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सुप्रीम कोर्ट का आदेश ना मानें वह भारतीय कैसा ?
Mahender Pal Arya
|| सुप्रीमकोर्ट का आदेश ना माने, वह भारतीय कैसा ?
14/ 9/17`=शाम 7 बजे बहस देख रहा था एक मियाँ जी अब्दुर्रहमान आबिद नामसे थे, मैं मुख्य रूपसे उनकी चर्चा करना चाहूँगा, जो चेनल में बैठ कर यह कह रहे थे यह देश हमारा है | बहस का विषय था रोहंगिया मुसलमानों को ले कर |
मियां आबिद साहब यह बता रहे थे की यह देश हमारा है यह सुनकर मुझे हंसी छुट गई | कारण जो लोग इस देश के संविधान को नहीं मानते उनका यह देश हो गया ? जो एनकर था वह सिर्फ उछल कूद करता है अमिश | इन मियां आबिद से यह नहीं पुछ पाए की यह देश आप का क्यों और कैसे हो गया ? जिस देश में रहकर देश के मुख्य धारा से नहीं जुड़ते और ना जुड़ना चाहते हैं भारत माता की जय नहीं बोलना चाहते, बन्दे मातरम बोलना नहीं चाहते, भारत के सुप्रीमकोर्ट का आदेश का पालन करने के बजाय उसकी अव हेलना कर भी यह देश आपका कैसे हो गया ?
यह लोग कितने बेशर्म हैं इस से अंदाजा लगाया जा सकता है. वह यह कह रहे थे की वह लोग इन्सान है, एनकर अमिश को फ़ौरन यह पूछना था, की अगर यह लोह इन्सान है तो मुस्लमान कौन हैं ? मुस्लमान तो वही है ना जो, इस्लाम को माने ? तो इस्लाम किसे मानता है कुरान को, कुरान क्या है इस्लाम वालों की धर्म ग्रन्थ है | इस ग्रन्थ में क्या उपदेश हैं यह देखें |
وَلَا تُصَلِّ عَلَىٰ أَحَدٍ مِّنْهُم مَّاتَ أَبَدًا وَلَا تَقُمْ عَلَىٰ قَبْرِهِ ۖ إِنَّهُمْ كَفَرُوا بِاللَّهِ وَرَسُولِهِ وَمَاتُوا وَهُمْ فَاسِقُونَ [٩:٨٤]
और (ऐ रसूल) उन मुनाफिक़ीन में से जो मर जाए तो कभी ना किसी पर नमाजे ज़नाज़ा पढ़ना और न उसकी क़ब्र पर (जाकर) खडे होना इन लोगों ने यक़ीनन ख़ुदा और उसके रसूल के साथ कुफ़्र किया और बदकारी की हालत में मर (भी) गए | यह सूरा तौबा 84
وَلَا تُعْجِبْكَ أَمْوَالُهُمْ وَأَوْلَادُهُمْ ۚ إِنَّمَا يُرِيدُ اللَّهُ أَن يُعَذِّبَهُم بِهَا فِي الدُّنْيَا وَتَزْهَقَ أَنفُسُهُمْ وَهُمْ كَافِرُونَ [٩:٨٥]
और उनके माल और उनकी औलाद (की कसरत) तुम्हें ताज्जुब (हैरत) में न डाले (क्योकि) ख़ुदा तो बस ये चाहता है कि दुनिया में भी उनके माल और औलाद की बदौलत उनको अज़ाब में मुब्तिला करे और उनकी जान निकालने लगे तो उस वक्त भी ये काफ़िर (के काफ़िर ही) रहें | सूरा तौबा 85
कुरान से यह आयात का हवाला दे रहा हूँ, इस प्रकार की आयतें कुरान में बहुत जगह है अल्लाह ने कुरान में यह हुक्म मुसलमानों को दिया है की काफिरों और मुनाफिकों की जनाजे में मत जाना, की उनका रोना पीटना, उनके औलाद कहीं तुम्हें {आकृष्ट} ना करलें,अपनों में |
मेरा सवाल सम्पूर्ण इस्लाम के मानने वालों से है विशेष कर जो भारतीय मुसलमान हैं जो इस भारत को अपना होने का दावा कर रहे हैं | क्या इसी का नाम मानवता है, जिस देश को यह अपना कह रहे हैं उसी देश में हिन्दू भी रहते हैं और उन हिन्दुओं के मर जाने पर उनके शवयात्रा {जनाजे} में भाग नहीं लेने का हुक्म कुरान का है, तो क्या मुसलमान इसे मानवता मानते हैं ? यही अगर मानवता है फिर अमानवीय कार्य किसे कहा जायगा ? मानवता विरोधी मान्यता रखकर भीं इस्लाम के मानने वाले इस देश को अपना कह रहे हैं ?
जिस देश में ऋषियों ने अपने देश वासियों को वसुधैव कुटुम्बकम { पूरी वसुधा अपना कुटुम्ब है } का उपदेश दिया है | हमारे देश में किसी भी ऋषियों ने हिन्दू मुस्लिम का उपदेश नहीं दिया, सिर्फ और सिर्फ मानव ही बताया है | हमें औरों को अपना मानने में भी आपत्ति नहीं है, किन्तु अगले को भी तो हमें अपना मानना चाहिए ? पर यहाँ कुरान के अल्लाह ने तो मुसलमानों को रोका है हमारे साथ मिलने के लिए हमसे दोस्ती तक ना रखने को कहा है अल्लाह ने | विश्वास ना हो तो देखें कुरान में अल्लाह ने मुसलमानों को क्या उपदेश दिया है ?
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَتَّخِذُوا الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۚ أَتُرِيدُونَ أَن تَجْعَلُوا لِلَّهِ عَلَيْكُمْ سُلْطَانًا مُّبِينًا [٤:١٤٤]
ऐ ईमान वालों मोमिनीन को छोड़कर काफ़िरों को (अपना) सरपरस्त न बनाओ क्या ये तुम चाहते हो कि ख़ुदा का सरीही इल्ज़ाम अपने सर क़ायम कर लो | सूरा निसा =144
الَّذِينَ يَتَّخِذُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۚ أَيَبْتَغُونَ عِندَهُمُ الْعِزَّةَ فَإِنَّ الْعِزَّةَ لِلَّهِ جَمِيعًا [٤:١٣٩]
जो लोग मोमिनों को छोड़कर काफ़िरों को अपना सरपरस्त बनाते हैं क्या उनके पास इज्ज़त (व आबरू) की तलाश करते हैं इज्ज़त सारी बस ख़ुदा ही के लिए ख़ास है | सूरा निसा =139
لَّا يَتَّخِذِ الْمُؤْمِنُونَ الْكَافِرِينَ أَوْلِيَاءَ مِن دُونِ الْمُؤْمِنِينَ ۖ وَمَن يَفْعَلْ ذَٰلِكَ فَلَيْسَ مِنَ اللَّهِ فِي شَيْءٍ إِلَّا أَن تَتَّقُوا مِنْهُمْ تُقَاةً ۗ وَيُحَذِّرُكُمُ اللَّهُ نَفْسَهُ ۗ وَإِلَى اللَّهِ الْمَصِيرُ [٣:٢٨]
मोमिनीन मोमिनीन को छोड़ के काफ़िरों को अपना सरपरस्त न बनाऐं और जो ऐसा करेगा तो उससे ख़ुदा से कुछ सरोकार नहीं मगर (इस क़िस्म की तदबीरों से) किसी तरह उन (के शर) से बचना चाहो तो (ख़ैर) और ख़ुदा तुमको अपने ही से डराता है और ख़ुदा ही की तरफ़ लौटकर जानाहै | इमरान 28
यह तीन प्रमाण मैंने दिया है कुरान से जहाँ इस प्रकार अल्लाह ने मुसलमानों को गैर मुस्लिमों से दोस्ती तक रखने को मना किया है | और यहाँ तक कहा अल्लाहने की अगर तुम काफिरों से दोस्ती रखते हो तो मैं अल्लाह तुम लोगों से दोस्ती नहीं रखूँगा | इसके बाद भी क्या कोई मुसलमान किसी काफिरों से दोस्ती रख सकता है ? तो यहाँ जिस इस्लाम के मानने वालों ने हमसे दोस्ती तक ना रखे हमारे जनाजे में भी भाग ना लें फिर उन मुसलमानों से भारत वासी ही किसलिए हमदर्दी रखे ?
इसका जवाब किस के पास है माया वती के पास ? जो यह कह रही हैं मानवता के खातिर उन रंगिया मुसलमानों को अपने देश में शरण देना चाहिए ? फिर वह हमारे साथ कुरानानुसार अमानवीय व्यवहार करें ? इधर ममता दीदी बोल रही हैं पश्चिमबंगाल उन्हें शरण देने को तैयार हैं, लगरहा है यह पश्चिमबंगाल ममता दीदी की पैत्रिक सम्पत्ति है ? जिसे चाहे बसा लें, और बंगाल के लोग इसे देखते ही रहें गे ? अब झगडा कौन करवाना चाहते हैं मानव से मानव को लड़वाना कौन चाह रहा है ? किनके द्वारा धरती पर अशान्ति फैलाई जा रही हैं ? भारत वासियों को इस पर गंभीरता से विचार करना होगा और मानवता का परिचय देते हुए अमानवीय विचारों को भी जानना पड़े गा | तभी हम इस देश की रक्षा कर पाएंगे |
महेन्द्रपाल आर्य =15 =9 =17 =