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राष्ट्र निर्माण का एक ही रास्ता अन्धविश्वास से मुक्ति |

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राष्ट्र निर्माण का एक ही रास्ता, अन्धविश्वास से मुक्ति |
धरती पर जितने भी मानव हैं सबकी बनावट,आकृति और सबका नाक नकशा, यहाँ तक की सबकी आवाज भी अलग अलग ही है |

प्रकृति को देखने पर भी यही मालूम पड़ता है हर एक फूलों की रंग अलग हर एक की खुशबु अलग हर एक फलों का स्वाद अलग | हर एक फलों की भी स्वाद अलग हर एक की गुण अलग | यह सब देख कर भी मानव कुछ भी सिख्नने को तैयार नहीं | यही सबसे आश्चर्य की बात है, और परेशानी की भी |

इसका कारण यह है की परमात्मा के बनाये प्रकृति अपने गुणों को नहीं छोडती चाहे वह फुल हो फल फल हो वह कभी भी अपने गुणों को और तासीर को नहीं छोडती | अर्थात इमली खटास को = आम मिठास को = इस प्रकार फलों के जो गुण हैं ख़राब हो जाने पर वही गुण उसमें रहते हैं, नाम भी वही रहता है | जैसा आम अगर गल भी जाता है उसका नाम आम ही रहकर ख़राब होगा | यह हर फलों में हर फूलों में यही बात होती है वह ख़राब होते समय तक अपने नामों में बदलाव नहीं आता |

किन्तु मानवों में यही खूबी है जिसे परमात्मा ने मानवों को प्राप्त कराया है | मानव अपने कर्मों से अपना नाम बदल सकता है | जैसा साधारण नाम है मानव कबतक यह मानव ? जबतक अपनी बुद्धि का प्रयोग करे बुद्धि से काम ले तब तक इसका नाम मानव है | जब इसकी बुद्धि ख़राब हो जाय बुद्धि काम न करे फ़ौरन उसका नाम बदल जायेगा {पागल} फलों का फूलों का नाम नहीं बदला किन्तु मानव का बदल गया |

अर्थात मानव अपने कर्मों से अपना नाम बदल सकता है जो और किसी भी जिव जन्तु पेढ़ पौधे और किसी प्रकृति के वस्तुओं में यह गुण नहीं है | इतना सब कुछ होने पर, देख कर भी मानव नहीं समझता या फिर समझना नहीं चाहते तो वह मानवों में अपना नाम कैसे लिखवा सकता है ?

मानव अकल रख कर भी अगर अंधविश्वास कु प्रथा से अपने को ना निकाले वह मानवों में अपने को शुमार क्यों और कैसा कर सकता है ? कारण मानव का काम है अक्लमंदी के परिचय देने का अथवा अक्लसे काम लेनेका |

यही कारण है की परमात्मा ने वेद में उपदेश दिया है मानव मात्र को चाहिए सभी अन्धविश्वास और कुसंस्कारों से मानव ऊपर उठे अर्थात मानव बुद्धि परख है इसिलिए मानव का कार्य बुद्धि पूर्वक होना चाहिए |

विशेष कर हमारे भारतवर्ष में जितने भी मत पंथ के मानने वाले लोग हैं सब की मान्यता कु संस्कार और अंधविश्वास ही है | चाहे कोई पुराणों का मानने वाला हिन्दू कहलाने वाला हो अथवा कोई ईसाई और मुस्लमान कहलाता हो अपने को | सब की मान्यता अंधविश्वास ही है |

जैसा हिन्दू मानता है मानो तो देव, ना मानों तो पत्थर | जब की बुद्धिमान कहेंगे जब तुम रेत को चीनी नहीं बना सके तो पत्थर को देवता कैसे मान रहे हो ? कहेंगे हमारी आस्था | यह सरासर मानवता विरुद्ध बात है आस्था =धर्म विरुद्ध बात भी है यह आस्था |

ठीक इसी प्रकार कुरान वाले कहते हैं इंशाल्लाह अल्लाने चाहे तो = अब सवाल पैदा होता है किस लिए अल्लाह चाहेगा ? कुरान कहता है अल्लाह की मर्ज़ी जो चाहे सो करे, इसी विचारधारा ने मानव को मानवता से अलग किया है | कारण अल्लाह जो चाहे कर सकता है यह कोरा झूठ है = आज तक अल्लाह प्रकृति के सामानों को अपने चाहने के मुताबिक बदल पाए क्या ?

बिलकुल छोटा उधारण है की धरती बनने से लेकर आज तक प्रकृति के नियम को अल्लाह बदल नहीं सके | अल्लाह आज तक आम को इमली बना पाए क्या ? इसे कहते हैं अन्धविश्वास | यही बातें हर मत पंथों में है |
मानव समाज को इस अन्धविश्वास से जब तक मुक्ति ना दिलाई जाय या जबतक बाहर ना निकला तो मानव मानवता की रक्षा नहीं कर सकता |

यही कारण है मानव अगर सभी प्रकार के कुसंस्कारों और अंधविश्वासों से मुक्ति पाना चाहे तो राष्ट्र का निर्माण किया जाना संभव है | तो राष्ट्र निर्माण के लिए इस पार्टी का सदस्य अवश्य बने जिससे की राष्ट्र का निर्माण किया जा सके | राष्ट्र निर्माण पार्टी की खूबी यही है की यह वैदिक विचार धारा को जन जन तक पहुंचा कर सभी अंधविश्वासों से मुक्ति दिलाते हुए राष्ट्र का निर्माण और मानव समाज का उत्थान चाहती है | आज ही इसकी सदस्यता ग्रहण करें | धन्यवाद के साथ = राष्ट्रिय प्रवक्ता =राष्ट्र निर्माण पार्टी = सदस्यता हेतु संपर्क म० 9911500369 = पहलवान धर्मवीर सिंह = दिल्ली =

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