाश का भी विरोध किया, स्वामी श्रद्धानन्द और महाशय राजपाल जी को मरवाने में भी हाथ रहा हमारे इतिहास कारों का यही मानना है ।

कुरान में अल्लाह ने मुसलमानों को गैर मुस्लिमों से दिली और जुबानी दोस्ती तक रखने को मना किया है । देखें कुरान सूरा इमरान, आयत, 28, सूरा निस ,आयत ,144, सूरा ,मायदा, 57, को । गांधी इन बैटन को जानते ही नही थे , प्रो0 बलराज मधोक जी को लिखना पड़ा काश गांधी कुरान पढ़े होते । यह है कुल हिंदुओं के साथ धोखा ।
महेन्द्रपाल आर्य वैदिकप्रवक्ता, दिल्ली, 10जनवरी 17

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