Vaidik Gyan...
Total:$776.99
Checkout

वैदिक संस्कृति में और इसलामिक मान्यता में भेद क्या है देखें |

Share post:

|| वैदिक संस्कृति और, इस्लामिक मान्यता में भेद ||
विदूर जी से किसीने पूछा की हमारे लिए अच्छा कार्य क्या है,? जवाब मिला ईश्वर आराधना,सबसे अच्छा कार्य है | पूछने वाले ने कहा यह नही हो सका तो क्या करें ? जवाब में ऋषि विदुर ने कहा, अगर ईश्वर भक्ति नही कर सके तो राष्ट भक्ति करना | उसने कहा अगर यह भी नही कर पाया तो क्या करना चाहिए ? विदुर जी ने नाराज हो कर काहा फिर चुल्लू भर पानी में डूब कर मर जाना चाहिए | यह है हमारी वैदिक संस्कृति | अन्य लोगों की मान्यता देखें |
अब्दुल्ला इबने मसयुद ने, एक बार हजरत मुहम्मद {स} से पूछा- आइयुल अमले अफ्ज़लो= हमारे लिए अच्छा काम क्या है ? हुजुरने जवाब दिया – कलास्सलातो अला मिकातेहा | अच्छा काम है समय पर नमाज पढ़ना | दूसरी बार पूछा = सुम्मा आइयुन= इससे कोई और अच्छा काम क्या है जिसे किया करूं ? जवाब मिला | काला सुम्मा विररुल वालिदैन | उसके अच्छा काम है माँ बाप का सेवा करना | फिर पूछा = कुल्तो सुम्मा आइयुन = इससे भी और अच्छा काम क्याहै ?
जवाब मिला, कलाल जिहादु फि सबीलिल्लाह | सबसे अच्छा काम है अल्लाह के रास्ते में जिहाद करना | इससे बढ़ कर अल्लाह के नजदीक और कोई अच्छा काम ही नही है|
अल्लाह का रास्ता क्या है ? अल्लाह का रास्ता यही है जो इस्लाम के माननेवाले कर रहे हैं | यही गैर मुस्लिमों से लढ़ना इस से बढ़ कर अल्लाह के नजदीक और कोईअच्छा काम ही नही है |
इसी कार्य को करने के लिए जिन्हें लोग इस्लामिक धर्म गुरु कह रहे हैं, वह लोग यही तालीम देने में लगे हैं| अभी केरल के मदरसे से एक मौलाना जो शिक्षक हैं उसी मदरसे में, जिसे पुलिस ने गिरिफ्तार किया है | जाकिर नाईक का प्रयास तो आप लोगों को पता लग ही चूका है | की IRF नामी संस्था क्या काम करती है किस प्रकार पैसा देकर भी मुसलमान बना कर उसे उन जिहादी संस्था में भेज रहा है ? आप लोगों को जानकारी बहुत बाद में मिली है मैंने 2003 से उसे घेरा | की वेद में मुहम्मद का नाम कहाँ है? हिन्दुओं को इस्लाम स्वीकार कर लेना चाहिए वह किस लिए ? क्या कुरान का उपदेश और वेद का उपदेश बरा बर है ?
इन बातों को लेकर मैंने उन्हें लिखा, जवाब =2004 में अपने सेमिनार में मुझे बुलाया यह सभी घटनाएँ मैं अपनी पुस्तक में लिख चूका हूँ | 2007में फिर मुझे बुलाया अपने कार्यक्रम में | फिर मैंने 2008 में उनको इसी विषय पर बैठने की खुली चुनौती दी सार्व देशिक सभा के लेटरपेड में, एडवोकेट श्री विमल वधावन जी के माध्यम से | यहाँ तक किसी आर्य समाजियों को कोई खबर ही नही, की वेद के खिलाफ जाकिरनाईक प्रचार कर रहा है | और आर्य समाजियों का जानना भी ज़रूरी नही |
मुझे इन IRF वालों से भी बात सुन नी पड़ी की आप अपना नाम का प्रचार करना चाहते हैं डॉ0जाकिरनाईक के साथ डिबेट करके | फिर भी मैं प्रयास जारी रखा इसके बीच मुझे समय दे कर भी मना कर दिया | अब मैं सुदर्शन न्यूज़ चेनल में आया उसके बाद से सभी चेनल से, और लोगों को जानकारी मिली | पर हिन्दू गुरु श्रीश्रीरविशंकर जी जाकिर नाईक से हार, हिन्दू समाज की बेइज्जती करदी |
पर सत्य की जीत होती रही है और होती रहेगी, यह रविशंकर जी भी नही जानते थे | अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने वालों को इस्लाम वाले आतंकवादी नही मानते और ना कहते हैं | उन्हें इस्लाम में मुजाहेदीन कहा जाता हैं यानी जो दीन इस्लाम के लिए लडे उसे ही मुजाहेदीन कहा है इस्लाम में | मैंने जो प्रमाण दिया है उपर में= वह बुखारी शरीफ के किताबुल जिहाद का पहला हदीस है | बाब न० 46= हदीस न० 51 देखें मिलाकर | महेन्द्रपाल आर्य =16/8/16== पिछले वर्ष आज की तारीख में यह लिखा था =मेरे होम पेज में किसी ने डाल दिया है यादगार के लिए | 16=8 =17 =

Top