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सन्यास आश्रम गाजियाबाद का कार्यक्रम

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यह है कार्यक्रम शम्भूदयाल वैदिकसन्यास आश्रम का | जिसमें 22 से 25 सितम्बर तक कई लोगों केभजन और मेरा प्रवचन दो समय होता रहा | 9, 30,से 10, 30, तक सुबह | और शाम 5 बजे से 6 बजे तक मेरा प्रवचन सुनने को लोग आते रहे | कई वर्षों के बाद मैं आया था | पहले जैसी भीड़ नही थी फिर भी लोग मुझे सुनने आते रहे | इसमें अंतिम दिन 25 को स्वामी आर्यवेश और माया प्रकश त्यागी भी मौजूद थी | मैंने वहां एक परिवार को बुलाया था जिसे मैंने इस्लाममत से हटा कर वैदिक धर्मी बनाया, उसका का परिचय मैंने वहाँ कराया सब लोगों से |
 
और भी मैंनेकई परिवारों को बुलाया था जो हिन्दू से मुस्लिम बने है, और इस्लाम वालों को मैंने निमंत्रण दिया था कि औरों को मुस्लमान बनाया जा रहा है मुझे भी कोई मुस्लमान बनालें | मैं एकला नही बोहुतों को लेकर बनूंगा पर सामने आने कि जहमत किसी ने नही उठाई |
 
मैंने कहा इन अधिकारियों को कि मेरे इस काम में किसी भी अधिकारी का कोई सहयोग नही और ना ही कोई प्रोत्साहन | जिसे मैं एकला ही करता आरहा हूँ इन्हों ने कभी पुछा तक नही |
 
यहआर्यवेश और माया प्रकाश तो अग्निवेश के साथ हैं, जिन्हों ने बटला हॉउस इन काउंटर में मारे गये पुलिस इंस्पेक्टर के खिलाफ बयाँ दिया था, जिसे अग्निवेश झूठ बताते रहे, आज वह सत्य में परिवर्तन हो गया |
 
अग्निवेश देवबन्द मदरसे में जा कर बंदेमातरम ना बोलने कि सलाह दी मुसलमानों को | कश्मीरी अलगाववादी मुसर्रत का समर्थन कश्मीर जा कर किया जोअग्निवेश सैमलान्गिकता का समर्थन करें उनके साथ वैदिक मान्यता का क्या मेल हैं ? यही अर्यावेश उन्हीके समर्थक मायाप्रकाश त्यागी भी उन्हीं का समर्थक हैं |
 
इस्लाम के पक्ष में हिन्दुओं का विरोध करना ही जिनका काम है यह लोग उन्ही के समर्थन करते हैं यह कैसा दयानंद के मान्यता को स्वीकार करते हैं ? सत्यार्थप्रकाश पर 30 हजारी कोर्ट में खलील खान, और उस्मान गनी नाम के दो मुसलमानों को सामने रख कर इन्हों ने सत्यार्थप्रकाश पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास किया था | जो इन्ही के प्रकाशित वैदिक सार्वदेशिक नमी पत्रिका के प्रकाशित अंक 31 जुलाई से 6 अगस्त 2008 का पत्रिका से सत्यता का पता लग्न संभव है |
जिसमें मुझे निशाचर तक लिखा है, आचार्य वलदेव जी को कपट मुनि लिखा है जिसका हेडिं है सत्यार्थ प्रकाश केस को हाइजेक कर हाईकोर्ट लाया अपनी लीडरी चमकाने के लिए | मुस्लिमसमाज में इतने बड़े बड़े नेता के रहते केस को ठन्डे बस्ते में जाने देंगे ? यही लिखा है मैंने कहा यह वाही सब लोग हैं जो सार्व धर्म सभा रैली किया था गुजरात से पंजाब तक | जब कि ऋषि दयानंद जी ने धर्म को अनेक नही माना और कहा धर्म मानव मात्र का एक ही हैं | फिर इन्हें धर्म अनेक कहाँ मिले ? जिसमें दिल्ली से गोऊ मांस खाने वाले मुसलमानों को भी साथ लिए चले थे | क्या यह काम दयानंद का है ? और ना इस काम का विरोध आर्यवेश या माया प्रकाश त्यागी ने किया ?
अगर माया प्रकाश त्यागी विरोध करते तो इन को कोष अध्यक्ष बनना कहाँ संभव था ? इसप्रकार मैंने खोलदिया भेद आर्य समाजी शोरोमनी सार्वदेशिक सभा में कौन लोग बैठे हैं ? इन लोगों का समर्थन करना ऋषिदयानंद के विचारों का गला घोटना ही होगा |
महेन्द्रपाल आर्य= वैदिकप्रवक्ता= 28/ 9/ 16=

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