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राजार्य सभा का नियुक्ति पत्र

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यह नियुक्ति पत्र अखिल भारतीय राजार्य सभा की ओर से आज

दिनांक 4 / 8 / 18 को मुझे प्राप्त हुवा |

हमारे सभा प्रधान पूज्य आचार्य चन्द्र देव जी हैं, जो मूल मथुरा के निवासी हैं , किन्तु सम्पूर्ण आर्य जगत में उन्हें फरुखाबाद वाले के नाम से जानते हैं |

 

इस सभा के जन्मदाता थे पूज्य स्वामी इन्द्रदेव यति पिलिभिंत वाले, इस सभा से मेरा सम्पर्क बहुत पुराना ही रहा मैं इसी सभा के कई कार्यक्रमों में प्रवचन के लिए गया | मेरे कानपुर प्रवास काल 90 से इस सभा से मैं जुड़ा हूँ | पिछले इसी सभा की ओर से 2008 में दिल्ली आर्यसमाज दीवान हाल में एक शास्त्रार्थ का कार्य क्रम रहा | जिसमें सभी मत पन्थ वालों को निमंत्रण दिया गया था, की आर्य समाज के विद्वानों को शास्त्रार्थ में हरा कर 4 लाख की गाड़ी ले जाय |

 

अर्थात धरती का कोई भी मज़हब वाला, या मत पन्थ वाले अगर आर्य समाज को शास्त्रार्थ में हरा देता है  राजार्य सभा उसे 4 लाख की यह गाड़ी भेट करेगी |

 

आर्य लोगों इस चुनौती को दिल्ली हो या भारत में कोई भी इस्लाम, और ईसाइयों ने अपनी शकल तक नहीं दिखाई थी | एक मुसलमान आया था कश्मीर से, हमारे साथ कार्यलय में उसने सवाल पूछा कुछ, जिसका ज़वाब मैंने बहुत सलीके से दिया वैदिक मान्यता के आधार पर जो हमारी मान्यता है |

 

उसने सवाल किया आप आर्य समाज वाले खुदा को मानते हैं ? मैंने जवाब दिया बेशक {नि:सन्देह } फिर पूछा क्या उसकी मूर्ति होती है ? मैंने जवाब दिया वह बिना आकार का निराकार है | फिर उसने पूछा राम को क्या मानते हैं ? मैंने कहा महापुरुष मानते हैं | इस प्रकार प्राय: एक धंटे में मेरे द्वारा कुरान की आयातों को प्रमाण के साथ प्रस्तुत करता देख और सुनकर वह भाग खड़ा हुवा था | यह सारा मेरे द्वारा बनाये विडिओ truth wisdom 2008 जो मेरी साईट बनी थे इसी में लगाया गया था | जिसे सन्जीव नेवर ने समाप्त कर दिया | password हमें दिया नहीं था लम्बी कहानी है |

 

हमारी यही वह राजार्य सभा है जो ऋषि दयानन्द जी के बताये और लिए गये सत्यार्थ प्रकाश का 6 समुल्लास पर आधारित है यह सभा का सारा नियम उपनियम आदि | यह सभा विशुद्ध वैदिक मर्यादा ऋषि विचार पर आधारित है | इसमें जय श्रीराम को अभिवादन में मनाही है मर्यादा पुरुषोत्तम का नाम कहना हमारा अभिवादन नहीं है | सिर्फ और सिर्फ आर्यों का अभिवादन नमस्ते ही है |

वैदिक मर्यादा ना रोज़ा रखने की है और ना दुर्गा नौ रात्री की उपवास की हैं, अपितु वैदिक विचारों में यह उपासना का अंग नहीं माना गया | अर्थात अगर किसी की मान्यता है की चाँद का टुकड़ा हुवा | फिर  किसीने जवाब में बोला सूरज को निगल गये हनुमान जी |

 

हमारी वैदिक मान्यता यही है की गलत तो गलत ही होगा चाहे वह किसी के भी पास रहे ? अर्थात चाँद के टुकड़े होने से धरती पर उथल पुथल नहीं मची ? क्या आज के वैज्ञानिक युग में यह स्वीकार योग्य है ? चाँद धरती के प्राणी मात्र के लिए है, इस घटना को एक देश वालों को छोड़ किसी ने देखा ही नहीं यह कैसा सम्भव हुवा ? ठीक इसी प्रकार सूरज को खा जाने पर प्राणी मात्र को तकलीफ नहीं हुई ?

 

यह सभी बातें लोगों के बनाये हुए हैं, वैदिक परम्परा में अमरनाथ की यात्रा हो, अथवा यात्रा मक्का,मदीना की हो अथवा बैतूल मुक़द्दस की हो | वैदिक परम्परा में इसके लिए कोई गुंजाइश नहीं है | वैदिक मान्यता तर्क सम्पन्न बातें या युक्ति युक्त बातों को सामने रख कर मानव मात्र का चहुमुखी विकास का है | जो ऋषि मान्यता है संसार का उपकार करना, शारीरिक , आत्मिक, और सामाजिक उन्नति करने का उपदेश ऋषि दयानन्द जी के हैं | यहाँ तक की अपनी उन्नति में सन्तुष्ट ना रहकर सबकी उन्नति को अपनी उन्नति समझने का उपदेश ऋषि का है |

 

हमारी सभा मानव मात्र का कल्याण अथवा प्राणी मात्र में मैत्रीय भाव से राष्ट्र की उन्नति में विश्वास रखती है | समाज में बैर भाव करना सर्वथा ऋषि मान्यता के विपरीत है | राष्ट्र की उन्नति हमारी उन्नति है, राष्ट्र में हम हैं हमारा ही राष्ट्र है | आज हमारा राष्ट्र एक मुसीबतों से घिरा हुवा है चारों ओर राष्ट्र विरोधी गति विधियाँ चल रही है | हमारे नेता गन राष्ट्र की भलाई ना सोचकर किसी वर्ग विशेष की भलाई की बात कर रहे हैं | हमारे देश को आज हमारे नेताओं ने विदेशियों का शरण गाह बनाने को आतुर है, इसपर हम सबको राष्ट्रहित में कार्य करना चाहिए ना की किसी वर्ग विशेष के हित में ?

 

अंतमें मैं अपने सभी साथी संगियों से और मेरे साथ जुड़े लोगों से विनती करूँगा की आप लोग राष्ट्र हित में एक विशुद्ध वैदिक विचार वाली पार्टी जहाँ मात्र वेद विचार, साथ मिलकर चलने का है साथ मिलकर बोलने का है कन्धे से कन्धा मिलकर चलने का है सत्य को सत्य कहने की भावना सब में उत्पन्न करने की है असत्य को सत्य ना कहने की मान्यता ऋषि की है आप लोग ज्यादा से ज्यादा इस सभा के सदस्य बने और ऋषि विचारों को साकार बनाने का प्रयास करें | आप लोगों से यही मेरी प्रार्थना है धन्यवाद के साथ आप लोगों का ही  महेंद्र पाल आर्य राष्ट्रिय प्रवक्ता राजार्य सभा = 4 =8 =18  इसके सदस्य बनने के लिए आप लोगों से मेरी अपील है आप लोग इनसे सम्पर्क करें =सन्दीप आर्य जी =राजार्य सभा =919935083326 सभा प्रधान श्री आचार्य चंद्रदेव जी =मो ० 9450018141= आचार्य करणसिंह जी 91 989955 8589= इन लोगों से सम्पर्क कर सदस्यता ग्रहण जरुर करें |

 

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