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राममन्दिर और बाबरी मस्जिद पर निष्पक्ष विचार |

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राम मन्दिर और बाबरी मस्जिद पर निष्पक्ष विचार ||
राममन्दिर का विरोध मुसलमानों द्वारा हो रहा है,जिन मुहम्मद गौरी को हिन्दू राजा पृथ्वीराज ने 16 बार जीवनदान दिया,मुस्लिम अहसान नहीं मानते ?
 
राम मंदिर पर चर्चा विभिन्न TV चेनलों में देखने और सुनने को मिल रहा है जिस में सब लोग अपनी अपनी बातें बताये जा रहे हैं जिस में कुछ मुस्लिम नेता और धर्म गुरु भी बोलते दिख रहे हैं, और कुछ हिन्दू नेता और धर्म गुरु भी बोल रहे हैं |
 
परन्तु यह बात कोई कहने को तैयार नही हो रहे हैं, की कोर्ट का फैसला इस पर होना, अथवा देना किस लिए सम्भव होगा ? कारण यह दोनों भाई की सम्पत्ति की बटवारा तो नहीं, या झगड़ा भी नहीं, जो कोर्ट इस पर अपना निर्णय दे अथवा फैसला सुनाये ? यहाँ बात है की वह जगह मस्जिद है अथवा मन्दिर ? अब बाबर के काल का बचा कौन है की जिसने देखा मन्दिर तोड़ कर मस्जिद बनाते हुए ?
 
उस काल का अब कोई नहीं जो अपना आँखों देखा हाल बता सके ? अब तो निष्पक्ष विचार यही हो सकता है, की अगर मस्जिद है तो वह मस्जिद बनाई गयी थी, या बनी बनाई थी ? अगर बनवाई गई तो किसने, और किस जगह बनवाई ?
 
जवाब बड़ा ही सीधा है बाबर ने बनवाई थी =तबी बाबरी मस्जिद नाम पड़ा | बनाई कहाँ गई, जहाँ राम की जन्म भूमि है, अब सवाल यह उठता है की राम का जन्म इसी अयोध्या में हुवा या नही किसी से प्रमाण पत्र लेना पड़ेगा क्या? इतिहास साक्षी है राम का जन्म इसी देश में हुवा | उसी अयोध्या में हुवा अथवा नही इस के लिए निष्पक्ष बात है की जो कहे यहाँ नही हुवा, तो उसी को प्रमाण देना चाहिए की राम का जन्म कहाँ हुवा ? वही बताएं भारतियों को | अगर नहीं बता सकते तो उन्हें हमारी बात मान लेनी चाहिए | यह सीधी सी बात है- एक काल वह था की राम मन्दिर टूट कर जब बाबर मस्जिद बना सकता था | तो आज के दिन मस्जिद टूट कर मन्दिर बनने में किसी से अनुमति की क्या ज़रूरत ? जो इतने दिनों से यह नाटक बाजी हो रही है ?
 
पर यह बात भुलाना मत, की मन्दिर बने अथवा मस्जिद इस में मानव उत्थान होना नही है -और ना मानवों की कोई भला उससे होना है |
उसी अयोध्या के हनुमान गड़ी में दोनों महन्तों के बीच गोली चली थी कई वर्ष पहले | अखाड़ा बनाना है उसे लेकर राजनीती होनी है आदि |
रही बात मस्जिद बनने की तो, मस्जिद भी उसी जगह बननी है जहाँ नमाज पढ़ने वाले हों | जब वहां मुस्लिम आबादी नही है तो फिर मस्जिद बनाना जिहालती है | इसी लिए तो कहा लोगों ने, मस्जिद तो बनाली पल भर में ईमां की हरारत वालों ने | मन तो अपना पुराना पापी है वर्षों से नमाजी बन ना सका |
आज यही रह गया है मात्र =महेद्रंपाल आर्य -वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =24/4/17

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