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रावण का पुतला फूंक खुश हो रहे हैं कुछ लोग |

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|| रावण का पुतला फूंक खुश हो रहे कुछ लोग ||
भारत के ज्यादा प्रान्तों में लोग इस नवरात्रि के अवसर पर रावण जलाते हैं, बंगाल प्रान्त में इस अबसर में दुर्गा की पूजा करते है, बंगाली हिन्दू घराने के लोग |
बंगाल में यह सबसे बड़ा उत्सव या त्यौहार यही है सम्पूर्ण बंगाल के लोग झूम उठते हैं, लगातार ढाक ढोल की आवाज से पूरा प्रान्त मानों ख़ुशी से प्रफुल्लित हो उठता हैं | सभी नये नये कपड़ों में नज़र आते हैं परिवारों में महमान नवाजी से लेकर ख़ुशी का इज़हार चलता है लगातार प्रायः कई दिनों तक | बंगाल का दो त्यौहार या उत्सव बड़े पैमाने में मनाया जाता है, एक दुर्गा पूजा दूसरा काली पूजा, जैसा मुम्बई का गणेश पूजा को मनाते हैं महाराष्ट्र के लोग |
इस अबसर पर मूल बंगाल के निवासी अपने घर से जो लोग बाहर रहते हैं वह भी इसी दुर्गा पूजा मानाने के लिए अपने घर आ जाते हैं अपने रिश्ते दारों से परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए, एक ख़ुशी का वातावरण रहता है पुरे बंगाल के हिन्दू घराने में | मेरे ख्याल से भारत सरकार भी इसे दुर्गा पूजा के नाम से छुट्टी मनाती हैं अथवा सरकारी छुट्टी दुर्गा पूजा के नाम से ही अंकित है भारत भरके कलेंनड्रो तथा डायरियों में |
बंगाल में इस दुर्गा प्रतिमाओ को बनाकर बहुत कलाकार अपनी अपनी कलाओं को प्रदर्शित करते हैं, कुछ क्लब या कुछ कमिटी हैं जो सबसे ज्यादा अपनी प्रदर्शनी को दर्शाते हैं.इसबार कोलकाता शहर में एक प्रतिमा बनाई गई, नेपाली सिक्कों से जिसे देखने के लिए काफी भीड़ जुटी |
इसी प्रकार हरियाणा के अम्बाला में 40 कुइंटल वजन, और 210 फुट ऊँची रावण का पुतला बनाया गया | और इन कमिटी वालों का कहना है यहाँ देखने को बहुत भीड़ जुटती है, हमने सोचा लोगों को आकर्षित किया जाय आदि |
अब दुर्गा पूजा हो अथवा रावण दहन हो, दोनों से जो शिक्षा मिलती है उसे तो जाना ही नहीं, किंतु प्रचार यही होता है या करते हैं लोग, की अधर्म पर धर्म का विजय, अथवा असत्य पर सत्य का विजय |
मेरा सवाल इन सभी प्रदर्शन कारियों से है की अगर यह अधर्म पर धर्म का विजय है, अथवा असत्य पर सत्य का विजय है तो कबतक ? क्या अगले वर्ष रावण या दुर्गा बनकर तैयार नहीं होगी ? तो क्या आपने मात्र एक वर्ष के लिए ही अधर्म को हटाया, या एक वर्ष के लिए ही असत्य को मिटाया ? जब अगले वर्ष फिर रावण जन्म लेगा, तो आप लोगोंने जलाया क्या, या किसे जलाया ? मतलब बड़ा ही सीधा और साफ है की जो मानव जीवन का लक्ष्य है उसे जानने और समझने का प्रयास ही नहीं किया, किन्तु इसे तमाशा बनाकर लोगों को भी तमाशबीन बनाया गया अथवा बनाया जा रहा है | मानव समाज को धर्म के साथ जोड़ने के बजाय मानव समाज को आडंबर में फंसाया जा रहा है, धर्म, को कम, और अधर्म को ज्यादा अमल में लाया जा रहा है | जहाँ इतने वर्षों से चली आ रही दूर्गा पूजा और उसका विसर्जन उसे रोक कर मुहर्रम का ताजिया निकालने की बातें की जा रही है, जिससे कोलकाता उच्य न्यायालय को फटकार लगानी पड़ती हो आदि |
जो काम यहाँ धर्म के नाम से किया जा रहा है, सही पूछिए तो यह धर्म ही नहीं है, दुर्गा की पूजा धर्म नहीं और न ही रावण जलाना धर्म है | किन्तु जो शिक्षा प्राप्त करना था उसे ही नज़रअन्दाज किया गया |
अगर जलाना ही है तो अपने अंदर जो रावण बैठा है उसे जलाना था, काम क्रोध लोभ, मोह, हिंसा, चोरी चुगली झूठ, इर्षा द्वेष घमण्ड, छल कपट आदि को अपने अंदर से जलाना था उसे नहीं जला सके दुनिया को दिखाने के लिए रावण जला रहे हैं | धार्मिक,सामाजिक, और राजनीतिक तीनोंदिशाओं में हम नजर दौड़ा कर देखें तो रावण ही काम करता दिखाई देता है |
जैसा आज धर्म के नाम से एक भयावह वातावरण बनाया गया हिन्दू और मुस्लिम के नाम से, तो कहीं पर शिया और सुन्नी के नाम से, मानव कहला कर एक दुसरे को खून करने को उतारू हैं | इधर हर वर्ष रावण जला रहे हैं, तो कहीं शैतान को कंकड़ मारने को किसी एक मुल्क में एकत्र होते हैं लोग | ना जाने यह लोग कितने दिनों से रावण जला रहे हैं.और शैतान को मारे जा रहे हैं, अगले वर्ष फिर शैतान तैयार हो जाता हैं और रावण भी तैयार होता हैं | इधर अपने अंदर जो शैतान और रावण बैठा है उसे नहीं मार सके |
यही दशा हमारी समाज की है, समाज का ताना बाना को ताक पर रखते हुए उत्तर कोरिया आज अमेरिका से लेकर पूरी दुनिया को बताना चाह रही हैं की मानव समाज से हमारा कोई वास्ता ही नहीं है | तुमलोग ज्यादा चिल्लाव मत हम सब को सबक सिखादेंगे, मानव समाज से हमारा क्या लेना देना ? यही हाल पाकिस्तान की है दुनिया के मानव समाज में आज उस पाकितान की चर्चा है की आतंकवाद को पनाह देने वाला देश है | आतंकवादीओं का शरणास्थली है पाकिस्तान, उसी पाकिस्तान के रक्षा मंत्री हाफिज सईद को डारलिंग कहने पर बवाल मचा है | 10 करोड़ का मुकदमा दायर हुवा हैं हाफिज सईद द्वारा पाकिस्तानी रक्षा मंत्री पर | जिस व्यक्ति को प्रायः देशों ने समाजिक वहिष्कार किया है उसी ने रक्षा मंत्री पर 10 करोड़ का मुकदमा दायर किया है आदि |
अब राजनीति में देखें, पिछले 28 सितम्बर को भारतीय सैनिकों ने एक इतिहास रच दिया, जिसका वर्षगांठ हम भारत वासी मना रहे हैं | जिस दिन यह घटना घटी उसी दिन ही हमारे देश के छुटभैये और नौ सीखिए नेता कहने लगे हमें इसका प्रमाण दे भारत सरकार | नोट बन्दी या GST का मामला हो वह देश हितमें हुवा है व्यक्तिगत किसी का कोई स्वार्थ नहीं था और ना हैं | इसे भी हमारे देश के राजनीति करने वाले देश हित में काम करना भी गुनाह मानने लगे हैं | इसमें जो कुछ भी हुवा देश हितमें हुवा अगर टेक्स आएगा तो सरकार के पास ही आना है पाकिस्तान में वह धन जमा होगा नहीं, क्या वह आया धन प्रधानमंत्रीं या वित्यमंत्री अपने घर भरेंगे उस धन से ?
महंगाई बढ़ी किस लिए यह कह कर सरकार विरोधी नारा लगाया जा रहा है किसी के पुतले फूंके जा रहे हैं, गलत बयाँन बाजी चल रही है | इस के बाद भी दुसरे देश से आये लोगों को इसी भारत देश में बसाना चाहते हैं, इससे महंगाई घटेगी या बढ़ेगी ? अब राज ठाकरे जो अपने पार्टी का एक मात्र नेता है वह कहरहे जापानी रेल की एक ईंटें भी मुम्बई में रखने नहीं दिया जायगा,इसे कहते हैं रावण वृत्ति, जिसे जलाना था उसे तो नहीं जला सके रावण का पुतला जला कर ख़ुशी मना रहे लोग | भले ही दुनिया के लोग रावण का पुतला फूंक रहे हों किन्तु अपने अंदर तो रावण वृत्ति को शरण दिए हुए हैं |
ना जाने कितने देश मुसलमानों के हैं, अन्य किसी भी मुस्लिम देश में घुसपैठिये मुसलमानों को बसाने की बातें नहीं कर रहे भारत के मुसलमान, इसी भारत में ही उन्हें बसना चाह रहे ताकि भारत में मुसलमानों की वृद्धि हो | इस शैतानियत को मार नहीं सके, किन्तु अरब देश में जा कर शैतान को कंकड़ मारते हैं, जब की वहां शैतान नाम की कोई वस्तु ही नहीं है मात्र एक पिलर को शैतान मान कर ही उसपर पत्थर मारते हैं | और ना जाने कितने दिनों से मारते आ रहे हैं आज तक नहीं मार सके उस शैतांह को, इधर शैतान अपने अंदर ही पाले बैठे हैं |
अर्थात आज जहाँ देखें वहीं रावण बैठा हैं या फिर शैतान बैठा हैं, जिसे हम दुनिया वालों को दिखाने के लिए यह कहते हैं दुष्टों पर विजय | यह मात्र भूल धारणाएं हैं मानव समाज में, अगर रावण या शैतान मारना हो तो अपने अंदर जिस शैतान या रावण को पाल रखे हैं उसे मारना या जलाना पड़ेगा तभी हम मानव समाज को सही और स्वस्थ बना सकते हैं | तो आज ही इसी विजयादशमी के अबसर पर हम सब प्रतिज्ञा करें, की बाहरी रावण और शैतान को ना मार कर अपने अन्दर जो रावण और शैतान को हम पाल रहे हैं उसे मारें या फिर जलाएं जिससे की मानव जीवन सफल हो सके |
महेन्द्रपाल आर्य =1 /10 /17 =

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