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सृष्टि नियम का भाग 5

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|| अब कुरान से सृष्टि उत्पत्ति को देखते हैं || भाग 5

هُوَ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۚ يَعْلَمُ مَا يَلِجُ فِي الْأَرْضِ وَمَا يَخْرُجُ مِنْهَا وَمَا يَنزِلُ مِنَ السَّمَاءِ وَمَا يَعْرُجُ فِيهَا ۖ وَهُوَ مَعَكُمْ أَيْنَ مَا كُنتُمْ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ [٥٧:٤]

वह वही तो है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को छह: दिन में पैदा किए फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ जो चीज़ ज़मीन में दाखिल होती है और जो उससे निकलती है और जो चीज़ आसमान से नाज़िल होती है और जो उसकी तरफ चढ़ती है (सब) उसको मालूम है और तुम (चाहे) जहाँ कहीं रहो वह तुम्हारे साथ है और जो कुछ भी तुम करते हो ख़ुदा उसे देख रहा है | सूरा 57 हदीद=आ-4

 

{जैसा बाइबिल में एक एक दिन में क्या क्या होने को कहा जो 7 दिन का क्रम है} कुरान में अल्लाह ने 6 दिनों में दुनिया बनाई | पर कुरान में एक बात यह कही अल्लाह ने, वही तो है जिसने सारे आसमान व जमीन को 6 दिनमें बनाया | आसमान एक से अनेक है जो अल्लाह ने सारे कहा है |

 

اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۖ مَا لَكُم مِّن دُونِهِ مِن وَلِيٍّ وَلَا شَفِيعٍ ۚ أَفَلَا تَتَذَكَّرُونَ [٣٢:٤]

ख़ुदा ही तो है जिसने सारे आसमान और ज़मीन और जितनी चीज़े इन दोनो के दरमियान हैं छह: दिन में पैदा की फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ उसके सिवा न कोई तुम्हारा सरपरस्त है न कोई सिफारिशी तो क्या तुम (इससे भी) नसीहत व इबरत हासिल नहीं करते | सूरा 32सिजदा-आ० 4

 

إِنَّ رَبَّكُمُ اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۖ يُدَبِّرُ الْأَمْرَ ۖ مَا مِن شَفِيعٍ إِلَّا مِن بَعْدِ إِذْنِهِ ۚ ذَٰلِكُمُ اللَّهُ رَبُّكُمْ فَاعْبُدُوهُ ۚ أَفَلَا تَذَكَّرُونَ [١٠:٣]

इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुमरा परवरदिगार वही ख़ुदा है जिसने सारे आसमान व ज़मीन को 6 दिन में पैदा किया फिर उसने अर्श को बुलन्द किया वही हर काम का इन्तज़ाम करता है (उसके सामने) कोई (किसी का) सिफारिशी नहीं (हो सकता) मगर उसकी इजाज़त के बाद वही ख़ुदा तो तुम्हारा परवरदिगार है तो उसी की इबादत करो तो क्या तुम अब भी ग़ौर नही करते | सूरा 10 युनुस आ० 3

 

الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ وَمَا بَيْنَهُمَا فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ ۚ الرَّحْمَٰنُ فَاسْأَلْ بِهِ خَبِيرًا [٢٥:٥٩]

जिसने सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उन दोनों में है छह: दिन में पैदा किया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और वह बड़ा मेहरबान है तो तुम उसका हाल किसी बाख़बर ही से पूछना |         सूरा 25 फुरकान –आ० 59

 

إِنَّ رَبَّكُمُ اللَّهُ الَّذِي خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ فِي سِتَّةِ أَيَّامٍ ثُمَّ اسْتَوَىٰ عَلَى الْعَرْشِ يُغْشِي اللَّيْلَ النَّهَارَ يَطْلُبُهُ حَثِيثًا وَالشَّمْسَ وَالْقَمَرَ وَالنُّجُومَ مُسَخَّرَاتٍ بِأَمْرِهِ ۗ أَلَا لَهُ الْخَلْقُ وَالْأَمْرُ ۗ تَبَارَكَ اللَّهُ رَبُّ الْعَالَمِينَ [٧:٥٤]

बेशक उन लोगों ने अपना सख्त घाटा किया और जो इफ़तेरा परदाज़िया किया करते थे वह सब गायब (ग़ल्ला) हो गयीं बेशक तुम्हारा परवरदिगार ख़ुदा ही है जिसके (सिर्फ) 6 दिनों में आसमान और ज़मीन को पैदा किया फिर अर्श के बनाने पर आमादा हुआ वही रात को दिन का लिबासपहनाता है तो (गोया) रात दिन को पीछे पीछे तेज़ी से ढूंढती फिरती है और उसी ने आफ़ताब और माहताब और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं | सूरा 7 अयरफ 54

 

उपर जो बाइबिल से दर्शाया गया है, यहोवा या परमेश्वर, और साँप रूपी शैतान, यही किस्सा कुरान में भी है | यह ईश्वर और साँप वाली जो घटनाएँ बाइबिल तथा कुरान से जो देखा है, यह विषय या यही किस्सा यहुदियों के मन्तव्य से प्रायः पूर्णतया मिलता | यह मान्यता यहूदियों से ही लिया गया है, की संसार में दो शक्तियां विद्यमान है, एक अच्छी -शुभकारनी- शक्ति, अर्थात ईश्वरीय शक्ति, और दूसरा –अशुभकारनी- शक्ति  अर्थात शैतानी शक्ति |  उपर्युक्त विचार जो बाइबिल और कुरान के एक ही हैं |  यह विचार निश्चय रूप से यहूदियों ने जरदुश्तियों से लिया है | जो इन दोनों शक्तियों का नाम जरदुश्तियों ने स्पन्तामन्यु और आगिरामन्यु कहा गया है |

 

अधिक विस्तार से विचार करने पर यह सिद्ध होता है की जरदुश्तियों को इन बात का पता वेदों से लगा है | वेदों में इसे सुन्दर अलंकारिक शब्दों में बताया गया है, की संसार में दो पक्ष शास्वत है जिसे वेदों में पाप, और पूण्य, भले और बुरे, रात और दिन, जन्म और मृत्यू , एक नाश दूसरा विनाश, एक चल दूसरा अचल आदि संग्राम के नाम से वर्णन किया गया अथवा दिया गया है |

इस तथ्यात्मक अलंकारिक बातों को ना समझने का परिणाम यह हुवा की इन यहूदी, ईसाई, और इस्लाम वालों ने इसे ना समझ कर दो शक्तियों का विश्वास कर लिया | और शैतान की शक्तियों को इतना बढ़ा दिया की ईश्वर का समतुल्य या बराबर का मान लिया | और ईश्वर के मना करने पर भी उसी शैतान द्वारा आदम पति पत्नी को उसी फल को खिलाना मान लिया की जिसे परमेश्वर ने मना किया | यहाँ तक की परमेश्वर के सामने उस शैतान की शक्ति को बड़ा कर दिखाया गया | जिसका प्रमाण पहले ही बाइबिल से दिखया गया है, और कुरान से भी उसी प्रमाण को दिखा दूंगा |

इन धार्मिक विचारों की धारा वेदों से जेन्दा अवेस्ता तक, और यहाँ बाइबिल से कुरान तक किस प्रकार एक दुसरे से लिया है |

कुरान में यह स्पस्ट नहीं लिखा या बताया की कौन सा दिन में क्या क्या बनाया गया | इसे जानने के लिए कसासुल अम्बिया देखने से पता लगेगा |

 

जैसा कहावत है की क्रोस, क्रोस, में भाषा बदलती है, यह भी ठीक यही हाल दर्शाए गये हैं और यही हुवा है कुछ लोगों ने अपने से भी एक दुसरे का नकल उतारना चाहा और यही किया है | थोडा थोडा अदल बदल कर आगे पीछे करके एक दुसरे का नकल ही किया है जो सत्य से बहुत दूर हैं |

कल कुरान से शैतान को देखना = महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता =28 =4 =18 =

 

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