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वह मानव कहलाने के लायक ही नहीं

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वह मानव कहलाने के लायक ही नहीं ||
अफ़सोस तो यह है मानव ने उसे नहीं पहचाना जिसने मानव बनाया ||
सच्चाई यही है की अगर यह मानव कहलाने वाले उसे जानते या पहचानते तो उस मानव बनाने वाले के नाम से धरती लाल न होती मानवों के खून से |
 
आज सम्पूर्ण विश्व में देखे मानव समाज में जो लड़ाईयाँ चल रही है वह आल्लाह =के नाम से =अल्लाह वाले चाहते हैं धरती पर सिर्फ हमें ही रहना है औरों को रहने का कोई अधिकार नहीं है | यही कारण बना एक दुसरे को मारने की होड़ लगी हैं |
 
जो लोग अल्लाह के नाम से लड़ रहे हैं उन्हें अल्लाह ने मानवता का पाठ ही नहीं पढाया और न मानव बनने का उपदेश उन्हें दिया | अल्लाह ने उन्हें सिर्फ और सिर्फ मुसलमान बनाने को कहा | ईमानदार बनने को कहा | सम्पूर्ण कुरान भरा है इन्हीं उपदेशों से | `
 
अर्थात अल्लाह की नज़र में सब बेईमान हैं,अल्लाह ने ईमानदार बनने का उपदेश दिया – और जो ईमानदार बन चुके उन्हें उपदेश दिया की जो मानव कहलाने वाले ईमानदार नहीं बनते उन्हें तुम ईमानदार बनाओ |
 
भले ही उन्हें किसी भी प्रकार बनाना पड़े सख्ती से उनपर दबाव बना कर, इसमें अगर बात नहीं बनती है तो उन्हें मौत के घाट उतारो और किसी भी तरह अल्लाह का दीन इस्लाम पूरी दुनिया में फ़ैल जाए इसे फ़ैलाने में तुम्हें कितना कुछ क्यों न करना पड़े पीछे न रहो |
 
यह उपदेश है कुरान में अल्लाह का और कुरान वाले इसे ही चरितार्थ करने में लगे हैं, इस्लाम के जन्म काल से, और इस्लाम के फ़ैलाने में अल्लाह के भेजे गये पैगम्बर रसूल ने अल्लाह के इन्हीं हुकुम का पालन किया और पूरा समय लगाया इसी काम में |
कारण अल्लाह ने उन्हें भेजा ही है इसी काम के लिए की इस्लाम का विस्तार करो सम्पूर्ण दुनिया में | कारण पैगम्बर कहलाते वही हैं, जो अल्लाह के पैगाम को दुनिया में फैलाये |
 
इस काम को अंजाम देने में अल्लाह का पैगम्बर अल्लाह का दिये आदेश का पालन करते हुए अपने सगे चाचा को भी मौत के घाट उतार दिया | और भी अपने सगे सम्वंधियों को भी मौतके नींद सुलाया |
 
इससे मानव समाज को अथवा जो लोग अपने को मानव कहते कहलाते हैं उन्हें इसे समझना पड़ेगा की मानव समाज में झगडा क्यों और किनके द्वारा यह झगड़ा हो रहा है, या यह झगडा किनका लगाया हुवा है ?
 
जिसका एक ही निदान है, की अगर यह दुनियादार अपने को मुसलमान और ईमानदार न कहलाते तो आज धरती पर एक दुसरे की हत्या न करते | सिर्फ मानव कहलाने भरसे यह मानवों की हत्या रुक सकती है |
 
कारण मानव का परिभाषा यही है दूसरों के सुख दुःख लाभ हानि समझना, अपनी आत्मा के समान सभी आत्मा को जानना, सबके साथ मैत्री भाव रखना सत्य असत्य को जानकार समझकर विचार पूर्वक सत्य का धारण असत्य का परित्याग करने का नाम ही मानवता है |
 
आज धरती इन्हीं मानवता को त्याग दिया,जिनको मानव बनाने वाले ने मानव बनने का उपदेश दिया मनुर्भव कहा | यही मानव आज मानव न बनकर कोई हिन्दू बन रहा है और कोई मुसलमान बन रहा है और कोई ईसाई बनने को आतुर हैं |
 
नतिजा यही हुवा की एक दुसरे को मात देने के लिए किसी का प्राण लेने में भी संकोच नहीं कर रहे हैं | और एक दुसरे को क़त्ल करने में भी देर नहीं लगाते और न भय खाते | इस लेख को ध्यान से पढ़ें अगर सच मालूम हो तो औरों को भी भेजें | धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य = 25 /6 /20 =

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