Your cart
Smart Watch Series 5
$364.99x
Running Sneakers, Collection
$145.00x
Wireless Bluetooth Headset
$258.00x
Total:$776.99
Checkout
सृष्टि विषय का यह भाग {4}
Mahender Pal Arya
26 Apr 18
[post-views]
सृष्टि विषय का भाग {4 को देखें }
प्राचीन यूनानी ग्रंथकारों की सम्मति भी इस प्रकार है | अरस्तु और युडोक्सस, जरदुशत का समय प्लेटो { अफलातून} से ६००० वर्ष पूर्व मानते हैं | पारसी लोग स्वयम अपने ग्रंथों की बहुत बड़ी प्राचीनता मानते हैं और यह बात तो ईसाईयों को माननी पड़ेगी की वे पंच नामें की अपेक्षा अधिक पुरानी है |
सभी लोग इसबात को मानते हैं कि वेद जन्दावेस्ता और संसार की अन्य समस्त पुस्तकों से अधिक पुराने है | जो आदि सृष्टि से वेद और वैदिक धर्म चलती चली आ रही थी उसमें अहिस्ता अहिस्ता, जब विभिन्न मतों का बोलबाला होने लगा सत्य से अहिस्ता अहिस्ता लोग दूर होते गये, और लोगों ने अपने अपने मत पन्थ खड़े किये और अपना अपना धर्म मनघडंत गाथाओं को धरम पुस्तक बनाने का दुस्साहस भी किया | जैसा की आप ने ऊपर देखा किस प्रकार की कहानी सुनाई गयी कहींका ईंटा काहीं का रोड़ा भानु मति ने कुंवा जोड़ा वाली बातें की हैं |
इसलाम वालों ने प्रायः इन्ही पहले वाली ग्रंथों से लिया है |
इसलाम मत अधिकांश में यहूदी, और जरदुश्ति मत के कुछ अंश के आधार पर है, जिसपर की स्वयं यहूदीमत अवलंबित है | इन दोनों मतों को विस्तार पूर्वक मिलाने से यह बात प्रकट होगो की अवान्तर बातों में भी मुहम्मद साहब ने यहूदियों का किस घनिष्टता के साथ अनुकरण किया है और यह भी सिद्ध हो जाएगा की इसलाम मत में ऐसी बहुत कम क्या कोई भी महत्वपूर्ण बात नहीं जिसके लिए मुहम्मद साहब नवीन अथवा ईश्वरीय ज्ञान होने की कोई प्रतिज्ञा कर सकें |
सृष्टि विषय पर यहूदियों की मान्यता है,यह संसार पहले ही रचा गया और प्रलय के पीछे दोबारा नहीं रचा जायगा | यह केवल यहूदी विचार है, और यह मूसाई तथा अन्य दो बड़े मत अर्थात ईसाई और मुसलमान मतों का_ जिनकी भित्ति उसकी आधार पर है विशेष उपलक्षण है और यह विचार भी कि – यह सृष्टि सर्व शक्तिमान परमात्मा की आज्ञा से आभाव से उत्पन्न हुई, यह यहूदियों से लिया गया है |
आदम और हवा की उत्पत्ति उनका अदन के उस बाग़ में रखा जाना जहाँ एक बृक्ष के फलों को छोड़ कर वे समस्त वस्तुओं का भोग कर सकते थे,सर्प के रूप में शैतान का आना और ठीक उसी फल को खाने का प्रलोभन देना इस पर स्वर्ग से उनका निकाला जाना यह कथा ज्यों का त्यों यहूदी ग्रन्थ से ली गई है | यही बात मनुष्यों से ऊँचे उन प्राणियों के सम्वन्ध में कही जा सकती है जो फ़रिश्ते कहलाते हैं | जिनके शारीर पवित्र और सूक्षम और अग्नि से बने हुए बताये गये हैं, जो ना खाते हैं ना पीते हैं और ना संतान उत्पत्ति करते हैं | उन फरिश्तों के रूप में है और उनके कार्य विविध प्रकार के हैं, उनमें सब से बड़े दूत, मूल रूप से चार को माना गया है |
जिबराईल, मीकाईल, इस्राईल, और इस्राफील के नाम से हैं, इन फरिश्तों की बातें मुहम्मद साहब ने यहूदियों के ग्रन्थों से ली है | जो इसलाम के आने से पहले यहूदियों के पास मौजूद था | इन यहिदियों ने फरिश्तों के नाम और कार्य की शिक्षा पारसियों से ग्रहण किया है, जो वह स्वीकार करते हैं | {Talmud hieras and Rash bashan} यह प्रमाण दिया है एक अंग्रेजी कुरान का अनुवादक { mr,sel } कुरान की भूमिका पेज 53
जेंन्दअवेस्ता के अनुसार संसार छ: कालों में बना है जिस क्रम से सृष्टि के विविद भाग रचे गये हैं उसी क्रम को बाईबिल में भे वर्णित किया गया है | इन्हें समझने के लिए हम बराबर बराबर लिखते हैं की जिससे पाठकों को समझने में सुगमता हो |
|| जुरदिशति का वर्णन है ||
पहले समय में आसमान पैदा किया गया, दुसरे में पानी, तीसरे में पृथ्वी, चौथे में वृक्ष, पाँचवे में पशु, और छठे में मनुष्य उत्पन्न हुए |
|| यहूदियों का वर्णन है ||
पहले दिन आसमान,पृथ्वी पैदा किये गये,दुसरे दिन पानी, तीसरे दिन सुखी भूमि, घांस,पक्षी, और फल, चौथे दिन प्रकाश, सूर्य, चन्द्रमा, नक्षत्र, पाँचवे दिन, चलने वाले जीव, पंखयुक्त पखेरू, विशालकाय व्हेल | छठे दिन जीवित प्राणी, पशु लताएँ, और मनुष्य |
पैदायश की किताब में सृष्टि छ:दिनों में बनी, जेंन्दअवेस्ता दोनों में ही सृष्टि रचनाकार्य मनुष्य की उत्पत्ति होने पर समाप्त हो जाता है |
सही तरीके से विचार किया जाये तो क्या यह मत पन्थ वाली पुस्तकों की बाते मनमानी नहीं है ? जैसा सूर्य को चौथा दिन बताया, अब सवाल यह पैदा होता हैं की सूर्य के बिना पहले तीन दिन का पता किस प्रकार लगाया जाना संभव हुवा ? फिर लिखा चलने वाले जीव बनाये, छठे दिन जीवित पशु बनाया यह सभी बातें विश्वास योग्य क्यों और कैसे हो सकता है ? >अगला भाग में इस्लाम ने इसे किस प्रकार लिया सृष्टि विषय इस्लाम ने क्या कहा बताएं गे | मैं तो लिख कर देरह हूँ और विडिओ भी दे रहा हूँ आप लोगों को जिनके पास पढने का समय नहीं है उह इसे सुनकर भी समझें |
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिकप्रवक्ता = 26 /4 /18