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शाबाद अहमद को अजान तर्क का जवाब =महेन्द्रपाल आर्य |

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शाबादअहमद को अजान तर्क का जवाब =महेन्द्रपाल आर्य |
मेरे भोले भाईयों इसे ही तो अंध विश्वास कहते हैं | रही बात आस्था की = तो आस्था से धर्म का और आप की मान्यता का कोई मेल ही नही है | कैसे देखें हम पहले आजान से चलते हैं | उपर जो शाबाद अहमद है, जिन्हों ने अपने नाम के साथ जर्नालिष्ट लिखा है | और यह आजानजो उन्हों ने लिखा है, उनसे मेरा सवाल है क्या इस्लाममें जर्नालिष्ट की अनुमति है?
यह लोग इस्लाम को जानते तक नही सिर्फ इस्लाम को ढो रहे हैं | इस्लाम में जर्नालिष्टों की दुवा भी अल्लाह कुबूल नही करते | रही बात आज़ान की जो उन्होंने लिखा है | आज़ान अल्लाह के पास नही पहुंचती बल्कि इन्सान को यह हिदायत दी जाती है आ ओ – कामयाबी की तरफ |
विचार करें अगर यह आज़ान इन्सान की कामयाबी के लिये बुलावा है, तो उसमें मुहम्मद की रसूल होने की गवाही किस लिये ? नमाज़ अल्लाह की इबादत है मुसलमानों के लिये, तो उसमें रसूल की गवाही देने की बात क्यों है ?
पता लगा अल्लाह एक नही है मुहम्मद को अल्लाह से अलग किया जाना संभव नही | यही कारण है की अल्लाह के नाम के साथ मुहम्मद का नाम जुड़ा है, कुरान गवाह है |
देखें कुरान को >مَنْ يُّطِعِ الرَّسُوْلَ فَقَدْ اَطَاعَ اللّٰهَ ۚ وَمَنْ تَوَلّٰى فَمَآ اَرْسَلْنٰكَ عَلَيْهِمْ حَفِيْظًا |सूरा निसा =80 جس نے رسول کی اطاعت کی اس نے دراصل خدا کی اطاعت کی ۔ اور جو منہ موڑ گیا ، تو بہرحال ہم نے تمہیں ان لوگوں پر پاسبان بنا کر تو نہیں بھیجا ہے | जिसने रसूल की इतायत की दर असल उसने मेरी इतायत की | यह कहना है अल्लाह का | मियां शबाद आप जानते ही नही इस्लाम को और कुरान व अल्लाह को भी नही जानते | मैंने सिर्फ एक ही हवाला दिया है कुरान में और भी कई जगह है यही प्रमाण |
अब साहनी का सुनें की आस्था की बात है हम मूर्ति के सामने हाथ जोड़ते है उसके पास भी हमारी आवाज जाती है क्या ? साहनी जी मूर्ति के सामने हाथ जोड़ना ही तो मुर्खता है | उस मूर्ति को बनाने वाला मानव है उसे आप देवता मान बैठे | जो मूर्ति ना खाए ना बोले, देवता देने वाले का नाम है |
रही बात आस्था की तो आप रेत को चीनी =और गोबर को अपनी आस्था से हलवा बना सकते हैं क्या ? आप की अक्ल कहाँ चली गई घांस चरने, अक्ल बड़ी या भैंस ? मान्यवर एक नकली चूहा पर बिल्ली झपट्टा नही मारती उसे पता है नकली है यह दांत टूटेंगे | क्या अक्लमंद आप हैं अथवा बिल्ली ? कागज के फूलों पर भंवरा नही बैठती पर साहनी जी आप मानव होकर भी पता नही लग पाया असल और नकल का | क्या आप यही मानव है अकल को घांस चरने भेजा है ?

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