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सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर नेयाओं के अलग विचार

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भारत के नेता गण अपना अपना,विचार दे रहे हैं पत्रकार सम्मेलन बुला कर या फिर tv चेनलों के माध्यम से वह विचार दिया जा रहा है  हमारे भारतीय सुप्रीमकोर्ट ने तीन तलाक पर जो फैसला सुनाया है उस पर हमारे कई प्रान्त के मुख्यमंत्री व कई राज नेताओं ने अपना विचार दिया व सुनाया हैं, tv में, यहाँ तक की सुप्रीमकोर्ट के खिलाफ भो बोलते देख और सुन रहे हैं |

विचारणीय बात यह है की हमारे भारत वर्ष का जो संविधान है वह सार्वमान्य है सम्पूर्ण भारत वासियों के लिये है,  संविधान का अवहेलना अमान्य या अपमान करना दण्डनीय है | संविधान का सम्मान ही सभी भारत वासियों के लिये मानना अनिवार्य है, फिर उसी सुप्रीमकोर्ट के आदेश का अवहेलना यह इन नेताओं के लिये क्यों और कैसा संभव हो रहा है यह अफ़सोस की बात है |

इस में देखता हूँ जो कानून विद हैं {वकील } है उनके द्वारा भी सुप्रीमकोर्ट पर टिप्पणी करते, वह भी प्रान्त के मुख्यमंत्री द्वारा, ममता बनर्जी द्वारा बयान बाजी हो रही है सुप्रीमकोर्ट के खिलाफ |  कुछ भी हो मेरा कहना इस पर है, की अभी तीन तलाक पर जो समाचारों में tv चेनलों में देखता हूँ कहीं कहीं चैनलों में लोगों के डिबेट भी देखता हूँ | जब की इस पर मेरा बहुत बार बहुत लेख भी आया है मैं लिखा भी और सच क्या है इस पर अपना विचार व्यक्त कर चूका हूँ |

मेरा कहना है, की हमारे संविधान में यह लिखा है, की भारत में रहने वाले मुस्लमान, वह रहेंगे भारत में और कानून मानेंगे अरब का ? अगर संविधान में यही लिखा है, तो मुसलमानों को उन इस्लामी कानून को मानने देना चाहिए | इस पर किसी की भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए | अगर यह अधिकार उन्हें भारत के संविधान निर्माताओं ने उन्हें दिया है, उस पर आपत्ति जताना अनाधिकार चेष्टा ही कहा जायगा |

और अगर भारत के संविधान में यह नही लिखा है, तो भारतीय मुसलमानों को चाहिए की भारत के संविधान को संदेह के दृष्टि से न देख कर उसे सहर्ष स्वीकार करलेना, और शरीयती कानून की मांग नही करनी चाहिए | कारण जब यह व्यवस्था हमारे संविधान में नही दी गई फिर उस इस्लामी कानून व्यवस्था की मांग किस लिये ? यह भारत वासियों को मान्य नही है, और न होना चाहिए | कारण आप रहें भारत में और कानून मानें आप अरब मुस्लिम देश का, तो यह सरासर भारत का अपमान है बेमानी है |

आप रहें भारत में और भारतीय कानून को ना मान कर अरबी इस्लामी कानून जो एक देश विशेष की कानून व्यवस्था है उसे अप भारत में लागु करें, भारत के लोग इसे किस लिये स्वीकार करेंगे ?

हमारे देश के नेता गण मात्र अपनी वोट की राजनीती करने के लिये ही इस प्रकार की बयाँन बाजी कर देश के लोगों को वार्गला रहे हैं, और मानव समाज में एक रूपता के बजाय मानवीयता को लागु करने के बजाय अमानवीय तरीके से मानव समाज को एक दुसरे से मिलाने के बजाय एक दुसरे से नफरत पैदा करने को मजबूर कर रहे हैं | जो समाज के लिये घातक है मानव समाज में मैत्रिय भाव पैदा करने के बजाय द्वेष फैलाने का काम हमारे नेताओं के माध्यम से हो रहा है |

जो लोग इस्लामी शरीयती कानून व्यवस्था की मांग कर रहे हैं, क्या उन्हों ने मात्र तलाक देना दूसरी शादी करने तक इस्लामी शरीयती कानून को माना है ? अथवा शरीयत में और भी कानून है जिसे मानना चाहिए और उस शरीयती कानून व्यवस्था के लिये कोई मुसलमान आज तह कह कर नही देखा |   जैसा कुरानी कानून व्यवस्था को अल्लाह ने चोरी करने पर हाथ काटने का हुक्म दिया है क्या किसी भी मुस्लमान जो चोरी में पकड़ा गया उसके हाथ काटे अथवा हाथ कटवाने के लिये किसी भी मुसलिम संगठनों ने अथवा किसी भी मुस्लमान ने चोरी करने वाला मुस्लमान का हाथ काटने का समर्थन किया, अथवा किसी राजनेता ने कोर्ट से कहा की यह मुस्लमान है शरीयती कानून इस पर लागु करते हुए इसके हाथ काटे जाएँ ? जो लोग इस्लामी शरह की मांग कर रहे हैं वह देखें कुरान में अल्लाह ने क्या फ़रमाया | चोरी करने पर >

وَالسَّارِقُ وَالسَّارِقَةُ فَاقْطَعُوْٓا اَيْدِيَهُمَا جَزَاۗءًۢ بِمَا كَسَـبَا نَكَالًا مِّنَ اللّٰهِ ۭ وَاللّٰهُ عَزِيْزٌ حَكِيْمٌ      38؀چوری کرنے والا مرد اور عورت کے ہاتھ کاٹ دیا کرو  یہ بدلہ ہے اس کا جو انہوں نے کیا، عذاب اللہ کی طرف سے اور اللہ تعالیٰ قوت اور حکمت والا ہے۔

यह आयत है सूरा मायदा का 38 =अर्थ = चोरी करने वाला मर्द और औरत के हाथ काट दिया करो यह बदला जो उन्हों ने किया है | यह अजाब अल्लाह की तरफ से है  , और अल्लाह ताला कौवत्त और हिकमत वाला है |

अब प्रश्न है क्या इस भारत में कोई मुस्लमान चोरी में पकड़े नही गये, अगर पकडे गये कोई चोर मुस्लमान तो उनके हाथ अब तक काटे किसलिए नही, और किसी ने उसके हाथ काटने के लिये कहा क्यों नही ?

इसका जवाब किनके पास है, लालू जी के पास, मुलायम जी के पास,शरद यादव जी के पास,ममता बनर्जी के पास या फिर नौसिख्या नेता अरविन्द केजरीवाल के पास है ? इस पर क्या कहना है शरीयती कवानीन बोर्ड के अधिकारीयों के पास ? इतना ही नही और देखें व्यभिचारियों का क्या सजा है कुरान में |

اَلزَّانِيَةُ وَالزَّانِيْ فَاجْلِدُوْا كُلَّ وَاحِدٍ مِّنْهُمَا مِائَةَ جَلْدَةٍ  ۠ وَّلَا تَاْخُذْكُمْ بِهِمَا رَاْفَةٌ فِيْ دِيْنِ اللّٰهِ اِنْ كُنْتُمْ تُؤْمِنُوْنَ بِاللّٰهِ وَالْيَوْمِ الْاٰخِرِ ۚ وَلْيَشْهَدْ عَذَابَهُمَا طَاۗىِٕفَةٌ مِّنَ الْمُؤْمِنِيْنَ  |زنا کار عورت و مرد میں ہر ایک کو سو کوڑے لگاؤ۔ (١) ان پر اللہ کی شریعت کی حد جاری کرتے ہوئے تمہیں ہرگز ترس نہ کھانا چاہیئے، اگر تمہیں اللہ پر اور قیامت کے دن پر ایمان ہو (٢) ان کی سزا کے وقت مسلمانوں کی ایک جماعت موجود ہونی چاہیے (٣)۔

यह आयत है =सूरा नूर =का 2 +3= जिनाहकार औरत व मर्द हर एक को सौ कोड़े लगाव इन पर अल्लाह की शरियत की हद जारी करते हुए इन पर अल्लाह की शरीयत की हद जारी करते हुए इन पर रहम ना खाना चाहिये अगर तुम्हें अल्लाह पर और कयामत के दिन पर इमांन हो इनकी सजा के वक्त मुसलमानों की एक जमात मौजूद होनी चाहिए |

 

अब कोई मुस्लिम संगठन के अधिकारी हो मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी हो, अजंम खान हो, आमिर खान हो या सलमान खान हो | अथवा हमारे देश का कोई भी राजनेता बताएं की इस्लामी शरीयती कानून आज तक इन व्यभि चारियों पर भारत में लागु हुवा है, अथवा किसी ने इन नियमों को लागु करने की बातें की है ?यह जो शरीयती कानून है क्या इस पर हिन्दू अमल करेगा क्या ? इस शरीयती कानून के हिमायती कौन कौन हैं यह है शरीयती कानून व्यवस्था इसे मुस्लमान क्यों नही अम्ल करते और इसे अमल में लाने की बातें किस किये नही करते ?

 

अपितु ससुर जब अपने बेटे की पत्नी से शारीरिक सम्बन्ध बना कर कई बार व्यभिचार करले और जब गर्भवती हो जाये तो इस्लामी मुफ़्ती गण उसपर फैसला सुनाते हैं ,वह बहु अब अपने पति की माँ बन गई जिसके साथ वह शादी होकर आई थी उसे अब बेटा बना दिया गया | और जो ससुर को अब्बू बताती कहती रही वह अब शौहर बन गया, हायरे इस्लाम और तुम्हारा इस्लामी कानून शरीयती   जिसे कहते हैं लोगों यह कैसा कानून है इस्लामी महिलाओं पर यह अत्याचार नही तो और क्या है ? पिछले दिनों देखा उ० प्र० में यही आँखों देखा हाल जो भारत वालों के सामने से गुजरी  |

बनाये शौक से वह शान लखनऊ की मगर |  गोमती को गंगा नही बना सकते ||

महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता =दिल्ली =7/11/16=

 

 

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