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सदन को रोकना ही जनता का अहित है |

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लोकसभा चलने का विरोध कर रहे हैं नोटों के कारण, सभी विरोधी दल के नेता कह रहें हैं की भारत की जनता इस नोट बदली से परेशान है | और हम लोग जनता के ही प्रतिनिधि हैं,अतः जनता की परेशानी को दूर करने के लिये हम सरकारी फैसले का विरोध करेंगे | और प्रधान मन्त्री के फैसले का भी विरोध करें गे |
और यह सदन को चलने नही दिया जायगा | आज कई दिनों से निरन्तर विरोधियों ने सदन को चलने नहीं दिया और माननीय राष्ट्रपति जी को भी कहना पड़ा यह ठीक नही है सदन को चलने देना चाहिए |
जनता के हिमायती,नेताओं से मैं जानना चाहता हूँ फोग {हीम } के कारण लोग परेशान हैं सभी ट्रेनें अनियमित चल रही है, उसमें भी कुछ ट्रेनों को निरस्त्र करना पड़ गया | एक भी ट्रेनें नियमित नही है जनता परेशान है सर्दी में | कुछ लोग नई दिल्ली, पुराणी दिल्ली, और आनन्द विहार स्टेशन में सर्दी में रातें गुजार रहे हैं यह केवल दिल्ली में ही नही किन्तु उत्तर भारत में यत्र तत्र सभी ट्रेनों की यही दशा है |
हमारे देश के नेतागण क्या कहेंगे उसके लिए भी सरकार दोषी हैं। सरकार दोषी अगर नोट बदली के कारण हैं लोगों के लाइनें लगने लगाने से आप लोग लोक सभा में वातानुकूलित कमरे में बैठ कर बैंक के लाइनों में लगे जनता की तकलीफ को महसूस कर रहे हैं | यह तो हम भारतीय जनता के आप लोग हिमायती हैं वरना हम जनता के लिये इतना कौन सोचता भला ?
 
यह दुनिया जानती है की हम जनता को बैंक के लाइनों में वह परेशानी नही है जो आप नेता गण हमें परेशान कर रहे हैं, हमारा खा, कर हमारे पैसों से सभी प्रकार के सुख भोग कर भी भारतीय जनता को आप नेता गण ही सदन को चलने नही देने से ही जनता परेशान हैं | बैंकों में वह परेशानी नही है, कारण वह जो कुछ भी हुवा है वह सभी कार्य देशहित में हुवा है हो रहा है | किन्तु आप लोग सदन को नही चलने दे रहे हैं इस से किसका भला हो रहा है ? देश का अथवा जनता का आप लोग किसके भला करने में लगे हैं ? क्या आप लोगों को यह मालूम नही की आप एक एक सांसदों के पीछे हम भारतीओं का कितना खर्च होता है ?
 
आप लोग एक तरफ जनता का हित चाहते हैं दूसरी ओर जनता के खून चूसने में लगे हैं, तो कौन सा चरित्र ठीक है आप लोगों का ? जो काम आप लोग कर रहे हैं उसमें ना देशहित हैं और ना हित जनता की है ? आप लोग काला घन्दा करने वालों का साथ दे कर भी राष्ट्रवादी होने का प्रमाण देना चाहते हैं ?
 
सम्पूर्ण भारत भर यहाँ वहां से जितने काला धन्दा करने वाले पकड़े जा रहे, क्या वह काम देश हितका नही है ? आप लोगों के सामने देश बड़ा है अथवा व्यक्ति किसी भी काम को करने से पहले भावना देश, होना चाहिए ना की अपना स्वार्थ?
महेंद्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =9/12/16=

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