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सुप्रीम कोर्ट का आदेश का पालन नहीं तो देश छोड़े |

Mahender Pal Arya
|| सुप्रीमकोर्ट का आदेश पालन नहीं तो, देश छोड़े ||
आज कई दिन पहले भारत का सर्व उच्य न्यायालय ने 3 तलाक पर जो फैसला सुनाया है, भारत के बहुत मुस्लिमों ने उसे स्वीकार किया है,आरिफ मोहम्मद खान, व मुस्लिम संगठन भी इसे सही माना है 3 तलाक प्रकरण ही मुसलमानों का है |
इसे अ स्वीकार करने वालो में बंगाल प्रान्त के TMC के मन्त्री इदरीस अलि ने, व TMC के एक और नेता ने भी इसका विरोध किया है | इसपर बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खामोश हैं पता नहीं क्यों?
अब सवाल है की भारत में रह कर भारतीय न्याय व्यवस्था को ना माने यह भारतियों को सहन होना सम्भव है ? अगर आप भारत के रहने वाले कुछ कहेंगे तो आप को बताया जायगा मुसलिम विरोधी अथवा इस्लाम विरोधी | यह वाक्य कोई कहे और ना कहे किन्तु सेक्युलर वादी नेता कहे जाने वाले तो जरुर कहेंगे |
अब सवाल पैदा होता है की मानव कहलाने वाले जिस किसी देश में भी रहता है उसे उसी देश का सम्बिधान को मान कर ही रहना पड़ता है | किसी भी देश में यह मान्यता नहीं की आप उस देश में रहकर उस देश की कानून व्ययस्था को ना मानें यह सम्भव ही नहीं |
इस भारत देश को छोड़ कर, दुनिया में मानव कहलाने वाले जहाँ कहीं भी रहते है, जिसकिसी देश का कोई नागरिक हो, उस देश का जो सर्वोउच्चन्यायालय है,उसका आदेश अगर वह ना माने तो उस देश में उसे रहने नहीं दिया जायगा |
हमारा भारत ही एक ऐसा देश है की, यहाँ विशेष कर मुसलिम कहलाने वाले जब जिसके मन में जो आता है वह इस नियम को ताक पर रख देता है ना जाने किस लिए ? यह देखा गया की कोई हिन्दू इस गलती को करे सरकार उसपर फ़ौरन कार्य वाही करती है उसे गिरिफ्तार कर जेल भेज देती है | बहुत प्रमाण सामने है, इस देश में रहने वाले मुसलमानों के लिए यह कानून लागु क्यों नहीं होता ? इसकी जिम्मेदारी किस पर है इसके लिए दोषी कौन है, अथवा इसकी जवाब देही किसकी है ?
जो हिन्दू इस देश के मूल निवासी हैं, और हिन्दू ही RSS का प्रचारक रहे देश का प्रधानमंत्री है, उन्ही प्रधानमंत्री को आबू आजमी जैसे SP नेता TV में बैठ कर बोलता है यह देश न मोदी का है और ना मोदिका बाप का है, इससे बड़ा देश का दुर्भाग्य और क्या हो सकता है ?
दूसरी बात यह भी सामने आया योगी आदित्यनाथ जी ने कहा सभी मदरसों को नियमित करने के लिए उन मदरसे वालों को अपना सारा रिपोर्ट सरकार को देना होगा |
इसका विरोध भी TV में देखने और सुनने को मिल रहा है,नरेन्द्रमोदी जी प्रधानमंत्री बनते ही 100 करोड़ मदरसा वालों को देने के लिए बोल दिया | मैंने अपनी पुस्तक में मदरसा क्या है मदरसा किसे कहा जाता है बड़ा विस्तार से लिखा मदरसा आतंकवादी बनानेका केन्द्र है |
जहाँ पढाई के नाम से बच्चों के दिमाग में भारत विरोधी शिक्षा दी जाती है, भारत के पैसों से भारत विरोधी बनाया जाता है बच्चों को, जिनके दिमाग में सिर्फ इसलाम ही भरा जाता है इस्लाम से बाहर सब काफ़िर हैं यह सिखाया बताया जाता हो, वहां से निकलने के बाद बच्चे राष्ट्र भक्त क्यों और कैसे बन सकते हैं |
पहली बात तो यह भी है की इस्लाम की मान्यता क्या है उसे भी जानना जरुरी है इस्लाम की मान्यता है = तलिबुलइल्मु फरिज़दुम अला कुल्लू मुस्लेमिन वल मुस्लेमतुं | अर्थ- हर एक मुसलमान मर्द औरत को इल्म {शिक्षा } का तलाश {खोजना }फ़र्ज़ है |
अब प्रश्न होगा की मुसलमान मर्द और औरत को इल्मका तलाश करना अगर फ़र्ज़ {जरूरी} है तो क्या गैर मुस्लिम इल्म से दूर रहे? जहाँ यह शब्द मुसलमान बोला गया तो ज़रूरी यह भी हो गया की मुसलमानों की शिक्षा ही अलग है | इस लिए सिर्फ और सिर्फ मुसलमानों के लिए ही कहा गया है, पर इसे जानना कौन चाहता है समझना कौन चाहता हैं ?
एक प्राथमिक पुस्तक है जिसका नाम है तायलीमुल इस्लाम { इस्लामकी शिक्षा } जिसके लेखक है अल्लामा मुफ़्ती किफायतुल्लाह साहब जिस के चार भाग हैं जो उर्दू में है | दुनिया की हर मदरसे में इसे पढाई जाती है, मैं पहले इसे उर्दू से हिन्दी में कुछ भाग करके दिया हूँ जो मेरे साईट में आज भी मिल जायेंगे | VAIDIKGYAN.COM में देखा जा सकता है | मैं यही कह रहा था की इस्लाम की मान्यता ही अलग है जो भारतीयता के खिलाफ है, और सबसे बड़ी बात यह भी है की इसलाम के मानने वाले जिस पर अमल करते हैं उसे हुकमें इलाही {अल्लाह का }आदेश समझ कर ही मानते हैं जहाँ अल्लाह ने मुसलमानों को ही हुक्म दिया है | उससे वह बाहर जा नहीं सकते अब इस दशा में आप 100 करोड़ दें अथवा हज़ार करोड़ ही क्यों नी दें पढाई तो वही होगी जो अल्लाह का इसलाम के पैगम्बरका आदेश है |
उसी का ही यह हिस्सा है सुप्रीमकोर्ट का आदेश का ना मानना 3 तलक भी हुक्मे इलाही है उसे ना मानने का तो कोई सवाल ही नहीं है इस्लाम का, कारण इसलाम का सुप्रीमकोर्ट अल्लाह का आदेश ही है | हमारे भारत में इस पर एक बहस बड़े पैमाने पे होना चाहिए जिस से बात खुल कर सामने आजाय और इस्लाम के शिक्षा विद भी उसमें बैठे | तभी कुछ निष्कर्ष निकल सकता है नहीं तो यह रोजाना दुनिया के लोग सुन रहे हैं देख रहे हैं जिसके मन में जो आ रहा है बके जा रहे हैं, और यह नूरा कुश्ती भी चलती रहेगी |
महेन्द्रपाल आर्य = 1 / 9/ 17 =