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विशेष लेख ध्यान से पढ़ें

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विशेष लेख ध्यान से पढ़ें
किसानों ने कर्जा लिया साहूकारों से कर्ज के बोझ से खुदकुशी करे किसान मुवाबजा मिले किसानों को,पर साहूकारों का कर्जा चुकाए कौन नेतागण जवाबदें |
 
इस पर किसी ने मुझे लिखा कर्जा सरकार से लिया है | मेरे लेख को लोग ध्यान से पढ़े बिना ही ना समझी दिखाते हुए सवाल उठाते है उन्हें पहले पढ़ना चाहिए क्या लिखा है ?
 
मैंने लिखा किसान जो किसी महाजन से {साहूकार } से पैसा लिया | कल म० प्र० के हौशंगाबाद में दो आत्म हत्या किया किसान ने, वह रुपया किसी साहूकार से लिया था | अब सरकार पैसा किनको देगी किसान को जो मरा या आत्म हत्या किया उसे | क्या उनके परिवार के लोग उन साहूकार को पैसा वापस करेंगे ? किसकी जिम्मेदारी है यह उन्हें पैसा दिलवाने की ?
 
मुझे लगता है यह जो कायरता है आत्महत्या करलेना सही अर्थों में यह कायरता है उन किसानों को कोई नहीं बता रहा है और न कोई इस बात की चर्चा कर रहा है ? चाहे राज नेता हो या फिर कोई मन्त्री मण्डल ? अब यह मण्डल तो कमण्डल लिए फिर रहे हैं कोई किसानों को यह कहकर नहीं समझा रहे की आत्महत्या करना महापाप है |
उन किसानों को लेकर लोग अपनी अपनी राज नीति ही करते नज़र आ रहे है, और इस में ज्यादा तर आग में घी डालने का काम कांग्रेसियों के द्वारा हो रहा है | यह सत्ता से अलग होते ही बिन पानी के मछली बने और छट फटा हट शुरू हो गया जो दुनिया देख रही है |
 
जिन किसानों को लेकर यह कांग्रेसी आन्दोलन कर रहे हैं उन किसानों से कोई पूछे की अगर तुम लोग कांग्रेसी हो तो MP में शिवराज सिंह जी की सरकार इतने दिनों से कैसा बना हुवा है ?
 
अथवा UP हो या हरियाणा- देश के किसानों से यह पूछना चाहिए की भारत से कांग्रेसियों की सफाया क्यों और कैसी हो गई ? अगर आप लोग कांग्रेसी हो तो UP में इन काग्रेस तो डूबे ही उल्टा मुलायम अखिलेश को भी डुबो दिया | यह क्यों और कैसे हुवा ? हम सब को मिलकर यह सन्देश किसानों को देना चाहिए जो मिडिया के माध्यम से यह काम हो सकता है |
 
पर यह मिडिया वाले भी सब अपना अपना राग अलापते हैं उन्हें भी यह सलीका नही की उन किसानों के दिल और दिमाग में भरें की आत्महत्या करना महापाप है | यह मिडिया वाले भागते हैं कहीं इन्हें कोई नेता दिख जाय बस उसी के पीछे भागते हैं | वह नेता भी फुल कर गुब्बारा बनजाता है की मेरे पीछे किस तरीके से यह मिडिया वाले भागते हैं ? कोई मिडिया वालों को गाली दे रहा है कहीं कहीं तो मार भी देता है मिडिया वालों को |
 
अभी मैंने देखा मिडिया वालों को पहचानने के लिए एक ज़ेक्र्ट दिया बंगाल पुलिस ने | की जिस से वह पहचाने जाएँ की वह मिडिया वाले हैं, पुलिस उन्हें पहचाने उनपर हमला ना हो | किन्तु अभी मैं TV में देखा बंगाल पुलिस ने ही एक मिडिया कर्मी का हाथ तोड़ दिया मार कर |
 
तो मेरा कहना है की मिडिया वाले अगर इन नेताओं की उपेक्षा करें यह दो दिन में ठीक हो जायेंगे | और मिडिया वाले अपना प्रचार उन किसानों को समझाने में ज्यादा करें की आत्महत्या करना मानवता विरोधी है धर्म विरोधी है कायरता है आदि |
 
इसका लाभ ही कुछ अलग होगा मानवता का प्रचार होगा किन्तु दुर्भाग्य है आज जो धर्म प्रधान देश है उसी देश के लोग आत्महत्या करने में आमादा हैं उन्हें समझाने वाला कोई नहीं ? हाय रे मानव कहलाने वाले तू अकलमन्दी का परिचय कब देगा ? महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =दिल्ली =16 /6 /17 =

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