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सवाल प्रान्त का नहीं देश का है |

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||सवाल प्रान्त का नहीं देश का है ||
देश कौन चलाता है, देश का सञ्चालन जो देश का चुनिन्दा सरकार है वह देशे चलाती हैं | जिसे सम्पूर्ण देश के लोग मिलकर अपना मतदान करते हैं उन्ही के द्वारा देश चलती है |

देश में जितने भी प्रान्त होते हैं, उनके द्वारा देश नहीं चलती, अपितु उन प्रान्तीय सरकार को भी उन देश चलाने वाली सरकार से सहयोग, सहमती, और परामर्श करके, जितना हो सके उनसे सहयोग लेकर अपनी प्रान्त की उन्नति के लिए कार्य करना होता है, अब तक की भारतीय परम्परा यही है |

अब कोई प्रान्तीय सरकार चाहे,की हमें देश की सरकार से कोई लेना देना नहीं है हम अपने हिसाब से अपना प्रान्त को चलाएंगे तो यह मान्य नहीं है |
यह बात तो देश का बच्चा बच्चा भी जानता है | जो बच्चे स्कुल जाता है वह भी जानता है, और जो बच्चे स्कुल नहीं भी जाता है वह भी इस बात को जानता है |

अब प्रश्न है की अगर कोई प्रान्तीय सरकार, देश की सरकार का आदेश पालन ना करे तो क्या उसे प्रान्त चलाने ने की छुट होनी चाहिए ?

अगर यही बात होगी तो देश का अनुशासन बिगड़े गा, कारण प्रान्त की उन्नति में मात्र प्रान्तीय सरकार ही नहीं,जो देश की सरकार है उनका भी दायित्व है | कारण देश सभी प्रान्तों को लेकर है उनकी जिम्मेदारी ज्यादा है कारण सभी प्रान्त ही उन्ही देश चलाने वाली सरकार की है |

किसी भी प्रान्तीय सरकार की मनमानी नहीं होनी चाहिए | यह तो हम अपने घर से भी इसे देख सकते हैं ले सकते हैं | घरका मुखिया एक होता है अनेक नहीं फिर घरका कवाडा बन जायेगा | आज इस देश की प्रान्तीय सरकार द्वारा प्रान्त को बदनाम नहीं अपितु समूचे देश को बदनाम करनी की साजिश चल रही है | जो बहुत ही गलत है देश की सरकार को प्रान्तीय सरकार पर शिकंजा कसनी चाहिए |

बात यहाँ है की प्रान्त के एक पुलिस अधिकारी घोटाले में दोषी है अथवा नहीं, इसका निर्णय का मामला है | तो यह जिम्मेदारी किनकी है ? सवाल यहाँ है देश में एक विभाग बना है इस कार्य को करने के लिए, अगर प्रांतीय सरकार चाहे उस विभाग का कोई भी अधिकारी हमारे प्रान्त में नहीं आये और किसी भी घोटाले बाज को ना पकड़े यह कभी भी स्वीकार्य किसी को भी नहीं होगी, और ना होना चाहिए फिर देश का चलाना संभव नहीं हो सकता |

आश्चर्य की बात यह भी है, अगर किसी भी प्रान्त के मुख्यमन्त्री अगर कोई आन्दोलन करे भारत सरकात के खिलाफ, तो क्या पुलिस अधिकारी उसी आन्दोलन में शामिल होंगे या वहां किसी प्रकार कोई दुर्घटना ना हो उस जिम्मेदारी को निभाएंगे ?

यहाँ देखा जा रहा है वह पुलिस अधिकारी भी धरना में बैठे हैं, यह बात मानने योग्य नहीं है | भारत सरकार को चाहिए इन सब पर शिकंजा कसे और उन सभी घोटाले बाज अधिकारी हो या मुख्यमंत्री सब पर शाख्ती व्रतनी चाहिए और उन्हें देश में दुरव्यवस्ता फ़ैलाने की जुर्म में गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहिए | यह तरीका अपनाया जाय तो सभी बड़े से बड़े गुण्डे भी ठीक हो जायेंगे | शासन चलाया जाता है सख्ती से नरमी से नहीं |
धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य = 5 /2 /19 = ||सवाल प्रान्त का नहीं देश का है ||
देश कौन चलाता है, देश का सञ्चालन जो देश का चुनिन्दा सरकार है वह देशे चलाती हैं | जिसे सम्पूर्ण देश के लोग मिलकर अपना मतदान करते हैं उन्ही के द्वारा देश चलती है |

देश में जितने भी प्रान्त होते हैं, उनके द्वारा देश नहीं चलती, अपितु उन प्रान्तीय सरकार को भी उन देश चलाने वाली सरकार से सहयोग, सहमती, और परामर्श करके, जितना हो सके उनसे सहयोग लेकर अपनी प्रान्त की उन्नति के लिए कार्य करना होता है, अब तक की भारतीय परम्परा यही है |

अब कोई प्रान्तीय सरकार चाहे,की हमें देश की सरकार से कोई लेना देना नहीं है हम अपने हिसाब से अपना प्रान्त को चलाएंगे तो यह मान्य नहीं है |
यह बात तो देश का बच्चा बच्चा भी जानता है | जो बच्चे स्कुल जाता है वह भी जानता है, और जो बच्चे स्कुल नहीं भी जाता है वह भी इस बात को जानता है |

अब प्रश्न है की अगर कोई प्रान्तीय सरकार, देश की सरकार का आदेश पालन ना करे तो क्या उसे प्रान्त चलाने ने की छुट होनी चाहिए ?

अगर यही बात होगी तो देश का अनुशासन बिगड़े गा, कारण प्रान्त की उन्नति में मात्र प्रान्तीय सरकार ही नहीं,जो देश की सरकार है उनका भी दायित्व है | कारण देश सभी प्रान्तों को लेकर है उनकी जिम्मेदारी ज्यादा है कारण सभी प्रान्त ही उन्ही देश चलाने वाली सरकार की है |

किसी भी प्रान्तीय सरकार की मनमानी नहीं होनी चाहिए | यह तो हम अपने घर से भी इसे देख सकते हैं ले सकते हैं | घरका मुखिया एक होता है अनेक नहीं फिर घरका कवाडा बन जायेगा | आज इस देश की प्रान्तीय सरकार द्वारा प्रान्त को बदनाम नहीं अपितु समूचे देश को बदनाम करनी की साजिश चल रही है | जो बहुत ही गलत है देश की सरकार को प्रान्तीय सरकार पर शिकंजा कसनी चाहिए |

बात यहाँ है की प्रान्त के एक पुलिस अधिकारी घोटाले में दोषी है अथवा नहीं, इसका निर्णय का मामला है | तो यह जिम्मेदारी किनकी है ? सवाल यहाँ है देश में एक विभाग बना है इस कार्य को करने के लिए, अगर प्रांतीय सरकार चाहे उस विभाग का कोई भी अधिकारी हमारे प्रान्त में नहीं आये और किसी भी घोटाले बाज को ना पकड़े यह कभी भी स्वीकार्य किसी को भी नहीं होगी, और ना होना चाहिए फिर देश का चलाना संभव नहीं हो सकता |

आश्चर्य की बात यह भी है, अगर किसी भी प्रान्त के मुख्यमन्त्री अगर कोई आन्दोलन करे भारत सरकात के खिलाफ, तो क्या पुलिस अधिकारी उसी आन्दोलन में शामिल होंगे या वहां किसी प्रकार कोई दुर्घटना ना हो उस जिम्मेदारी को निभाएंगे ?

यहाँ देखा जा रहा है वह पुलिस अधिकारी भी धरना में बैठे हैं, यह बात मानने योग्य नहीं है | भारत सरकार को चाहिए इन सब पर शिकंजा कसे और उन सभी घोटाले बाज अधिकारी हो या मुख्यमंत्री सब पर शाख्ती व्रतनी चाहिए और उन्हें देश में दुरव्यवस्ता फ़ैलाने की जुर्म में गिरफ्तार कर जेल भेजना चाहिए | यह तरीका अपनाया जाय तो सभी बड़े से बड़े गुण्डे भी ठीक हो जायेंगे | शासन चलाया जाता है सख्ती से नरमी से नहीं |
धन्यवाद के साथ महेन्द्रपाल आर्य = 5 /2 /19 =

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