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यह है कुरान की आयात सूरा निसा 13 और 14 =

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यह है कुरान की आयत सूरा निसा 13 और 14
दुनिया में मानव कहलाने वालों बहुत ही दिमाग लगा कर इसी आयत पर विचार करें तो अल्लाह की इस सत्यता का पता लगे गा |
 
यह प्रमाण इबने कसीर पेज 641 का है यह आयतें उतरी अल्लाहताला की हुदूद {हदें मर्यादा,क्षमता} बताने के लिए अल्लाहताला की इन हदों को यथावत रखने वालों के लिए और ना रखने वालों के लिए |
 
इसमें बताया > जो शख्स अल्लाह ताला की और उसके रसूल की नाफरमानी करे और उसकी निर्धारित किये गये मर्यादा से जो आगे निकल जाये, अर्थात उसका पालन न करे, उसे अल्लाह ताला जहन्नुम में डाल देगा जिसमें वह सदासर्वदा के लिए रहेगा |
 
उन्ही लोगों के लिए अपमानित करने वाला अजाब है, यानि यह फ़रायज़ कर्तव्य और यह मिकदार निर्धरित किया है और मैयत के वारिसों को {मृत व्यक्ति के परिजनों को} उनके नजदीकी कुटुम्ब को और उनकी जरूरत के अनुसार जिनको जितना हिस्सा दिलाया है यह सब अल्लाह की हुदूद हैं तुम इन हदों को ना तोड़ो ना उससे आगे बढ़ी, जो शख्स अल्लाह के इन अहकाम को मान ले, कोई हिलाहवाला {धोखा देकर} किसी वारिस कमो बेश दिलाने का चेष्टा न करना अल्लाह का हुक्म और अल्लाह का आदेश का पालन करना अल्लाह्का वादा है की वह इसकी सदासर्वदा खयाल रखेगा,|
 
ऐसा करने वालों को अल्लाह उसे जन्नत पानी वाली नहरों में दाखिल करेगा जहाँ आराम ही आराम है | वही लोग कामयाब खुशकिस्मत वाला है जो अल्लाह के हुक्म का पालन करते हैं वही लोग अपनी मुराद को पाने वाले हैं |
 
और जो लोग अल्लाहताला के हुक्म को नहीं मानेगा वही लोग अपना नुकसान उठाएंगे जो अल्लाह के हुक्म को बदलेगा वही लोग अल्लाह के सख्त अजाब में सजायाफ्ता होंगे, जो लोग अल्लाह्के हुक्म को पेश नज़र ना रखे, बल्कि उसके हुक्म को दुर करदे और उसके खिलाफ अमल करे, जो अल्लाह के हुक्म को अच्छी नजर से नहीं देखता अल्लाह भी उसे अच्छी नज़र से नहीं देखेंगे | और वे अल्लाह की दी हुई अजाब में मुब्तिला होंगे |
 
अल्लाह किस प्रकार मानव समाज में भेदभाव डाला है और धर्म के नाम से किस प्रकार अपनी बातों को मनवाने के लिए तरह तरह के लोभ और लालच देकर सिर्फ और सिर्फ इसलाम को मानने और मनवाने की बात की है |
 
और उसे ना मानने पर किस प्रकार से मानवों को डर दिखाया है भयभीत किया है, और मानव समाज में एक भय और आतंक का माहौल बनाकर अपनी बातों को मनवाया है |
 
मात्र उपदेश हि नहीं अपितु अपने पैगम्बरों नबियों और रसूलों को भेज कर उन्हें मौत के घाट उतारने का भी आदेश दिया है | यहाँ तक की इस अभियान में जो मुसलमान मरेगा उसे भी जन्नत का सबसे ऊँचादर्जा का स्थान देने की बात इन्हीं आयातों में की है |
 
अब जो लोग इसी लोभ और लालच में आ गये उन्होंने इस्लाम स्वीकार किया और इसी कुरान को कलामुल्लाह मानकर इस पर अमल करने लगे और इन्ही कुरानी आयातों पर अमल करते हुए सम्पूर्ण धरती पर इस्लाम के नाम से अपनी उँगलियों पर औरों को नचाने लगे हैं |
 
आज धरती पर जो आतंकवाद फैला है वह इसी कुरान के आदेश या हुक्म पर ही फैला है, जो हो रहा है सम्पूर्ण धरती पर इसका मूल कारण ही यही कुरान है, जिसका प्रमाण यहाँ कुरानी आयात में अल्लाह ने पेश किया है |
 
इसी प्रकार सम्पूर्ण कुरान में अल्लाह ने अपनी आयातों द्वारा इस्लाम के नाम से भयभीत किया है | जो सप्रमाण यहाँ प्रस्तुत किया गया है कुअरानी आयत से ही है दुनिया में मानव कहलाने वालों को इसपर विचार करना चाहिए > महेन्द्रपाल आर्य = 26 /8 /20

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