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सरकार को चाहिए jnu से उन्हें निकालें

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मानवों में धर्म,अर्थ,काम,और मोक्ष,यह चार प्रधान है, पशुओ में,काम,और अर्थ है वह धर्म नहीं जानता,माता व् पिता को नही,मानव मात्र का धर्म एक है।
मानव लिखते पढ़ते हैं इन्हीं बातों को जानने के लिये लिखने पढ़ने का,मकसद सिर्फ यही है | चार चीज को प्राप्त करना, आयु- विद्या- यश- व वल= यहाँ भी चारचीज है जो मानव जीवन का लक्ष है |

अगर पढ़ने लिखने के बाद भी उतश्रृंखलता= उदंडता= बाकि रहे मनो उसका पढना लिखना यही होगा जैसा गधे पर किताबों को लाद दिया हो | यही कारण बना हमारा शास्त्र का कहना विद्याददाति विनयम | विद्या देती है विनय, तो पढ़ने लिखने के बाद अगर विनय नही है या विनय प्राप्त नही कर पाया फिरतो वही गधे जैसी बात हुई | यानि गधेपर किताबोंका बोझ लाद दिया गया हो |

अब वह पढ़ने के लिये JNU में पढ़े अथवा DU में पढ़े अगर उसने विनय को नही पाया तो लिखने पढ़ने से क्या फायदा मिला ?

साथ ही मैं भारत सरकार से प्रार्थना करूंगा की हम भारतियों के पैसे से उन लोगों को किसलिये पला जा रहा है जो भारत का खा कर भारत विरोधी नारा लगाये ? सरकार के खिलाफ कदम उठाये ऐसे राष्ट्रद्रोहियों को किस लिये पला जा रहा है? इन्हें अभी JNU से निकल देना चाहिए | जो विद्यार्थी अपने कुलपति का पुतला फूंकें वह पढ़ने के लिये आया है अथवा गुंडागर्दी करने के लिये आया है ? भारत सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और उसे JNU से निकाल देना चाहिए जिससे की और विद्यार्थियों पर असर न पड़े | धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य= वैदिक प्रवक्ता = 13/ 10/ 16===

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