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सत्ता के लोभी लोग क्या नहीं करते ?

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सत्ताके लोभी लोग क्या नहीं करते ||

सत्ताका लोभ एक ऐसी चीज है की लोग सब कुछ भूल जाते हैं, अभी मैंने मिडिया में देखा जम्मूकश्मीर की CM महबूबा मुफ़्ती को आतंकवादियों के हाथों मारे गये शवों पर फूलों का बना हुवा गुलदस्ता चढाते जो इसलाम में शख्त मना है कुफ्र है |

एक तरफ तो इस्लाम के दावेदार बनती हैं, और दूसरी ओर इसलाम के खिलाफ काम करती है जो सरासर इसलाम के खिलाफ हैं | ना जाने यह लोग इसलाम की इस फसाने को ढो कर कब तक जनता को धोखा देती रहेंगी ?

 

यही हाल सिनेमा जगत के उन खान ब्रदार्स का भी है जो इस्लाम में हराम है और उसी काम को यह इसलाम के दावेदार सभी फिल्म जगत वाले कर रहे हैं | इसलामी चोला ओढ़ कर हज को भी चले जाते हैं यह सारा काम भारत में ही करना संभव है | इन फिल्म स्टारों को पता होना चाहिए जो इसलामी तालिवानी हुक्म और व्यवस्था है उसमें यह लोग सजायाफ्ता होंगे | इतना होने पर भी शारुख खान को, आमिर खान को भारत अशहिष्णु दिखाई देता है |

 

यह सारे नकली और छलावा करने वाले लोग हैं इन्हें ना इसलाम से मतलब और ना भारत से मतलब है,इन्हें सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है, जो दुनिया देख रही है सत्यता को, की यह लोग सत्य से कितने दूर हैं |

 

इधर लालू प्रसाद यादव परिवार को देखें, जो इनकी पार्टी है वह भी मुलायम सिंह जैसी परिवार वादी पार्टी है | उन्हों ने घुटाला किया अथवा नहीं यह नहीं कह रहे हैं, सिर्फ यह बताया जा रहा है बीजेपी की साजिश है बदले की भावना है बदले की भावना से ही यह काम CBI को दिया गया आदि | मिडिया वालों की पिटाई करने में भी संकोच नहीं करते |

 

पर लालू बाबु यह कहने को तैयार नहीं की उन्हों ने यह अगाध संपत्ति कहाँ से जोड़ा ? जब एक लेबर क्लास के कमरे में रहने वाले लालू भारत भर सम्पत्ति का अम्बार कैसे इकठ्ठा किया ? यह काम आज से नहीं जब से वह राजनीती में आये केवल सम्पत्ति बनाने का ही काम किया है | कांग्रेस के काल से यही काम करते आये, कांग्रेस ने भी अनदेखी की कारण उन्हें भी मां बेटा मिलकर यही करना था वह किस लिए रोकते भला ?

 

अब सरकार की जिम्मेदारी है कोई भी गलत तरीके से सम्पत्ति बटोरे उसका उजागर करना | जब सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाने लगी तो सारे सरकार विरोधी पार्टी कहने लगी बदले की भावना से सरकार काम कर रही है |

 

सब मिलकर देश में सर्कस करने लगे राजनीति पार्टी, जिन लोगों का मुख्य काम राष्ट्र हित में करना था | उन्हें अपने हित से ही फुर्सत नहीं मिडिया वाले उन्हें निरुत्तर नहीं कर पा रहे हैं की उन्हें अक्ल ही नहीं की कौनसा सवाल है जिनमें यह निरुत्तर हो सकते हैं ? यह सलीका इनके पास नहीं है, लालू बाबु से सिर्फ यही पूछना था की सरकार का काम गलती को पकड़ना देखना सुधारना है अथवा किसी भी गलती को अनदेखा करना है ? अगर गलती ना होने पाए यह दायित्व देखने का सरकार का ही काम है तो फिर, आप इसे बदले की भावना से किया जा रहा है क्यों कह रहे हैं ?

 

भारत की जनता पिसी जा रही हैं कहीं नेता के द्वारा पिसे जा रहे हैं, कहीं सामाजिक तौर पर पिसे जा रहे हैं, और कहीं धार्मिक तौर से पिसे जा रहे हैं | जो धर्म का काम मानव से मानव को जोड़ने का था,आज धर्म के नाम से मानव को मानव से जुदा करने का हो रहा है आदि | मैं कितना लिखूं और किन किन विषय पर लिखूं हर जगह खोखला ही खोखला है | 13 =7 =17 = महेन्द्रपाल आर्य =

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