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यह हैं हमारे देश के नेता |

Mahender Pal Arya
14 Nov 16
304
यह है हमारे देश के नेता |
क्या धर्म को छोड़ राजनीति संभव है ? धर्म राजनैतिक का एक अंग है? जी हाँ न्याय करना ही धर्म है। तो क्या हमारे राजनेता यह कह सकते हैं की न्याय न हो? फिर यह शाब्द ही गलत है धर्मनिरपेक्ष।
जरा विचारें न्याय धर्म का एक पार्ट {अंग} है, तो क्या राजनीती में यह न्याय शामिल है अथवा नही ? अगर शामिल है फिर धर्म नही है यह शब्द अपने आप में झूठ प्रमानित हो रहा है की नही ? जो लोग अपने को धर्म निरपेक्ष सेकुलर वादी कह रहे हैं क्या वह लोग न्याय नही चाहते ? यह न्याय धब्द कहाँ का है कहाँ से है ?
देखें विचार करें न्याय, सत्य, यह सब धर्म में आया है और कहीं नही, न्याय उसे कहते है जहाँ अन्याय न हो | जिस काम को अथवा फैसला को करने से मन प्रसन्न हो किसी भी प्रकार कोई भय, लज्जा, शंका,उत्पन्न न हो वह न्याय है | जो पक्षपात से अलग हो किसी भी प्रकार पक्षपात जिसमें न हो अपनों को मिले अन्यों को न मिले ऐसा ना हो उसे न्याय कहते हैं |
अब इसी एक शब्द पर विचार करें जो लोग अपने को राजनेता कहते हैं, और इधर अपने को सेकुलर वादी भी मानते हैं इन सब की जरा सुनें |
हमारे देश में इस समय एक बहुत बड़ा प्रमाण जो जनता के बीच आई है जिस से प्रमाण लिया जा सकता है |
थोड़ा समय पहले, यह खबर फैली सम्पूर्ण नेट पर, की माननीय प्रधान मन्त्री जी की भतीजी अपने भविष्य में और अपने जीवन को आगे चलाने के लियेअपना कागज पत्र लेकर माननीय प्रधान मन्त्री जी के पास पहुंची | की आप जरा इसे आगे बढ़ा दें तो मेरी तरक्की हो सकती है |
यह जग जाहिर हो गया की श्रीमान प्रधान मन्त्री जी ने, बेटी की कुछ राशी दे कर कहा बेटी, आप मेरी मात्र नही हो सम्पूर्ण देश की बेटी मेरी बेटी है | मैं आप को अकेली को बेटी मानूं तो मैं स्वार्थी कहलाऊंगा | राष्ट्र के बेटियों के साथ अन्याय होगा, राष्ट्र की सभी बेटियां यही सोचेगी, काश मेरे भी काका ताऊ होते तो मैं भी वहां सुफारिश करवा लेती आदि |
यह है प्रधान मन्त्री जी का न्याय जो उन्हें मिला है धर्म को जानने से धर्मपर उन्हों ने आचरण किया | अगर वह धर्म को नहीं जानते यह शब्द उनके लिये कहना संभव नही था | मैं इसी एक बात की चुनौती भारत के सभी अपने को राज नेता कहने कहलाने वालों को देता हूँ | जो लोग अपने को सेकुलरवादी मानते है क्या वह लोग इस बात को जानते भी हैं अथवा इसपर अमल करते हैं ? जब जानते ही नही तो अमल करने का सवाल ही कहाँ है ?
हमारे देश के जितने भी राजनीतिक पार्टियाँ है सबने यही धर्म विरुद्ध आचरण कर भाई भतीजावाद ही चला रखा है | मैंने 2+4= दिन पहले इस पर लिखा भी था |
मैं एक एक कर कुछ प्रमाण देता हूँ, मुलयम सिंह जी अपने को सेकुलर वादी मानते हैं, जिन्हों ने यह भारतियों के साथ विश्वास घात कर अपने पुरे कुनबे को MLA, MP, बना रखा है | राष्ट्र के लोग अपने दिलपर हाथ रख कर कहे की यह न्याय है अथवा अन्याय ? एक महेद्रपल आर्य को छोड़ किसी में यह अन्याय है प्रमाण देने का भी साहस नही है ? मुझे जहाँ कहा जायगा मैं वहीं खड़ा हो कर शास्त्र से सिद्ध कर दिखाऊंगा की यह अन्याय है |
अब लालू यादव जी के देखें वह भी अपने को सेकुलर वादी मानते हैं अन्य लोगों को कोसने में थकते भी नहीं | उनकी जितने भी बातें हैं सब बेमानी तर्कहीन हैं हमारे पत्रकार उन्हें निरुत्तर नही कर पाते | कारण उन्हें वह ज्ञान नही और ना उसको यह जानते हैं की इसका उत्तर क्या होना चाहिए आदि |
यह जनाब भी अपने पत्नी बेटे, बेटी, सब को लगा दिया उसी राजनीती में जिसे अपना नाम भी सही से लिखना नही आता | और शपत पत्र पढ़ने का जिसे सलीका नही है | प्रधान मन्त्री जी के मात्र उसी बेटी वाला प्रकरण को सामने रख कर विचार करें,की यह लोग जनता में चेहरा दिखाते फिर रहे हैं | ममता दीदी कह रही है, हमें कोई कुछ भी कहें हम पर असर पड़नेवाले ही नहो हैं | कारण फर्क तो शर्म दार पर ही होना है | उन्हों ने भी अपने परिवार वाद को उजागर किया हुवा हैं अपने भतीजा को आगे किया है |
राम विलास पासवान को देखें, प्रकाश करात, को देखें | मैं कितना और किसका किसका नाम लिखूंगा ? आप लोग सिर्फ एक प्रमाण प्रधान मन्त्री जी के भतीजी वाला प्रकरण को लेकर सभी राज नेताओं को खड़ा करें कोई भी सामने टिक नही सकते जो न्याय व्यवस्था है वही धर्म है उसी पर आचरण किये बिना राजनीती अंधी हैं |
हमारे राज नेताओं को अभी जानना पड़ेगा, सीखना भी पड़ेगा जो न्याय नहीं जानता वह राजनीती करही नही सकता | जो धर्म का एक ही अंग बताया हूँ पूरा प्रकरण ही धर्म है जो मानव मात्र के साथ जुड़ा है, मानव उसे छोड़ नही सकता उससे अलग हो ही नही सकता | राजी निति ही धर्म है, और धर्म ही राजनीती है, कारण धर्म मानव मात्र के लिये है | और राजनीती भी मानव मात्र के लिये है, वोट डालने मानव ही जाता है, किसी पशु को वोट डालते नही देखा | और न पशु को पता है की वोट क्या है ? और लालूप्रसाद कौन हैं, और मुलायम कौन है, सोनिया कौन हैं, और राहुल कौन हैं, नरेंद्र मोदी कौन है और प्रधान मन्त्री किसे कहते हैं ?
यह सभी बातें मानव मात्र के लिये है मानव मात्र पर लागु होता है, मानव मात्र ही इसपर अमल करते है | और यही मानव वोट डालने के लिये लाइन लगाकर इन्ही स्वार्थी नेताओं को अपना वोट डालकर उन्हें सिर्फ धन कमाने के लिये, अपने 7 पीढ़ी तक उद्धार के लिये राष्ट्र हितमें नही सिर्फ और सिर्फ अपने हित के लिये अपने पारिवारिक हितके लिये अपना राजनीती चमकाते हैं |
जिस जनता के वोट पर,यह नेता वहां तक पहुंचे है, उन्ही जनता को यह भूल जाते है, और कोई कोई तो पहचानने से भी इंकार करते हैं | यह है हमारे देश के नेता, यह लोग मानो ऐसे हैं की मतलब निकल गया है तो पहचानते नही, वाली कहावत को ही चरितार्थ करते हैं |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =14/11/16 =