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हमारा नाम मानव किस लिये पड़ा ?
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Mahender Pal Arya
04 Dec 16
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मानव होने के नाते पहला कर्तव्य है धर्म पर आचरण करना जो मानव मात्र का एक है, दूसरा है राष्ट्र सेवा,तीसरा है प्राणी मात्र का कल्याण करना,यहीहैमानवता।
धरती पर प्रत्येक वस्तु को किसी ना किसी नाम से पुकारा जाता है, अर्थात हर वस्तु का नाम है, चाहे वह मिटटी ही क्यों न हो ?
जिस प्रकार मिट्टी का नाम हुवा उसके गुणों के कारण, मिटटी में बहुत सारे गुण हैं उसके गुणों को लिख कर समाप्त करना मेरे जीवन भर का प्रयास कम पड़सकता है,मिटटी का गुणों को लिखना |
ठीक इसी प्रकार हर वस्तु का नाम उसके गुणों के कारण ही, उसका नाम पड़ा है जब हमारा नाम मानव पड़ा तो क्या बिना गुण के ही हमारा नाम पड़ा है, अथवा पड़ना संभव हुवा ?
सृष्टि करता ने हमारा जो नाम धारण करने का उपदेश दिया है> मनुर्भव: {मानव} बनों और उस उपदेशानुसार हम मानव नही बन पाए, फिर दुनिया बनाने वाले का उपदेश का क्या हुवा ? हमारा नाम भी हमारे गुणों के कारण ही है, अगर हम अपने गुणों को छोड़देंगे तो हमारा नाम मानव का होना संभव नही |
यह बातें सिर्फ हमारे लिये ही नही है, किन्तु हर एक वस्तु के साथ जुड़ा है जैसे | नाम् किस प्रकार बदलता है देखें, बीज +अंकुर +पौधे + लता +बृक्ष +आदि नाम हो गया, किस चीज से बीज से यह सभी नाम बदलता गया |
अब बृक्ष को काटने पर लकड़ी +तख्ता +तख्ती +खाट +पलंग +टेबुल +कुर्सी +से जलावन+ आग +चूल्हा के पास +इंधन भी उसीका नाम है +जब यज्ञ करेंगे उसी का ही नाम समीधा + उससे धुआं + कोयला + राख आदि नामों से पुकारेंगे |
ठीक यही प्रमाण है हम नामव कहलाने वालों का भी, हम अगर अपना गुणों को छोड़ देंगे तो हमारा भी नाम बदलेगा | धर्म पर आचरण सिर्फ मानव ही कर सकता है अन्य,किसी के लिये धर्म है ही नही | धर्म सिर्फ मानवों के लिये है, मानव उस धर्म से अलग हो ही नही सकता | अगर मानव धर्म से अलग हो गया फिर उसका नाम भी बदलेगा यह ध्यान रहे |
धर्मेनहिन्:पशुर्भी समानः { धर्म हीन् मानव पशु के समान है } धर्म को छोड़ने से उसे पशु के समान माना जायगा कहा जायगा | मानव होकर अगर उसके गुणों को त्याग दिया उसका नाम बदल गया | यही मानव अपने गुणों को छोड़ने पर दानव कहलाता है | दिमागी सन्तुलन खो दे पागल कहलाता है, क्रूरता को अपना ले, उसी मानव को कसाई कहा जाता है,राक्षस भी कहते हैं आदि |
सिर्फ गुण को छोड़ने से हमारा नाम भी बदल जाता है, यही कारण बना परमात्मा का उपदेश है मानव बनों | किन्तु दुर्भाग्य से आज मानव मानव बनकर, कहला कर ही सन्तुष्ट नही | कोई मुस्लमान बन रहा है, या बना रहे हैं, एक दुसरे को | फिर कहीं कोई ईसाई बन रहे, और बनवा रहे एक दुसरे को |
कहीं कोई बौधिष्ट बन रहे बनवा रहे एक दुसरे को, फिर कहीं कोई जैनी बन और बनवा रहे हैं एक दुसरे को | कोई सिख बन रहे बनवा रहे हैं, कहीं कोई बहाई बन रहे और बनवा रहे हैं एक दुसरे को |
जो गुणों को धारण करने की बात थी उसे छोड़, जिसे मानव बनना था उस से अलग होकर धर्म को त्याग दिया राष्ट्रीयता को त्याग दिया, और मानवता को भी |
फिर विचार करें जो मुस्लमान बना अथवा जिसे बनाया गया मुस्लमान,उसको सिखाया बताया गया पूरी दुनिया वालों को मुस्लमान बनाव, राष्ट्र इस्लामी बने राष्ट्र को इस्लामी करण करो आदि | इस्लामी शिक्षा यही है हर गैर इस्लामी को इस्लाम का दावत दो मुस्लमान बनाव, जो भारत में इस्लाम को फैलाया गया |
मुस्लमान कोई आसमान से गिरे नही, और ना तो जमीन के अन्दर से निकले, हैं सम्पूर्ण दुनिया में इस्लाम को फैलाया गया,विस्तारित किया गया इतिहास साक्षी है | भारत ने किसी का क्या बिगाड़ा जो, हाफिज सईद, सैयद सलाहउद्दीन,मौलाना मसूद अज़हर से लेकर जितने भी इस्लामी संगठन है वह क्यों चाहते भारत को इस्लाम में परिवर्तित करना | अभी मियां मुशर्रफ ने भी कहा हम हाफिज सईद को आतंकवादी नही मानते वह समाज सेवी है |
अभी दूरदर्शन में दिखाया जा रहा था, बुरहानवाणी कश्मीरी आतंकवादी जिसे हमारे सैनिकों ने मारा है वह हाफिज सईद से हथियार, और पैसा मांग रहा था भारत में गैर मुस्लिमों को मारने के लिये | यही इस्लामी तयलीम है,इस्लाम जन्म लिया है इसी काम के लिये |
अनेक प्रमाण मैं दे चूका हूँ अबतक, जरूरत पड़ने पर आगे भी दूंगा | यह सभी प्रमाण मैं कुरान से दिया हूँ और हदीसों का भी प्रमाण है |
यहाँ राष्ट्रीयता से हाथ धोया, यही तो कारण है भारत माता की जय नही बोलने का | असदुद्दीन ओवैसी हो दारुल उलूम हो इस्लामी मान्यता यही है, जीव में दया वह भी इस्लाम में नही है, अल्लाह के नाम से पशुओं को काटा जाता है | फिर मानवता का पाठ एक वेद को छोड़ दुनिया की किस किताब में है, किन लोगों के के पास है ?
महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक =प्रवक्ता =दिल्ली =4/12/16=