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रेल मंत्रालय के कारण जनता की दुर्गति |

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रेल मंत्रालय के कारण जनता की दुर्गति ||

अगर रेल मंत्री चाहते है जनता परेशान न हों, तो रेल टिकट को खोल देना चाहिए, जनता को यह मालूम ही नहीं कि ओन लाईन टिकट क्या है और कहाँ बनती है ? दूसरी बात यह भी है की अगर रेल मंत्री कहते हैं की RAC,और वेटिंग टिकट भी मिलेंगे –किन्तु वेटिग टिकट में सफ़र नहीं कर सकते | अगर वेटिंग टिकिट में सफ़र नहीं कर सकते तो उसे दिया ही किस लिए जा रहा है ? जनता को असुविधा के सिवा क्या है कौन सी भलाई जनता की कर रही है सरकार ?

सरकार चाहती है की भारत के लोगों को परेशानी न हो सब अपने अपने घर चले जाएँ, तो सरकार को चाहिये था की रेल को बंद न करते सब लोग अपने अपने घर चलेजाते | इसे बंद करने से लोगों की परेशानी बढ़ी सड़क पे लोग मरने को मजबूर हो गये | यह सभी दोष सरकार पर ही लग रही है |

इसमें भी राजनीती पार्टियाँ अपनी अपनी रोटी सकने में लगी है | सरकार अपनी जिम्मेदारी प्रथम से ट्रेनें चलने देती तो शायद इतने लोग सड़क हादसे में न मरते | लोग परेशान इस लिए भी हुए एक प्रान्त से दुसरे प्रांत में आने के लिए यहाँ कागज बनाव वहां सुचना दो कहीं लाईन लगाव लोगों के पास काम नहीं खाना नहीं लोग मुसीबत में है उन्हें और मुसीबतों का सामना सरकार के द्वारा ही होने लगी |

इसमें भी कोई सरकार अपने प्रान्त के लोगों को आने की अनुमति दे रही है,और कोई नहीं सब मिलाकर पब्लिक की मुसीबत को दूर करने की बात तो सरकार करती रही, लेकिन पब्लिक की मुसीबत सरकार ने और वढादी | घर आने कि होड़ में अपनी जानें गवाने को मजबूर गो गये, अब भी वही तरिका रेल मंत्रालय की है अगर वेटिंग में सफ़र नहीं कर सकते तो टिकट दिया किस लिए जा रहा है ? जनता को मुसीबत में डाल कर भी सरकार एहसान जतारही है |

सरकार को चाहिए की जनता को सफ़र करते समय उसे चेक करके सफ़र करने दिया जाय, उन्हें किस तरह मुसीबत से छुटकारा मिले वह करना चाहिए, पर यहाँ सारा काम उल्टा करके भी अहसान लेना चाहिती है सरकार,जो सरासर गलत है | जनता का जिससे भला हो वह काम करना चाहिए था | किसीने कहीं से कहीं तक बस भेज ने को कह रही है, किसीने आपत्ति जताकर उसे रुकवाने को आतुर हैं | कहीं उसपर झंडा लगाने को लेकर विवाद शुरू हो गया यह सब पब्लिक के लिए मुसीबत की बात हो रही है, जो नहीं होना चाहिये |

भारत सरकार से प्रार्थना है की इस व्यवस्था को अविलम्ब ठीक करें, जिससे की लोगों को आने जाने में कहीं पर किसी को भी मुसीबतों का सामना करना न पड़े |

धन्यवाद के साथ = महेन्द्रपाल आर्य = 22 /5 /20

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